Editorial :*ममता_बनर्जी_और_अरविंद_केजरीवाल_ने_मल्लिकार्जुन_खड़गे_को_इंडिया_गठबंधन_की_ओर_से_प्रधानमंत्री_का_चेहरा_बनाने_की_वकालत_की* Mohindra Nath sofat
21 दिसंबर 2023- (#ममता_बनर्जी_और_अरविंद_केजरीवाल_ने_मल्लिकार्जुन_खड़गे_को_इंडिया_गठबंधन_की_ओर_से_प्रधानमंत्री_का_चेहरा_बनाने_की_वकालत_की)-
अंग्रेजी दैनिक मे छपी खबर के अनुसार गैर भाजपा दलों के गठबंधन ” इंडिया” के दो नेताओं ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता और राष्ट्रीय अध्यक्ष को ” इंडिया” ब्लॉक की ओर से प्रधानमंत्री का चेहरा बनाए जाने की सिफारिश की है। इस सिफारिश के लिए उनका तर्क है कि 81 वर्षीय मल्लिकार्जुन दलित नेता है और इस प्रकार गैर भाजपा गठबंधन दलित मतदाताओ को आकर्षित कर सकता है और उन्हे होने वाले प्रथम दलित प्रधानमंत्री के तौर पर पेश किया जा सकता है। हालांकि यह पहली बार नही सोचा जा रहा है। इससे पहले 1980 मे जनता पार्टी बाबू जगजीवन राम को बतौर प्रथम दलित प्रधानमंत्री के चेहरे के रूप मे चुनाव मे पेश कर चुकी है। स्मरण रहे उस समय यह प्रयोग पुरी तरह असफल रहा था। मल्लिकार्जुन खड़गे का लम्बा राजनैतिक करियर है। वह केन्द्रीय मंत्री, राज्यसभा मे विपक्ष के नेता रह चुके है। वर्तमान मे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष है। वह गांधी परिवार के विश्वास पात्र के तौर पर जाने जाते है, लेकिन उम्र उनके साथ नही है। वह पिछला लोकसभा चुनाव 95000 मतों से हार चुके है। भाजपा उनके और उनके बेटे द्वारा सनातन धर्म पर की गई विवादित टिप्पणियों का राजनैतिक लाभ उठा सकती है।
राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि ममता का खड़गे के नाम को आगे करने के पीछे उद्देश्य केवल नितीश और राहुल की इस पद के लिए दावेदारी को कमजोर करना है। उधर मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह कह कर कि पहले जीतना जरूरी है दोनो ममता और अरविंद के बयानों की गंभीरता को कम करने की कोशिश की है। मेरी समझ मे कांग्रेस हाल मे हुए चुनावों मे जातीय गणना और 50% आरक्षण की सीमा को हटाने जैसे मुद्दो को भुनाने मे असफल रही है, इसलिए उसे ममता और अरविंद के सुझाव पर अमल करने से पहले गंभीर चिंतन करना होगा। मेरी समझ मे नरेंद्र मोदी बनाम मल्लिकार्जुन मे नरेंद्र मोदी हर लिहाज से भारी है। भाजपा को सनातन के नाम पर हिन्दु मतदाताओ को अपने साथ जोड़ने का अवसर मिलेगा और हिंदी वेलट या उत्तर भारत मे अपने आधार को मजबूत करने मे सुगमता होगी। गैर भाजपा दल दक्षिण तक सिमट कर रह जाएंगे। अभी तो “इंडिया ” गठबंधन को सीट शेयरिंग और सांझा कार्यक्रम जैसे मुद्दो पर भी सहमति बनानी है। फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि गैर भाजपा गठबंधन के लिए “अभी दिल्ली दूर है” ।
#आज_इतना_ही ।