*दवाइयों_के_सैंपल_फेल_मामले_का_हाईकोर्ट_ने_लिया_संज्ञान_अब_सरकार_ने_भी_लिया_एक्शन*
22 मई 2023- (#दवाइयों_के_सैंपल_फेल_मामले_का_हाईकोर्ट_ने_लिया_संज्ञान_अब_सरकार_ने_भी_लिया_एक्शन)-
हिमाचल मे जीवन रक्षक दवाईयों के सैंपल फेल होने की खबरें लगातार छपती रहती है और मेरे ब्लॉग का भी यह खबरें हिस्सा बनती रहती है, लेकिन प्रदेश सरकार ने कभी भी इसके खिलाफ त्वरित और सख्त कार्रवाई नहीं की थी। इस संदर्भ मे मेरे पिछले ब्लॉग पर पाठक एकमत थे कि नकली दवाईयों का कारोबार बिना राजनेताओं और अधिकारियों के आशीर्वाद के नहीं पनप सकता है। कुछ पाठकों की टिप्पणियों मे स्पष्ट तौर पर ड्रग नियंत्रक विभाग को भ्रष्टाचार मे संलिप्त बताया गया। खैर इस बार इस संदर्भ मे छपी खबर का संज्ञान लेते हुए और खबर जनहित याचिका मे परिवर्तित करते हुए हिमाचल हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि सरकार ने नकली दवाइयां बनाए जाने के मामले मे क्या कदम उठाए है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने अपने आदेशों मे कहा कि प्रदेश मे बनाई जा रही दवाओं के सैंपल फेल होने और उनकी गुणवत्ता सही न होने के मामले बार बार सामने आ रहे है। कुल 35 फेल सैंपल मे से 11 दवाईयां हिमाचल मे निर्मित थी। कोर्ट ने ड्रग मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन को भी प्रतिवादि बनाया है। अख़बारों मे छपी रिपोर्ट के अनुसार अगली सुनवाई 23 जून को होगी। हाईकोर्ट के संज्ञान के बाद सोई हुई सरकार भी जागी और एक्शन मे आई और स्वास्थ्य मंत्री को भी अपनी जिम्मेदारी का ख्याल आया तो उन्होने पत्रकार वार्ता कर कहा कि नकली और घटीया दवाईयों का निर्माण करने वालो के लाइसेंस रद्द होगें। खबर यह भी है कि तीन दवा कंपनीज को सील कर दिया गया है।
मेरा सवाल है कि सरकारे कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ही क्यों एक्शन मे आती है। यह काम स्वास्थ्य मंत्रालय, ड्रग नियंत्रक और नकली दवाओं के मामले मे पुलिस का है, लेकिन जब यह लोग अपने कर्तव्य का पालन नहीं करते तो अदालत को हस्तक्षेप करना पडता है। फिर राजनेता अदालतो की अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर सक्रियता पर सवाल खड़े करते है जबकि राजनेता और कार्यपालिका ही उन्हे अपने क्षेत्र से बाहर आने और सक्रिय होने का अवसर देती है। नकली दवाई के मामले मे हाईकोर्ट सख्त हुआ तो सरकार भी हरकत मे आई और गहरी नींद से जागी। असल बात यह है कि हिमाचल मे पहले यह स्वास्थ्य मंत्रालय सेवा का मंत्रालय माना जाता था लेकिन कर छूट के बाद देश की बड़ी फार्मास्यूटिकल्स इंडस्ट्रीज यहां आ गई और स्वास्थ्य मंत्रालय मलाईदार बन गया। अब अधिकारियो और राजनेताओ को जब मलाई चाटने से फुर्सत होगी तब वह नकली दवा के मामले मे संज्ञान लेगें। मेरी समझ मे भले सरकार करे या कोर्ट के आदेश से हो यह नकली दवा का कारोबार जो जहर का कारोबार है बंद होना चाहिए।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।