शख्शियत

*मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू द्वारा जिला कांगड़ा को टूरिज्म कैपिटल घोषित किए जाने से निचले हिमाचल के जिलों में खुशी की बयार*

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बैजनाथ विक्की:- जिला कांगड़ा को टूरिज्म कैपिटल घोषित किए जाने से जहां निचले हिमाचल के जिलों में खुशी की बयार

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा हाल ही में जिला कांगड़ा को टूरिज्म कैपिटल घोषित किए जाने से जहां निचले हिमाचल के जिलों में खुशी की बयार है वहीं विदेशों में रह रहे हिमाचली आप्रवासी भारतीय भी गदगद हैं। इसके लिए वे न केवल अपना हर संभव योगदान करने को तैयार हैं बल्कि जरूरत पड़े तो पूंजी निवेश की दिशा में भी हाथ बढ़ा सकते हैं। इसी कड़ी में ऑस्ट्रेलिया की राजधानी सिडनी में रह रहे हिमाचली आप्रवासी शैफ पदम व्यास ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और पर्यटन निगम के अध्यक्ष रघुवीर सिंह बाली को एक व्यापक सुझाव पत्र भेजा है, जिसके तहत समूचे हिमाचल को टूरिज्महब के क्षेत्र में एक नई दिशा मिल सकती है। ऑस्ट्रेलिया में होटल संचालन के क्षेत्र में अग्रणी व्यास का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाओं को बेशक अभी तक भुनाया नहीं जा सका है। प्रदेश के पर्यटन को चार चांद लगाने के लिए उन्होंने हाल ही में एक मास्टर प्लान तैयार किया है, यदि सरकार इसकी मंजूरी देती है तो हिमाचल में राजस्थान की तर्ज पर पर्यटकों की एक बड़ी भीड़ उमर सकती है। पदम व्यास ने कहा कि राजस्थान में पर्यटकों की सुविधा के लिए ऐतिहासिक धरोहरों और पौराणिक गीत संगीत का बखूबी इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे विश्वभर के पर्यटक राजस्थान जाने के लिए लालायित रहते हैं। यदि प्रदेश सरकार हिमाचल के पर्यटन निगम और निजी कंपनियों के होटलों में हिमाचली झमाकड़ा, लुड्डी और नाटी के साथ-साथ विभिन्न जिलों के पारंपरिक व्यंजनों को परोसे जाएं तो इसके सार्थक परिणाम सामने आ सकते हैं। इसके साथ साथ प्रदेश के गग्गल, कुल्लू और शिमला के लिए हवाई उड़ानों के लिए पर्यटकों को विशेष छूट प्रदान की जाए ताकि लोग सिंगापुर और थाईलैंड जाने के बजाय हिमाचल का रूख कर सकें। पदम व्यास ने कहा कि बीते कुछ वर्षों में प्रदेश के ऊना जिले में एक बड़ा हवाई अड्डा बनाए जाने की कवायद चल रही थी। अधिकांश सरकारी भूमि होने की वजह से इसे आसानी से बनाया जा सकता है।
इसके साथ साथ प्रदेश के नैरोगेज पठानकोट-जोगिंदर नगर और कालका-शिमला रेलों में पारंपरिक खानपन (धामों को)परोसा जाना चाहिए। इस दिशा में भी प्रयास किए जाने चाहिए कि विदेशी पर्यटक यहां एक-दो दिन न ठहर कर महीना दो महीना रुकें, इसके लिए मुख्य मार्गों को चुस्त-दरुस्त किया जाना बहुत ही आवश्यक है। उन्होंने हाल ही में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और पर्यटन निगम के अध्यक्ष आर एस वाली से आग्रह किया है कि वह उनके द्वारा बनाए गए मास्टर प्लान को समझने के लिए अधिकारियों को अधिकृत करें। सिंगापुर, थाईलैंड जैसे कई देश इसके उदाहरण है जहां सड़क और एयर कनेक्टिविटी अत्यंत सुदृढ़ होने की वजह से यहां पर्यटन एक बहुत बड़ा व्यवसाय बन चुका है। इससे निश्चित तौर पर प्रदेश के होटल, ढाबा, टीस्टॉल, कॉफी हाउस, टैक्सी संचालन, साहसिक पर्यटन और सर्दियों के पर्यटन पर एक बहुत ही सार्थक असर पड़ेगा।
ट्रैकिंग भी कारगर
अपार प्राकृतिक सौंदर्य से लबालब धौलाधार, शिवालिक और पीर पंजाल पर्वत श्रृंखलाएं बरबस ही पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यदि इन ट्रैकिंग मार्गो में पर्याप्त अंतर्रष्ट्रीय सहूलियतें प्रदान की जाएं तो हिमाचल थाईलैंड, स्वीटजरलैंड और सिंगापुर को भी पछाड़ सकता है।

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पदम व्यास एक उच्च स्तरीय फ्रेंच क्वालिफाइड शैफ और मान्यता प्राप्त हॉस्पिटैलिटी कंसलटेंट हैं जो हिमाचली धाम को ऑस्ट्रेलिया में प्रचारित कर रहे हैं। यहां तक कि फाइव स्टार और बड़ी-बड़ी पार्टियों में भी वह कांगड़ी धाम परोसते हैं। पपरोले दे पतरोड़े, बरोटी राजमा, भरमौरी पनीर, खजियारी गोश्त, कांगड़ा पाइननट पुलाव, कुंजम पनीर, चंबा चना मदिरा, मंडी सेपुबड़ी इत्यादि हिमाचली व्यंजनों की ब्रांडिंग भी कर रहे हैं।
पदम व्यास फ्रेंच क्वालिफाइड शैफ और ऑस्ट्रेलियन हॉस्पिटैलिटी कंसलटेंट सिडनी।
फोटो
ऑस्ट्रेलिया के उच्चस्तरीय सैफ के साथ पदम व्यास।
पदम व्यास।

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