

02 अप्रैल 2023 – (#लोकतंत्र_सैनानियों_का_अपमान_ठीक_नहीं) –
सुख की सरकार पिछली भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई लोकतंत्र प्रहारी सम्मान योजना को खत्म करने का इरादा रखती है। मंत्रीमंडल इसका निर्णय कर चुका है क्योंकि इस योजना को विधानसभा मे बिल पास करके शुरू किया गया था इसलिए वर्तमान सरकार को उस बिल को रिपील कर ही समाप्त करना होगा। विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने इस मामले को उठाते हुए कहा कि सरकार बदले की भावना से इस सम्मान को समाप्त कर रही है। उन्होने कहा कि एक तरफ आप लोकतंत्र की दुहाई दे रहे है और दुसरी तरफ लोकतंत्र की लड़ाई लड़ने वालो का सम्मान खत्म कर रहे है। इस पर सरकार के वरिष्ठ मंत्री हर्ष वर्धन चौहान भड़क गए और भाजपा पर अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाने लगे। यह सही है कि आपातकाल का विरोध करने वाले और यह सम्मान पाने वाले गैर कांग्रेस के लोग है। यह वह लोग है जिन्हे बिना कसूर जेलों में बंद कर दिया गया था। उनके अदालत जाने के अधिकार भी छीन लिए थे। मीसा बंदियों को लगभग 19 मास जेल मे बंद रखा गया था। वह एक भंयकर दौर था जिसने भी उस दौर की तपस सही है वह इसे भूल नहीं सकता।
यह देश की दूसरी आजादी की लड़ाई थी। पहली आजादी की लड़ाई लड़ने वाले अधिकतर कांग्रेस के लोग थे। उन स्वतंत्रता सैनानियों का भी सम्मान हुआ है और उन्हे भी सम्मान राशी दी जा रही है । किसी ने उसका विरोध नहीं किया न ही अपमान किया, लेकिन वरिष्ठ मंत्री की भाषा और टोन दोनो ही आपातकाल मे जेल जाने वालो का अपमान करने वाली थी। सरकार का यह अधिकार है कि वह जेल जाने वालो को मिलने वाली सम्मान निधि बंद कर दे, लेकिन किसी सरकार या मंत्री को अधिकार नहीं है कि वह बिना कसूर जेल जाने वालो का अपमान करें। स्मरण रहे इलाहाबाद उच्च न्यायालय आपातकाल के खिलाफ आन्दोलन को देश की दूसरी आजादी की लड़ाई बता चुका है। मै हिमाचल के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार जी की इस बात से सहमत हूँ कि हम सब किसी सम्मान या पैंशन के लिए जेल नहीं गए थे। लोकतंत्र की रक्षा के लिए सिर पर कफन बांध कर उस युद्ध मे कूदे थे। बहुत आपतकाल के बंदी जेलों मे मर गए थे, हमे चहेता कहना हम सब का और देश का अपमान है। सरकार को पैशन बंद करनी है तो खुशी से करे। अधिकतर जेल जाने वाले लोकतंत्र प्रहारी पहले ही अगली यात्रा पर निकल चुके है। अब लगभग 80 लोकतंत्र के रक्षक है जिन्हे सरकार सम्मान निधि दे रही है। यह सम्मान कई प्रदेश सरकारे दे रही है। हिमाचल शुरू करने वाला अन्तिम प्रदेश है। अभी लगभग दो वर्ष से यह योजना चल रही है। अब इसको आप बंद कर रहे है। एक ही निवेदन है की बंद करते समय हल्के शब्दो का प्रयोग न करें। अभी इस विषय पर मुख्यमंत्री जी का विधानसभा मे औपचारिक वक्तव्य आना शेष है। उम्मीद है वह अपने शब्दो का चयन करते समय इस बात का ध्यान रखेंगे कि लोकतंत्र के रखवालों की भावनाएं आहत न हो।

#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।