Himachalताजा खबरेंदेश

सरकारी संपत्तियों के प्रति सरकार की बेरुखी

Bksood

Bksood

अभी पिछले हफ्ते ही मैंने सरकारी संपत्तियों के युक्तिकरण के बारे में एक संपादकीय लेख लिखा था उसमें यह वर्णन किया गया था कि किस तरह से अधीक्षण अभियंता बिजली बोर्ड के आवास पिछले कई वर्षों से खाली पड़ा है और उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। वहां पर जंगली जानवरों पशुओं और झाड़ियों का राज है । इस आवास कोई रहता नहीं इसलिए वह जर्जर होता जा रहा है।

क्या आप सोच सकते हो कि इसके नीचे एक सरकारी भवन है होगा।😪😪
झाड़ियों के नीचे दबा सरकारी भवन

आज फिर से सरकारी लापरवाही के एक औऱ मिसाल दे रहा हूं जो कि उसी भवन से मात्र 100 मीटर की दूरी पर है ,और फायर ब्रिगेड स्टेशन के एकदम पास है ।यह भवन भी शायद किसी के आवास के लिए बनाया गया होगा परंतु शहर के बीचोबीच बने यह भवन क्यों इस तरह से दयनीय स्थिति में पड़ा है यह एक यक्ष प्रश्न है। क्या सरकारी अधिकारियों के संज्ञान में यह बात नहीं है ,या कोई सरकारी अधिकारी यहां से आता जाता नहीं ,और क्या किसी सरकारी अधिकारी ने इसे देखा नहीं ?अगर देखा है तो इस पर एक्शन क्यों नहीं हुआ ।अगर झाड़ियों के बीच में आप इस आवास को ढूंढ लोगो तो आप भी इनाम के हकदार हो जाएंगे। क्योंकि झाड़ियों के बीच में इस आवास को ढूंढना नामुमकिन सा लग रहा है

झाड़ियों के नीचे दबा भवन

चित्र में आप देख रहे हैं कि यह किसी के लिए क्वार्टर बनाया गया होगा जिसका इस्तेमाल शायद कभी किया ही नहीं गया होगा । अब इसकी हालत से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इसमें कितनी घास और झाड़ियां उग गई हैं तथा यह और कितने दिन टिक पाएगा पता नही।


अगर यही आलम रहा तो आने वाली 1-2 बरसात के बाद यह गिर कर धराशाई हो जाएगा ,और सरकारी फाइलों में इसे दफना दिया जाएगा ।सरकार ने इस आवास पर भी 10-20 लाख रुपया खर्च किया होगा ।परंतु इसका रखरखाव या इसको किसे रहने के लिए देना है इसकी जरूरत किसी ने नही समझी। अगर यही आलम रहा तो यह गिर जाएगा और फिर फाइलों में खानापूर्ति कर दी जाएगी ।अगर इस आवास में कोई रहना ही नहीं चाहता तो यह बनाया किस लिए गया था? और अगर यह बनाया गया तो इसे किसी कर्मचारी को आबंटित क्यों नहीं किया जा रहा? यह आवास भी शहर की प्राइम लोकेशन पर स्थित है तथा इस कि अगर हम कमर्शियल कीमत लगाएं तो यह बहुत कीमती जगह पर है और अगर इस पर कोई इमारत बनी है या भवन बना है तो इसकी कीमत और भी बढ़ जाती है ।परंतु इसकी परवाह किसी को नहीं । सरकार के जिम्मेवार ऑफिसर शायद कुंभकरण की नींद सोए हुए हैं।

झाड़ियों के पीछे से झांकता भवन

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close
Back to top button