*भारत में हिंदू त्योहारों पर विवाद ,,एक संवाद :लेखक:- डॉक्टर लेखराज शर्मा*
*भारत में हिंदू त्योहारों पर विवाद ,,एक संवाद :लेखक:- डॉक्टर लेखराज शर्मा*
[9/10, 1:13 PM] Dr. Lekh Raj Maranda: सूद साहब! अब किसी भी त्यौहार मनाने का कोई ओचित्य ही नहीं रहा , आज से पहले मेरे कहने का मतलब जब से सोशल मीडिया का प्रचलन गति पकड़ता गया किसी भी त्यौहार की एक तिथि निश्चित ही नहीं हो रही और मैं समझता हूं ये प्रतिस्पर्धा की दौड़ का ही नतीजा है इस दौड़ की वजह से ही तिथियों का मूल भूल कर अपने ही मत का प्रयोग कर रहे हैं पहले कोई भी व्रत या त्योहार तिथि अनुसार ही होता था और अब समय को बीच में लाया जा रहा है समय को ज्यादा महत्व देकर जो मूल है उसको भूल रहे हैं तिथियों को बार बार काटा जा रहा है जिसके कारण गणित करता भी ( क्योंकि ज्योतिष है ही गणना पर आधारित ) अपनी तिथियों का विश्लेषण पूर्णतया करते हैं तथा अब तिथियां , नक्षत्र , मुहूर्त और व्रत का मुहूर्त भूल कर ( समय भूलकर ) चन्द पलों में ही अभिव्यक्त कर रहे हैं तिथियों का फल चन्द घंटों में पूर्ण कर रहे हैं ये भी भागमभाग और प्रतिस्पर्धा नही दिखाता क्या ? पहले तो बजूर्ग ही सब कुछ बता देते थे कि फलां दिन फलां त्योहार है वोही पत्थर की लकीर हो जाती थी फिर पंचांग देख कर भी भिन्नता क्यों ? जो भी अपने कर्म बंधनों को भूल कर और अपनी बुद्धिमता के अनुसार और विद्वानों के द्वारा किए गए कार्यों को नहीं करता वो बार बार मूर्खता और हंसी का पात्र रहता है , शंका पैदा करने की वजह से ही पंडित लोग भी हंसी का पात्र बन रहे हैं
[9/10, 1:13 PM] Dr. Lekh Raj Maranda: मेरी आयु 70 + है मैंने अपनी जिंदगी में बड़े बड़े प्रकांड ज्योतिषाचार्य या कर्मकांडी देखे हैं या मैं यूं कहूंगा उनसे हमारे पारिवारिक संबंध रहे हैं जैसे में बात करूं दिवंगत पुण्यात्मा सलोह निवासी पंडित शिवचरण जी वो जब पूजा करने भी बैठते थे तो माता जी उनको साक्षात दर्शन देती थीं और उस वक्त वो मां मां कह उठते थे उन्होंने भी कभी एक मुहूर्त से दूसरा नहीं बताया आगे उनके बेटे पंडित ध्रुव जी प्रकांड ज्योतिषाचार्य हैं मजाल क्या एक से दूसरी तिथि की ओर इशारा भी करें ,इसी कड़ी में उच्च कोटि के प्रख्यात ज्योतिषाचार्यों में नाम आता है जिनमे सालन के श्री अंबिका चरण जी और उनके भाई दिवंगत श्री जगतंबा प्रसाद जी जिन्होंने लोगों के कष्टों के निवारण की निवृति हेतु अपनी सरकार सेवा शास्त्री पद से भी त्यागपत्र दे दिया था जब किसी के शब्दों में इतनी ताकत होती है तो मंत्रों की शक्ति का अंदाजा लगाना तो हम लोगों के बश की बात ही नहीं , टांडा राजपुर से जो बाबा बालक नाथ जी के भक्त हैं साधु राम जी और उनकी एक एन जी ओ भी है जिसके माध्यम से वो जरूरत मंदो की हर संभव सहायता करते हैं वो केवल मात्र टीपा को हाथ में पकड़ते ही बगैर खोले ही कई बातें बता देते हैं , उसी प्रकार हमारे दिवंगत ज्योतिषाचार्य पंडित अश्वनी जी भी अग्रिम पंक्ति के ज्योतिषाचारीयों में रहे उनकी बताई गई बातों की भी किसी के पास काट नहीं होती थी , उसी प्रकार पट्टी से प्रकांड ज्योतिषाचार्य और विख्यात कर्मकांडी पंडित विनोद संख्यान, भवारना से विख्यात कथा व्यास वा भागवताचार्य पुरोहित सन्दीप शर्मा और यहीं से दिवंगत ज्योतिषाचार्य पंडित अश्वनी जी के कृपा पात्र पंडित आशीष जी इन्होंने भी हमेशा एक ही तिथि से दूसरी नहीं बताई , सबसे ज्यादा प्रभावित और भ्रमित फेसबुकियों पंडितों ने किया है अता मेरा सभी पूजनीयों ज्योतिषाचार्यों से अनुरोध रहेगा कि जब भी आपके वार्षिक सम्मेलन होता है तो मिल कर त्योहारों की एक तिथि निर्धारित कर लें ताकि सरकार भी छुट्टी उसी दिन की घोषित करे और त्यौहार भी उसी दिन मनाया जा सके , जैसे होली की छुट्टी होली के अगले दिन दी जाती है और होली वाले दिन दफ्तर या संस्थानों में एंप्लॉय कैसे अपने स्थान पर पहुंचते हैं ये सभी उस दिन भली भांति देख कर भी अनदेखा करते हैं, बच्चे पिचकारी से रंगदार पानी मारकर कपड़े भिगो देते हैं फिर भी कार्यालय तो पहुंचना ही है , अब एक बात और भी है हर लीप वर्ष के बाद एक दिन की बढ़ोतरी हो जाती है इसके कारण भी तिथि थोड़ी थोड़ी बढ़ती जाती है और एक तिथि दो दिन आ जाती है ये भी एक कारण है क्योंकि पक्ष ( पख) घटना शुरू हो जाता है, अधिक मास की वजह से भी तिथियां त्योहार आगे जा रहे हैं , नवरात्र और श्राद्ध भी आगे गए हैं मेरे ख्याल में ये अगले संवत से बराबर आ जाएगा , सभी तिथियों का सूर्यदयो के साथ नहीं होता यही कारण है कि इस बार दो श्राद्ध एक ही दिन में इक्कठे आ रहे हैं