हिमाचल_लोकायुक्त_मे_एक_बार_फिर_संशोधन_होने_जा_रहा_है)
16 नवम्बर 2021– (#हिमाचल_लोकायुक्त_मे_एक_बार_फिर_संशोधन_होने_जा_रहा_है)
प्रतिष्ठित अंग्रेज़ी दैनिक की रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल लोकायुक्त एक्ट मे सरकार संशोधन करने जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार अभी तक के प्रावधान के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश और हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश को ही लोकायुक्त लगाया जा सकता है। इसके चलते सरकार के पास बहुत ही सीमित विकल्प उपलब्ध है। लोकायुक्त का पद पात्र व्यक्ति के न मिलने के कारण लम्बे समय से खाली है। सरकार अब संशोधन कर हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश को लोकायुक्त के पद के लिए पात्र बनाने जा रही है। हिमाचल प्रदेश उन अग्रणी राज्यों मे से है जिसने 1986 लोकायुक्त एक्ट पास कर दिया था। स्मरण रहे उस समय श्री वीरभद्र सिंह प्रदेश के मुख्यमन्त्री थे। हालांकि 2014 मे भी पिछली बार संशोधन कर कुछ नई बातों को जोड़कर एक्ट संशोधित किया गया था लेकिन हिमाचल प्रदेश मे लोकायुक्त की सार्थकता को लेकर लगातार प्रश्न उठते रहे है। अभी तक न तो कभी भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायते आई है और न ही लोकायुक्त ने कोई स्मरण योग्य कार्यवाई ही की है। आखिरी लोकायुक्त सेवानिवृत्त न्यायाधीश एल एस पांटा थे और उनका कार्यकाल 2017 मे खत्म हो गया था।
वर्तमान सरकार अपने चार साल के कार्यकाल मे पात्र व्यक्ति खोजने मे असफल रही है। इसलिए अब हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश को पात्र बनाया जा रहा है। केवल पात्रता के विषय मे संशोधन करने से कोई खास लाभ नहीं होगा। इस संशोधन से खाली पद तो भरा जा सकेगा लेकिन लोकायुक्त पद को सार्थक नहीं बनाया जा सकेगा। मेरे विचार मे इस संशोधन के साथ यह कुछ और संशोधन करने की भी आवश्यकता है।
(1) लोकायुक्त के पास इसलिए गभींर शिकायतें नहीं आती क्योंकि शिकायत गलत साबित होने पर शिकायतकर्ता को सजा का प्रावधान है। संशोधन कर सजा के प्रावधान को खत्म करने की जरूरत है। यदि यह प्रावधान रहेगा फिर लोकायुक्त के भरने से कोई लाभ नहीं होगा। क्योंकि जब शिकायत ही नहीं आएगी तो लोकायुक्त निपटारा क्या करेंगे।
(2) लोकायुक्त के पास स्वयं संज्ञान लेने, जांच करने और कार्यवाई करने की शक्तियां निहित होनी चाहिए। संशोधन कर यह शक्तियां भी लोकायुक्त को प्रदान करनी चाहिए।
(3) लोकायुक्त के पास अपनी स्वतंत्र जांच एजेंसी होनी चाहिए। क्योंकि लोकायुक्त बनाने का उद्देश्य है सरकार के बड़े पदों पर बैठे लोगो के खिलाफ शिकायतों का निपटारा करना। इसलिए लोकायुक्त की अपनी पुलिस होना अति आवश्यक है। अन्यथा लोकायुक्त पद फिजूलखर्ची के अतिरिक्त कुछ नहीं है। यदि लोकायुक्त से सार्थक परिणामों की अपेक्षा है तो संशोधित बिल मे इन सभी संशोधनों को जोड़ा जाना चाहिए।

लेखक महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार