Workshop on Women *Empowerment at CSIR-IHBT Palampur*
Workshop on Women Empowerment at CSIR-IHBT
A workshop on Women Empowerment was organized on 23 February 2023 under the “One Week One Laboratory” program being underway at CSIR-IHBT, Palampur.
The Chief Guest of the programme was Ms. Gandharva Rathore, Settlement Officer, District Kangra, Himachal Pradesh. While highlighting the need for women empowerment in her address, she delineated upon how women can become self-reliant by joining the National Rural Livelihood Mission. She urged the women to adopt the technologies developed by CSIR-IHBT for empowering themselves. Over 120 women from various self-help groups of the state participated in the function.
Dr. Pamita Bhandari, Principal Scientist of the Institute gave information about the technologies developed by the Institute and made a presentation about their benefits. Three technologies on natural colours and dyes, value addition from dried flowers and herbal incense were also demonstrated on this occasion.
Earlier, Dr. Aparna Maitra Pati, Chief Scientist of the institute, while welcoming the chief guest and the visiting participants threw light on the purpose of “One Week One Laboratory” programme. She told that CSIR-IHBT has taken steps towards self-reliance of women, farmers and entrepreneurs.
On this occasion, 27 differently-abled children from Rotary Sewa Ashram, Saliana, District Kangra, Himachal Pradesh also visited the institute. These children visited Tulip Garden and Bamboo Museum established at CSIR-IHBT. Thereafter, these special children enthusiastically participated in various activities like painting and music organized for them.
Under JIGYASA, around 700 students and teachers in “One Week One Lab” programme visited the institute from Jawahar Navodaya Vidyalaya, Paprola; Viveka Foundation School, Bhawarna; Government Senior Secondary School, Gandhir, Bilaspur; Cambridge School, Palampur and Greenfield School, Nagrota and got information about research work and technologies developed in various laboratories.
महोदय ! नमस्कार , मैं आपके न्यूज चैनल ट्राइसिटी टाइम्स के माध्यम से माउंट कार्मेल स्कूल ठाकुरद्वारा के व्यस्तम तिराहे जिसे आप टी जंक्शन या फिर मैस्कुलाइन जंक्शन भी कह सकते हैं के विषय में शासन प्रशासन और स्कूल प्रबंधन के ध्यान में लाना चाहता हूं , जैसा कि हम सभी जानते हैं माउंट कार्मल स्कूल अपनी रेटिंग की वजह से लोगो के लिए बच्चों को पढ़ाने की पहली पसंद नजर आता है , दूर दराज से लोग यहां अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए भेजते हैं तो जाहिर सी बात है गाडियों का ही इस्तेमाल होता है चाहे वो टैक्सी हो , बस हो या फिर अपनी प्राइवेट गाड़ी और बहुत सारे लोग जो क्वार्टर लेकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं वो भी क्वाटर थोड़ी दूर होने पर गाड़ी या स्कूटी के माध्यम से ही बच्चों को स्कूल में छोड़ते हैं और उधर गेट के साथ लगते ही हाई वे पर गाडियों का रस और जब स्कूल का समय होता है तो लगभग दफ्तर जाने बालों का भी वोही समय होता है तो इस वक्त भी और तीन बजे बाद दोपहर छुटी वाले समय भी येही भीड़ देखने को मिलती है जिससे हमेशा किसी दुर्घटना का भय बना रहता है और कई दुर्घटनाएं हो भी चुकी हैं क्योंकि इन दोनों समय जो खलेट रोड से कांगड़ा की तरफ जाना चाहे और जो पालमपुर की तरफ से स्कूल या यूं कह लो खलेट रोड की तरफ आना चाहे वो तो बहुत ही मुश्किल में फस जाता है उधर बसों से स्कूल आने वाले बच्चों को भी यही बड़ी मुश्किल होती है हजारों के हिसाब से छोटी बड़ी गाडियों का आना जाना इस हाइवे से होता है अब गर्मियों में टूरिस्ट भी पर्यटन नगरी पालमपुर का ही रुख करते हैं तब तो ये समस्या और भी विकराल हो जाती है तो अगर पी डवयू डी विभाग यहां पर सड़क को खुला कर दाएं बाएं गाडियों के जाने का प्रबंध करने के साथ साथ बसों को स्वारी लेते और उतारते वक्त भी दोनो तरफ एक अलग स्पॉट बसों को रुकने के लिए बनाने का प्रबंध करे तो जाम से भी बच जायेंगे क्योंकि जब एक बस स्वारी उतारने या चडाने के लिए रुकती है तो दोनों तरफ जाम जैसी स्थिति पैदा हो जाती है, स्कूल के साथ दोनो ओर मुख्य सड़क पर हल्के गति रोधक लगा कर स्कूल के निशान बाला बोर्ड के साथ साथ गति सीमा भी दर्शाए , इसके साथ ही खलेट रोड पर भी चारसो मीटर के अंदर अंदर कम से कम तीन गति अवरोधक जरूरी हैं क्योंकि उधर पैदल चलने वाले बच्चों और अविभावकों की भीड़ होती है और उस पर गाडियों की भीड़ और गति कभी तो लगता है किसी बड़ी अनहोनी का कारण बन सकती है, हां स्कूल के साथ ही प्रसाधन और एक बड़े शेड की भी अत्यंत आवश्यकता है क्योंकि जो भी ड्राइवर , अविभावक जिनमें दादा दादी , माता या पिता या कोई भाई या बहन जो बच्चों को स्कूल के अंदर भेज कर उनकी छुटी तक उनका इंतजार करते हैं तो उनको धूप , बारिश या ठंड का प्रकोप खुले में बैठ कर सहना ही पड़ता है और हद तो तब हो जाती है जब किसी ने पेशाब ही जाना हो वो कितनी दूरी इसके लिए तय करता या करती है ये उससे पूछो और खास कर लेडीज के लिए तो बहुत ही मुश्किल है तो मेरे कहने का मतलब है शेड के साथ ही प्रसाधन का होना अतिआवश्यक है और शेड में ही पीने का साफ पानी फिल्टर और गर्मियों में कूलर से मिलना चाहिए ये जिम्मेवारी स्कूल बालों की पहले नंबर पर बनती है, क्योंकि ये लोग स्कूल के लिए ही आते हैं, सूद साहब आप से गुजारिश रहेगी कि इस मुद्दे को खास तरजीह दी जाए ताकि इन समस्याओं का हल शीघ्र तिशीघ्र हो