Tuesday, October 3, 2023
पाठकों के लेख एवं विचार*गुलमोहर तुम फिर से खिल उठे हो ,मुझे पता है यार की...

*गुलमोहर तुम फिर से खिल उठे हो ,मुझे पता है यार की तुम पर भी पतझड़ आया था …..!* *Babita Pundir*

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गुलमोहर तुम फिर से खिल उठे हो ,मुझे पता है यार की तुम पर भी पतझड़ आया था …..!

अब खिल के मुस्कुरा रहे हो ,मुझे पता है कि धूल धक्कड़ ने तुम पे घर बनाया था …..!

मैने तो तुमको निर्जीव समझ रखा था ,आज देखा कि हर डाली पर तु खिलकर बैठा है ….!

तुझे पता है कि वसंत के बात गुलमोहर तू फिर से बिखर जायेगा …मगर
फिर से वसंत आयेगा और फिर से तू खिलखिलायेगा …!

गुलमोहर तुम फिर से खिल उठे हो ,मुझे पता है यार की तुम पर भी पतझड़ आया था …..!

कु. बबीता पुण्डीर

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