*भाई साहब “आप ” कहां छुप गए ‘सामयिक लेख संजीव थापर*
भाई साहब “आप ” कहां छुप गए , अब देखिए ना “आप ” के
ना आने के कारण राजनीति में एक उदासी सी सिमट आई है । आप के बिना देश को दुश्मनों की नजर लग गई है , यह मुआ “कनाडा” भी अपनी चादर से बाहर आ कर सुरमाई आंखों से आंखे तरेर रहा है
और हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहा है
उसे आभास ही नहीं है कि हम ना जाने कितनी परीक्षाएं उच्च श्रेणी में उत्तीर्ण कर इस स्तर पर पहुंचे हैं और चीन , टर्की , पाकिस्तान और कुछ हद तक छुपे रुस्तम अमेरिका जैसे धुरंधरों को धूल चटाई है । अब ” आप ” हमारे साथ मैदाने जंग में होते और साथ साथ दुश्मनों से कंधे से कंधा मिला कर लड़ते तो माशा अल्लाह क्या बात होती । आप और आपकी फोर्स के मुखावृंद से बोफोर्स के खतरनाक गोलों की मानिंद निकलते शब्दबाण
दुश्मन के खेमें में हलचल मचा देते । आप के आने से हमें भी तो एक फायदा था भाई साहब , अरे क्या पूछा आपने , ” कौन सा फायदा ” ?
ओ हो ! भई फिर हमें इस कनाडा की सर्जिकल स्ट्राइक का प्रूफ देने की जरूरत ना पड़ती । आपका साथ होता , उनका हाथ देश के सर पे और कनाडा के गाल पर होता तो देश को नीचा दिखाने वाली ताकतों का क्या हश्र होता ” यह सवाल ही ना होता ” ! हम देश के तख्तोताज
और सिंहासन की चकाचौंध में खो कर आपस में जितना मर्जी जूतम पताग कर लें किंतु हमारे प्यारे दुश्मनों की इतनी हिम्मत नहीं होनी चाहिए कि हमारे देश को अपनी लाल पीली आंखें दिखाएं । हैं जी ,
मैं ठीक बोल रहा हूं ना जी ।