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*#Leader::नेता होने के लिए आवश्यक गुण: लेखिका तृप्ता भाटिया*

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*Leader::नेता होने के लिए आवश्यक गुण: लेखिका भाटिया

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न मैथ आता है न मौत आती है! मैथ की बहन Geometry मुझे इसलिए भी कभी समझ में नहीं आई क्योंकि जब जब मैंने ट्रायंगल देखा उसमें मुझे समोसा दिखा. जब सर्किल देखा, पिज्जा या भटूरा दिखा. इसी तरह जब क्यूब देखा तो वो पनीर का टुकड़ा और कोन में मुझे आइस क्रीम दिखी…!!! अंग्रेजी विदेशी है,तो देशभक्ति में बाधा बनती है। मैं इस से दूर भागती हूँ यह मुझ तक आकर मर जाती है।कभी-कभी तो मेरे द्वारा इसका चीरहरण ही हो जाता है,जैसे कि He goes की जगह he go लिख देते हैं। यह अंग्रेजी वाले किसी बात की पेचीदगी बढ़ा देते हैं, हम तो इशारा कर के come, getout और सर हिला के ही चीजें मैनेज कर लेते हैं। फिर बात आई संस्कृत की, बची कहाँ है अब तो होरोस्कोप भी कुंडली में स्यापा डाल के देख सकते हैं।संस्कृति भी विलुप्त हो रही है, संस्कृत तो दूर की बात है। भगोल के साथ भी बड़ी छेड़छाड़ हो चुकी है। मौसम की मार ही देख लो! उल्का से क्या लेना देना, खाना तो फुल्का है। इकोनॉमिक्स से भी बैर ही चल रहा मुद्रास्फीति समझ नहीं आती और मुद्रा मेरे पास है भी नहीं बड़ी मुश्किल से गुज़रा बसर हो रहा। ड्रॉइंग में भी मुझे हाथी बनाने को बोलो तो बड़ी मुश्किल से पिद्दु बनता था! कहाँ दें अपनी जान इनके बिना कोई टेस्ट निकलना भी मुश्किल है। अब रही बात G K की तो दाबा कोई कर रहा सरकार कोई बना रहा, रातो-रात शहर के नाम बदल जाते हैं।
सार ये है कि मुझमें यह सब न होने का मतलब एक नेता होने के गुण हैं उनका भी इन सबसे कोई लेना-देना नहीं होता।
तृप्ता भाटिया✍️

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