*Editorial*राज्य आपदा /राज्य में सांस्कृतिक कार्यक्रम ?*
Editorial
राज्य आपदा /राज्य में सांस्कृतिक कार्यक्रम ?
राज्य आपदा /राज्य में सांस्कृतिक कार्यक्रम ? एक तरफ़ माननीय मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुखु जी ने हिमाचल प्रदेश को अपादा ग्रस्त राज्य घोषित कर दिया हैं ।बात ठीक भी हैं ।मुख्यमंत्री ,नेता प्रतिपक्ष ,अधिकारीगण इस समय जीज़ान से राहत कार्य में जुटे हुए हैं।इस तरह की तबाही हिमाचल ने कभी नहीं देखी ।हालत ऐसे हैं कि एक एक पाई की ज़रूरत हैं ।हर हिमाचली का फ़र्ज़ भी हैं राजनीति से ऊपर ऊठ कर कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करे ।
माननीयों से अनुरोध हैं कुछ महीनों के लिए सरकारी ,ग़ैर सरकारी इंस्टीट्यूशंस में सांस्कृतिक गतिविधियों पर रोक लगायी जाये ताकि उस धन का उपयोग आपदा मे कर सकें जहां पर बहुत जरूरी हो वहां पर केवल सांकेतिक कार्यक्रम किए जाएं लाखों के टेंट लाखों का डिनर और लंच हजारों की स्वागत सामग्री, वाहनों का खर्चा बचाया जा इसके अतिरिक्त अधिकारियों का समारोह वाले स्थल की बिजली पानी सड़क आदि पर ध्यान लगा रहता है जबकि उनका ध्यान इस वक्त केवल मात्र आपदा की तरफ होना चाहिए स्वागत समारोह की तरफ नहीं ।
जरूरी नहीं कि इस तरह के समारोह में सरकारी धन का सदुपयोग ही होता होगा जहां सदुपयोग होता है दुरुपयोग होना लगभग स्वाभाविक है धन की बर्बादी होना भी अपरिहार्य है।इस दुरुपयोग को रोक का लोगो के घरों का पुनर्निर्माण किया जाये ।अगर कहीं ज़रूरी हो तो सेरेमोनियल फंक्शन हो ।अतिथियों जमावड़ा ना हो इस संदर्भ में नॉटिफ़िकेशन हो जानी चाहिए। सभी स्कूल कॉलेज और सरकारी संस्थानों में इस तरह के कार्यक्रम पर कम से कम दिवाली तक रोक लगा दी जानी चाहिए और साथ ही प्राइवेट संस्थानों को भी इस तरह के समारोह को ना कर के इस पर खर्च होने वाले राशि आपदा कोष में देने के लिए कहना चाहिए ,जिसके लिए उन्हें प्रशस्ति पत्र दिए जाने चाहिए । और यदि किसी महान विभूति या शख्स के बारे में कोई समारोह हो रहा है तो उस परिवार के सदस्यों को भी स्वयं आगे आकर यह कहना चाहिए कि इस बार यह समारोह ना करके इसका जो खर्चा होना है वह आपदा कोष में दे दिया जाए।
क्योंकि एक तरफ़ गम दूसरी तरफ़ नाचगाना पीड़ा दायक ।🙏🙏🙏
Bksood chief editor
सूद साहब, आपने हालात के अनुसार बहुत ही अच्छा सुझाव दिया है , मैं तो कहूंगा दिवाली तक ही क्यों , इस साल के अंत तक ही ऐसे समारोहों पर रोक होनी चाहिए, क्योंकि जब प्रदेश को आपदा ग्रस्त राज्य घोषित कर दिया गया है और मुख्य राहत तो केंद्र से ही आ रही है और केंद्र की सहायता के बिना तो इस त्रासदी से निजात पाना संभव ही नहीं है तो ऐसे कार्यक्रम करना आपदा प्रभावित लोगों से बेमानी ही होगी , मुख्यमंत्री सुक्खू जी , जी जान से प्रभावित लोगों को राहत के लिए कोशिश कर रहे हैं लेकिन सबसे बड़ी बात है जिन्होंने अपने आशियाने के साथ साथ अपने किसी परिजन को भी खो दिया है फिर सोचने वाली बात है ऐसे कार्यक्रम शोभनीय नहीं अशोभनीय ही साबित होंगे , आपका सुझाव यहां आकर और भी पुख्ता हो जाता है कि जरूरी नहीं ऐसे कार्यकर्मों में धन का सदुपयोग ही हो सूद साहब मेरे हिसाब से ऐसे कार्यक्रमों में हमेशा धन का दुरुपयोग ही होता आया है , इस वक्त हम सभी का प्रथम कर्तव्य प्रभावित लोगों की सहायता करना ही है।
Dr lekh Raj khalet