*खरड़ लांडराँ रोड पर सीवरेज का बुरा हाल*
खरड़ लांडराँ रोड पर सीवरेज का बुरा हाल
ट्राइसिटी चंडीगढ़ खरड़ लांडरा एक बहुत महत्वपूर्ण स्थान है जिसमें सेक्टर 114 ,115, 116 स्थित है इस रोड पर ट्रैफिक की बहुत अधिक आवाजाही रहती है। हालांकि सड़क फोरलेन नेशनल हाईवे है तथा फोरलेन होने के बावजूद इसकी साइड से सीवरेज की लाइन (नाली)निकाली गयी है। यहां से ना केवल छोटे वाहन बल्कि बहुत बड़े-बड़े 16 टायर या 20 टायर वाले ट्रक और ट्राले भी चलते हैं। सड़क इतनी व्यस्त है कि किसी को सड़क क्रॉस करने में कई बार 5 से 10 मिनट का समय भी लग जाता है।
इतनी अधिक व्यस्त सड़क होने के बाद तथा सड़क के चारों ओर फ्लैट्स, मैंरीज हॉल ,बेन्क्यूट हॉल और शॉपिंग मॉल हॉस्पिटलज कॉलेजेस बन चुके हैं परंतु रोड की हालत नहीं सुधर रहे जबकि हजारों लोग इस सड़क के दोनों और रहते हैं ।
लगता है इस सड़क की सुध लेने वाला कोई नहीं। दोनों और निकाली गई सीवरेज लाइन ना केवल कई जगहों से खुली है उसके ढक्कन गायब हैं तथा चारों और बदबू फैलाते हैं और न केवल लोगों का जीना मुहाल करते हैं बल्कि अब इसकी सीवरेज का पानी अब सड़क पर आना शुरू हो गया जिससे लोगों का यहां पर चलना व रहना मुश्किल हो गया है, तथा वह नरक वाला जीवन जीने को मजबूर हैं।
क्योंकि सीवरेज लाइन शायद ओवरलोड हो गई है और गंदगी से भर चुकी है और वही गंदगी ओवरफ्लो होकर सड़कों पर आ जाती हैं जिससे लोगों का चलना फिरना दूभर हो जाता है। जिस सड़क पर सीवरेज का पानी आए वहां के आसपास के लोगों का रहना कितना मुश्किल ही नही मुहाल हो चुका है।
कुछ लोगों से बात करने पर पता चला कि यह सारी बातें संबंधित विभागों के संज्ञान में है लेकिन वह इस पर आंखें मूंदे बैठे हैं। सड़क पर ट्रैफिक की अधिकता के कारण लोग अक्सर सीवरेज लाइन पर पैदल चलने की कोशिश करते हैं लेकिन उसमें बहुत जगहों से ढक्कन गायब है और ढक्कनों के बीच में काफी गैप रखा गया है जिससे या तो आदमी सीधा सीवर लाइन (नाली)में घुस जाएगा और उससे बच गया तो कभी भी उसका पैर किसी गैप में फंसकर कर हड्डी पसली टूट सकती है।
यहां के स्थानीय लोगों की मांग है कि इस सीवरेज लाइन को तुरंत ठीक किया जाए और यहां पर अंडर ग्राउंड ह्यूम पाइप सीवरेज लाइन डाली जाए जिससे लोगों को बदबू तथा परेशानी से छुटकारा मिल सके और लोग खुद को एक अच्छे शहर में रहने वाला नागरिक समझ सके ।
यह न केवल सुरक्षा के लिहाज से ही अति आवश्यक नही है बल्कि वातावरण और पॉल्युशन के लिए भी घातक है।
क्या संबंधित विभाग इस ओर ध्यान देंगे??