*यह तेरी जिम्मेवारी यह मेरी जिम्मेवारी ,ना ये तेरी जिम्मेवारी ना यह मेरी जिम्मेवारी 😄बस*
*यह तेरी जिम्मेवारी यह मेरी जिम्मेवारी ,ना ये तेरी जिम्मेवारी ना यह मेरी जिम्मेवारी 😄बस*
बस इसी झगड़े में जनता पिसती है। हिमाचल प्रदेश में जहां मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू उनकी पूरी कैबिनेट, नेता विपक्ष जयराम ठाकुर अन्य सभी नेता लोग दिन-रात एक करके हिमाचल की बाढ़ की आकस्मिक आपदा से निपटने में दिन-रात एक किए हुए हैं वहीं पर हमारे कुछ अधिकारीगण बस एक दूसरे पर जिम्मेवारी डालकर अपना पीछा छुड़ाने में की होड़ में लगे हुए हैं। इन तस्वीरों में जो आप नेशनल हाईवे कपिला नर्सिंग होम के पास की तस्वीरें देख रहे हैं वह अवश्य यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या कभी यह अधिकारीगण अपने परिवार के साथ या अपनी गाड़ी में इस तरह से सड़क पर सफर करते होंगे? और अगर जाम में फंस जाए तो कितना कष्ट होता होगा ?यह सोचा होगा उन्होंने? शायद नहीं ।
यहां पर जो बारिश के कारण पेड़ गिर गए उसमें किसी भी विभाग की गलती नहीं है ,लेकिन पेड़ कट गए उनको सड़क से हटाने की जिम्मेदारी किसकी है यह अभी तक तय नहीं हो पा रहा है ।क्योंकि एनएचएआई वाले कहते हैं यह फॉरेस्ट डिपार्टमेंट का काम है और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट कह रहा है यह एनएचएआई का काम है। यहां पर कोई बड़ा सा ट्रक फस गया था जिसकी वजह से 15 मिनट तक पूरी तरह से जाम लगा रहा और सैकड़ों गाड़ियां दोनों तरफ खड़ी हो गई ।अगर यह कटे हुए पेड़ का झुंड जेसीबी से लगाकर एक साइड में कर दिया गया होता तो शायद इतना लंबा जाम नहीं लगता है।
लोग अक्सर इस पॉइंट पर आकर परेशान हो रहे हैं क्योंकि यहां पर इस पेड़ के झुंड की वजह से जाम लग रहा है।
आप साथ में जो तस्वीरें देखते हैं वह कितने झुके हुए पेड़ हैं जिन्हें काटने के लिए कई बार खबरें लग चुकी हैं परंतु कोई असर नहीं होता। क्योंकि किसी एक व्यक्ति की जान जाए तो उसकी जिम्मेदारी किसी अधिकारी पर नहीं आएगी 20:30 लोगों की चली जाएगी तो भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
यदि सरकार को ऐसा नियम बनाएं कि किसी पेड़ के गिरने से किसी की जान जाती है तो वह फलां विभाग की जिम्मेवारी होगी चाहे वह फॉरेस्ट विभाग हो प्रशासन हो या पीडब्ल्यूडी या सीपीडब्ल्यूडी या कोई अन्य विभाग हो उन्हें पेड़ काटने में 2-3 कई फॉर्मेलिटी लगेगी 2-4साल की नही। परंतु जब जिम्मेवारी किसी की ही नहीं सभी विभाग एनजीटी का रोना रो कर चुपचाप बैठ जाते हैं ।जिससे वह बचते रहे हैं और बच जाते हैं।
सरकार को चाहिए कि एनजीटी को कहे कि वह भी इस तरह के अनावश्यक रूप से खतरनाक पेड़ों को काटने में अधिकारियों के हाथ ना बांधे उन्हें यह फ्री हैंड होना चाहिए कि वह जो भी उन्हें खतरनाक पेड़ दिखता है जिसकी वजह से एक नहीं बल्कि 5-7 लोगों की जान जा सकती है उसे काटने में बिल्कुल कोताही या मना ही नहीं होनी चाहिए । यही पेड़ अगर किसी बस पर गिर जाए तो कम से कम 10-15 लोग अवश्य इसमें मरेंगे ।परंतु यह जिम्मेवारी किसी की भी नहीं बनेगी क्योंकि सभी यही कहेंगे एनजीटी की परमिशन नहीं मिलती और एनजीटी को कोई पूछ नहीं सकता।
नीचे दी गयी तस्वीरों में दूसरे नंबर की तस्वीर पर आप स्पष्ट देख सकते हैं कि एक बहुत बड़ा पेड़ कृषि विभाग के दफ्तर की तरफ झुका पड़ा है जो कभी भी गिर सकता है और अगर यह गिर गया तो सरकार को लाखों का लगेगा चुना और 5 -6 अधिकारियों कर्मचारियों या इस बिल्डिंग में आने वाले लोगों की मृत्यु निश्चित है परंतु इस पेड़ों को काटे कौन और क्यों काटे एक बहुत सीनियर, सम्मानित पत्रकार ने इस विषय में दोनों विभागों के अधिकारियों से बात की परंतु नतीजा वही ढाक के 3 पात