अमरीका दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश और अमरीकी राष्ट्रपति सबसे शक्तिशाली व्यक्ति माना जाता है। अभी पूरी दुनिया को चौंकाते हुए अमरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन 20 फरवरी को यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात के लिए यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंच गए। स्मरण रहे अभी रूस और यूक्रेन के बीच भीषण युद्ध जारी है। मेरी समझ मे बाइडेन की यह यात्रा जोखिमभरी हो सकती थी। इस यात्रा का फैसला निश्चित तौर पर अमरीका के रणनीतिकारो ने किया होगा। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बाइडेन पर हवाई हमले की संभावना को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता था। बाइडेन 5 घटें तक कीव मे रहे। उस दौरान वहां हवाई हमले से सतर्क करने वाले सायरन बजते रहे। बाइडेन के आने से पहले कीव को नो- फ्लाई जोन घोषित कर दिया गया था। बाइडेन का यह दौरा कितना गुप्त रखा गया, यह इसी से स्पष्ट है कि पोलैंड मे एक घंटा रूकने के बाद रेलगाड़ी द्वारा उनके यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंचने की भनक कीव मे चंद लोगो को कुछ मिनट पहले ही लगी।
यह यात्रा यूक्रेन के दुश्मन देश रूस और रूस के मित्र देश चीन को यह सन्देश देने के लिए की गई थी कि अमरीका हर स्थिति और हाल मे यूक्रेन के साथ खड़ा है। अमरीका यूक्रेन की डाॅलर और हथियार से मदद कर ही रहा है और उसकी पहल पर यूरोप के 27 देश भी यूक्रेन के साथ है। अब इस यात्रा के माध्यम से वह यूक्रेन के खुले समर्थन मे आ गया लगता है। रिपोर्ट के अनुसार बाइडेन ने यूक्रेन को 50 करोड़ डालर की सैन्य सहायता और सैन्य उपकरण देकर यूक्रेन की पीठ ठोकी है। मेरे विचार मे यूक्रेन- रूस युद्ध अपेक्षा से कहीं अधिक लम्बा खिंच गया है। दोनो पक्ष अपने को सही साबित करने की कोशिश कर रहे है परन्तु मारे तो निर्दोष लोग जा रहे है। यदि इस युद्ध मे परमाणु एंट्री हो जाती है तो लाखों लोग मौत के मुंह मे समा सकते है। बाइडेन ने अपने देश के रणनीतिकारो के कहने पर यह जोखिमपूर्ण यात्रा कर साहसिक कार्य किया है लेकिन इस यात्रा के माध्यम से उन्होने केवल जेलेंस्की की पीठ ठोकी है। बेहतर होता उनकी इस यात्रा का उद्देश्य युद्ध विराम होता और यात्रा से शान्ति का सन्देश निकलता।
नमस्कार जी
सूद साहब नमस्कार