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*सीएसआईआर- हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआईआर-आईएचबीटी), पालमपुर ने 16-20 अक्टूबर, 2023 तक मेघालय के किसानों और युवा उद्यमियों के लिए कौशल विकास कार्यक्रम का आयोजन किया।*

 

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सीएसआईआर- हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआईआर-आईएचबीटी), पालमपुर ने 16-20 अक्टूबर, 2023 तक मेघालय के किसानों और युवा उद्यमियों के लिए कौशल विकास कार्यक्रम का आयोजन किया।

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सीएसआईआर- हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआईआर-आईएचबीटी), पालमपुर ने 16-20 अक्टूबर, 2023 तक मेघालय के किसानों और युवा उद्यमियों के लिए “कृषि और प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी, मूल्य संवर्धन, और सुगंधित और औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण फसलों के विपणन” पर एक कौशल विकास कार्यक्रम का आयोजन किया। वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक और कार्यक्रम समन्वयक डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि कार्यक्रम में मेघालय के पूर्व, पश्चिम, दक्षिण पश्चिम खासी हिल्स और पूर्व , पश्चिम जैंतिया हिल्स एवं री भोई जिलों के 22 किसानों के साथ-साथ मेघालय बेसिन विकास प्राधिकरण (एमबीडीए) के प्राकृतिक संसाधन संस्थान, शिलांग, मेघालय एवं जिला ग्रामीण विकास एजेंसी (डीआरडीए) के कर्मचारियों ने भी भाग लिया है। उन्होंने अप्रत्याशित मौसम की स्थिति के कारण मेघालय में पारंपरिक खेती करते समय किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों पर जोर दिया।

इस कार्यक्रम में मेघालय के लिए उपयुक्त सुगंधित, पुष्प और औद्योगिक फसलों के लिए उन्नत कृषि और प्रक्रिया प्रौद्योगिकी पर व्यावहारिक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए गए। किसानों को आवश्यक तेल निष्कर्षण तकनीकों, औषधीय और सुगंधित पौधों के खेतों, फसल के बाद के प्रसंस्करण और फसल भंडारण, मूल्य संवर्धन से अवगत कराया गया। प्रतिभागियों को फूलों की खेती, शिटाके मशरूम, मधुमक्खी पालन, हाइड्रोपोनिक और एरोपोनिक्स, बांस उत्पाद, टिशू कल्चर सुविधा, क्रिस्पी फ्रूट प्रौद्योगिकी की भी जानकारी प्रदान की गई ।

कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को कृषि-उद्यमिता को एक करियर विकल्प के रूप में मानने और उनके क्षेत्र में सुगंधित और औद्योगिक फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए प्रेरित करना था। सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक डॉ. सुदेश कुमार यादव ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया और कहा कि संस्थान सीएसआईआर की विभिन्न मिशन परियोजनाओं के तहत किसानों और युवा उद्यमियों के कौशल विकास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होने बताया की सुगंधित और औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण फसलों की खेती कर किसान अपनी आय को दुगना कर सकते हैं। इन फसलों से प्राप्त उत्पादों की अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में भारी मांग रहती है ।

प्रतिभागियों ने संस्थान द्वारा प्रशिक्षित कांगड़ा जिले में सुगंधित फसलों की खेती करने वाले किसानों के खेतों का भी दौरा किया और खेती की जानकारी । डॉ. हाइजिना सियांगबूड, परियोजना वैज्ञानिक, प्राकृतिक संसाधन संस्थान, शिलांग, मेघालय ने संस्थान के वैज्ञानिकों को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और किसानों से फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए नई कृषि प्रौद्योगिकी प्रथाओं को लागू करने का आग्रह किया। किसानों ने कार्यक्रम को जानकारीपूर्ण बताया और अर्जित ज्ञान को लागू करने की उत्सुकता व्यक्त की ताकि मेघालय में कृषि को और अधिक बढ़ावा मिले ।

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