
14 मार्च 2023- (#राष्ट्रीय_स्वयंसेवक_संघ_क्रांतिकारी_परिवर्तन_करने_जा_रहा_है)-

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व का एक अद्भुत सामाजिक संगठन है। वह राजनीति मे भी अप्रत्यक्ष रूप से दखल रखता है। 2025 मे संघ अपने स्थापना के 100 वर्ष पूरे करने जा रहा है। हरियाणा के समालखा मे तीन दिवसीय प्रतिनिधि सभा रविवार को शुरू हुई है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिनिधि सभा संघ की शीर्षस्थ नीति निर्धारण करने वाली ईकाई है। 1925 से अब तक के सफर मे संघ ने कई उतार- चढ़ाव देखें है, लेकिन वर्तमान सर संघचालक मोहन भागवत जी का कार्यकाल क्रांतिकारी परिवर्तनों के लिए जाना जाएगा। समालखा मे होने वाली बैठक जिसमे संघ से जुड़े विभिन्न संगठनों के 1474 प्रतिनिधि भाग ले रहे है अति महत्वपूर्ण बैठक है। यह 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले होने वाली अतिंम बैठक है और इसमे शताब्दी पुरी होने के उपलक्ष्य मे एक बड़ी कार्य योजना बनानी प्रस्तावित है। जबसे आदरणीय मोहन भागवत जी सर- संघ चालक बने है संघ मे लगातार परिवर्तन हो रहे है। संघ जो की मूल रूप से परम्परावादी संगठन माना जाता था उसने भागवत जी के नेतृत्व मे समय के साथ आधुनिक समाज के साथ कदम मिला कर चलना शुरू किया है, लेकिन ऐसा करते हुए भारतीय परम्पराओं और संस्कृति को कोई नुकसान न हो इसका विशेष ख्याल रखा है।
भागवत जी के कार्यकाल मे ही लम्बे समय से विचाराधीन निकर के स्थान पर गणवेश मे पैंट पहनने का निर्णय लिया गया है। इसी प्रकार अल्पसंख्यक मुस्लिम भाईयों को संघ से जोड़ने के लिए सिख संगत की तर्ज पर राष्ट्रीय मुस्लिम मंच का गठन किया गया है। अब सबसे बड़े परिवर्तन के स्वर समालखा मे चल रही प्रतिनिधि सभा से सुनाई दे रहे है। सभा की पूर्व संध्या पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए संघ के सह-सरकार्यवाह डॉ मनमोहन वैध ने कहा है कि अब महिलाओं को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं के साथ जोड़ा जाएगा। संघ मे इसको लेकर विचार चल रहा है और जल्द ही फैसला होगा। स्मरण रहे अभी तक महिलाओं को इसमे शामिल नहीं किया जाता था। वह दुर्गा वाहनी व अन्य संगठनों से जुड़ी हुई थी। अब सीधे संघ की शाखाओं से जुड़ेंगी। मेरी समझ मे यह बड़ा निर्णय और क्रांतिकारी परिवर्तन है। देश की आधी आबादी को संघ मे शामिल होने का अवसर मिलेगा और संघ शाक्ति निश्चित तौर पर दुगनी हो जाएगी। आज महिलाएं हर क्षेत्र मे सक्रिय है। अब तो फौज मे भी उन्हे स्थाई कमीशन मिलने लगा है और अर्द्ध सैनिक बलों को भी वह नेतृत्व प्रदान कर रही है। संघ का यह सामयिक और प्रशंसनीय निर्णय है।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।