*रोडी खलेट वार्ड नम्बर 8 ,नगर निगम पालमपुर ,जूझ रहा बिजली की समस्या से ,पर ध्यान देने वाला कोई नही*
*रोडी खलेट वार्ड नम्बर 8 ,नगर निगम पालमपुर जूझ रहा बिजली की समस्या से पर कोई ध्यान नही दे रहा।*
आज एक दिन को छोड़ कर सुबह से ही बिजली नहीं है , जी मैं बात कर रहा हूं निगम के वार्ड नंबर आठ गांव रोडी की , निगम गठन से पहले तो बड़े बड़े सपने दिखाए गए तब तो ऐसा लगा कि बिजली की समस्या तो रहेगी ही नहीं बाकी इलाका भी स्वर्ग से सुंदर होगा , बिजली का हल तो केवल हाई वे जहां मेरे ख्याल में रात दिन इतनी ट्रैफिक है कि वहां पर तो सोलर लाइट की रोशनी गाडीयों की चमचमाती लाइट के आगे फीकी , या फिर गांव बाली सड़कों पर लगाई गई वहां पर भी छांट छांट कर अपनो को खुश किया गया सबसे ज्यादा जरूरत थी और है गांव की गलियों में जिनको हम स्थानीय भाषा में गोहर कहते हैं वहां तो लगाई नहीं गई और हां सोलर लाइट घरों के अंदर तो बिजली का विकल्प कदापि नहीं हो सकता, पहले तो ये रहा कि निगम कांग्रेस का और सरकार भाजपा की अब तो सब एक है पहले ट्रांसफार्मर जल गया था तब लाइट तीसरे दिन आई इस विकास में भी ट्रांसफार्मर दूसरे दिन क्यों नहीं रखा गया अगर मरांडा में सबस्टेशन है और वहां पर एस डी ओ और जे ई साहब बैठते हैं तो इसका समाधान तो तुरंत हो जाना चाहिए था, आजकल के इस दौर में जहां सारा काम है ही बिजली से फिर क्या बनता होगा कंज्यूमर का ? विभाग के लिए ये सोचने का विषय नहीं क्या , बिजली के बिना सबसे पहले तो पानी की समस्या क्योंकि सभी हैंडपंप अब विद्युतीकृत हैं , जब पानी ही नहीं तो स्कूली बच्चों और दफ्तर जाने बालों की पहली मुश्किल शुरू हो गई , क्योंकि नहाना धोना तो सबसे पहला काम है , कई बार खाना बनाते बनाते बिजली चली गई इंडक्शन बंद और गैस सिलेंडर भी खतम हो तो बच्चों या दफ्तर या काम पर जाने बालों को कितनी मुश्किल आएगी जरा सोचने का विषय है , स्थानीय वासी तो फिर भी कुछ कर सकते हैं मगर माउंट कारमेल स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए बहुत से लोगों ने यहां क्वार्टर ले रखे हैं उनके लिए तो ये मुसीबत किसी पहाड़ से कम नहीं , एक सप्ताह पहले ही जब बिजली तीन दिन के बाद बहाल हुई और तीसरे दिन शाम चार बजे आई तब बाकी मुसीबतें तो रही ही रहीं मोबाइल चार्ज न हो सकने से जो यहां क्वार्टर लेकर रह रहे हैं लोगों का उनका घर पर संपर्क न होने की वजह से दादा दादी या पिता जो कहीं नौकरी कर रहे हैं उनके घर के हर सदस्य को बहुत परेशानी झेलनी पड़ी, ट्रांसफार्मर ही जल गया था वैसे एक बात जो मैं आजतक देखता आया सबसे तुरंत सेवा बिजली के फील्ड स्टाफ बालों की है अफसर दफ्तर से बाहर कब निकलते हैं इसका तो मुझे कुछ पता ही नहीं, आज ( मतलब मैं तीन दिन पहले की बात कर रहा हूं) भी ये फील्ड स्टाफ के तीन मेंबर मतलब फोरमैन और टी मेट्स सुबह से ही इतनी गर्मी में बिना रुके लगे रहे क्योंकि जब ट्रांसफार्मर जला तब लोगों के घरों में पंखे आदि तो जले ही जले खंबों के ऊपर लगे जंपर तक भी जल गए , इन तीनों की मेहनत से ही हम तीसरे दिन अंधेरे में उजाला देख पाए , अगर घड़ी घड़ी फ्यूज जाने की समस्या है तो जेई साहब या एस डी ओ जी को भी इसका संज्ञान लेकर खुद मौका देख कर समस्या का समाधान करवाना चाहिए, कहीं एक फेस पर ज्यादा लोड आने से तो ये समस्या नहीं आ रही है या कोई और कारण है अगर ट्रांसफार्मर कम वाट का है तो लोड के हिसाब से उसको बदलना है ये इन टेक्निकल लोगों का विषय है रोज रोज हमें सुबह उठते ही लाइट के लिए कंप्लेंट कराने का ही काम नहीं रोजमर्रा के और भी तो काम हैं , सरकार अफसरों पर पैसा लुटाती है गाड़ी , बंगला और भी सब कुछ अगर फील्ड स्टाफ के लिए एक मोटर साइकिल भी हो तब जितनी देर में एक कंप्लेंट अटेंड करते हैं उतनी देर में तीन चार अटेंड हो जायेगी क्योंकि एरिया देहन से कसौटी , मरंडा , रोडी से लेकर खलेट तक है , कई बार तो हम लोग कंप्लेंट शाम सात बजे के बाद करते हैं और फिर भी ये कोशिश अटेंड करने की करते हैं और हम लोगों को अंधेरे में नहीं रखते तो मेरी गुजारिश विभाग के उच्चाधिकारियों से रहेगी इस समस्या का हल तुरंत किया जाए।
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