*पंजाब_मे_अजनाला_की_घटना_गंभीर_भी_और_चिंताजनक_भी महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार*
26 फरवरी 2023- (#पंजाब_मे_अजनाला_की_घटना_गंभीर_भी_और_चिंताजनक_भी)-
प्रतिष्ठित अंग्रेजी दैनिक ने अपने संपादकीय मे अजनाला और चडींगढ़ मोहाली बॉर्डर की दो घटनाओं का उदाहरण देते हुए इसे कानून व्यवस्था के फेल हो जाने की संज्ञा दी है। अमृतसर देहाती क्षेत्र मे थाना अजनाला मे पुलिस एक अपहरण के मामले मे अमृतपाल सिंह के समर्थक लवप्रीत तूफान को गिरफ्तार करती है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अमृतपाल सिंह गिरफ्तारी से क्षुब्ध अपने समर्थकों के साथ पुलिस थाने पर हमला बोल देता है और थाने पर कब्जा कर लेते है। इस प्रदर्शन और हमले के बाद पुलिस जिसने तूफान के खिलाफ पर्चा दर्ज किया था कोर्ट मे लवप्रीत तूफान को केस से डिस्चार्ज करने के आवेदन दायर करती है। तत्पश्चात अदालत के आदेश के बाद तुफान को रिहा कर दिया जाता है।
अखबार के सम्पादकीय के अनुसार कानून और पुलिस वर्किग को समझने वालो के लिए पुलिस की यह कार्यवाई आश्चर्य चकित करने वाली है। अजनाला घटना से ठीक दो सप्ताह पहले भी चंडीगढ़ मोहाली बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी कानून अपने हाथो मे ले चुके थे और सरकारी संम्पति को नुकसान पहुंचा चुके थे। पंजाब बॉर्डर स्टेट है और 80 के दशक मे एक भंयकर दौर मे से गुजर चुका है। उस समय को याद करे तो पंजाब मे अलगाववाद का दौर था और पुरी तरह उग्रवादियों का दबदबा था। जो कुछ पंजाब मे घट रहा है वह 80 के दशक की पुनरावृति की ओर इशारा करता है। अखबार के अनुसार दुबई से लौटे अमृतपाल सिंह को इक्कीस शताब्दी के भिंडरवाला के तौर पर पेश किया जा रहा है। पुलिस की अर्जी के बाद जिस तरह तुफान को छोड़ा गया है उसे पुलिस का अमृतपाल सिंह के सामने आत्मसमर्पण माना जा रहा है।
विश्लेषकों का मानना है कि पंजाब मे आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद अलगाववादी ताकतों ने सिर उठाना शुरू कर दिया है। अजनाला मे प्रदर्शनकारी और अमृतपाल सिंह के समर्थक देश विरोधी नारे लगा रहे थे। मेरी समझ मे अगर भगवंत मान सरकार इन ताकतों पर कार्रवाई करने मे असफल रहती है या इनके प्रति नरम रूख रखती है तो केन्द्र सरकार को एन आई ए के माध्यम से कार्रवाई करनी चाहिए। मेरे विचार मे ऐसी स्थिति मे केन्द्र सरकार मूकदर्शक बन कर नहीं रह सकती है। मै यह तो नहीं कह रहा कि केंद्र सरकार तुरंत धारा 356 का प्रयोग करें, लेकिन संविधान निर्माताओं ने प्रदेश मे कानून व्यवस्था फेल हो जाने की स्थिति मे ही इसके इस्तेमाल की अनुमति दे रखी है। उपयुक्त समय का निर्णय करना केन्द्र सरकार का विशेषाधिकार है।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।
यह घटना चिंताजनक ही नहीं बल्कि इस घटना पर सरकार को कड़ा संज्ञान लेना चाहिए क्योंकि इस तरह से देश के विरुद्ध यह लोग साजिश करते रहेंगे तो एक दिन उसका हमें भयंकर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं जिसका हमें पूर्व में भी अनुभव है इसलिए केंद्र सरकार को चाहिए कि इस विषय पर कड़ा संज्ञान ले कड़ी कार्रवाई ना करके एक कड़ी चेतावनी दी जाए कि आइंदा से अगर इसी तरह की ढिलाई बरती गई तो परिणाम अच्छे नहीं होंगे क्योंकि आज पालकी की आड़ में ऐसा कर रहे हैं कल को हम रामायण की आड़ में कर लेंगे परसों को को कुरान की आड़ में कर लेंगे देश कहां जाएगा किधर जाएगा इस बात का अवश्य ध्यान रखना चाहिए