पाठकों के लेख एवं विचार

*पाठक_परिवार_को_नव_वर्ष_की_हार्दिक_बधाई_एवं_शुभकामनाएं*

 

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1 जनवरी 2024– (#पाठक_परिवार_को_नव_वर्ष_की_हार्दिक_बधाई_एवं_शुभकामनाएं)-

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आज मैने अपने नियमित ब्लॉग के दस वर्ष पुरे कर लिए है। इन दस वर्षों मे जो स्नेह और आदर मुझे अपने पाठको से मिला वह हमेशा स्मरण रहेगा। मेरा पहला परिवार अपना परिवार था। मै चार भाई- बहनो मे सबसे छोटा होने कारण सबके स्नेह का पात्र रहा। मेरे पिता जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक और भारतीय जनसंघ के समर्थक थे। उनके प्रोत्साहन के चलते मै भी पहले संघ, फिर विद्यार्थी परिषद से होते हुए जयप्रकाश नारायण आन्दोलन का हिस्सा बना। हिमाचल छात्र संघर्ष समिति के महासचिव होने के चलते मुझे भी आपातकाल मे जेल मे डाल दिया गया। वहीं मेरा शांता कुमार जी,दौलत राम चौहान जी, राधारमण शास्त्री जी, कंवर दुर्गा चंद और श्यामा शर्मा जी जैसे बड़े नेताओं से परिचय हुआ। इसी परिचय के चलते पहले जनता पार्टी और फिर भाजपा मे सक्रिय होने का अवसर प्राप्त हुआ।भाजपा का यह शुरुआती दौर था। उस समय यह सोचा नहीं जा सकता था कि भाजपा कभी इतनी बड़ी पार्टी बन कर उभरेगी और सारे देश पर शासन करेगी। तब दूर-दूर तक संघर्ष ही दिखाई देता था। नारे,धरने,प्रदर्शन और पुलिस की प्रताड़ना हमारे जीवन का हिस्सा थे। कार्यक्रम के आयोजन के लिए न्यूनतम संसाधनो की पूर्ति बड़ी कठिनाई से हो पाती थी, लेकिन सभी प्रकार की कठिनाइयों और संघर्ष के बावजूद कभी निराशा नहीं होती थी क्योंकि उन दिनों भाजपा एक पार्टी के तौर पर कम, एक परिवार के तौर पर अधिक काम करती थी।

खैर समय बदला समाज की सोच के साथ भाजपा का कल्चर भी परिवर्तित हो गया। इस परिवर्तन के साथ स्नेह भाव का स्थान प्रतिस्पर्धा ने ले लिया। इसी प्रतिस्पर्धा ने मेरे जैसे कुछ कार्यकर्ताओं को भाजपा मे हाशिए पर जाने के लिए मजबूर कर दिया। मै और मेरे कुछ दोस्तो ने निष्क्रियता का दामन थाम लिया, लेकिन सामाजिक और राजनैतिक विषयों मे रूची बनी रही। चंद दोस्तो से विचारों के आदन- प्रदान को छोड़कर ऐसे मंच या अवसर सीमित हो गए जहां पर अपने मन की बात की जा सके। यह क्षण ऐसे सामाजिक प्राणी के लिए बहुत कोफ्त भरे थे जिसने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा सक्रिय राजनीति मे लगाया हुआ हो। ऐसे समय सोशल नेटवर्किंग काम आया।हालांकि मेरी लेखन मे कभी दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन बात कहने के लिए कोई मंच नही था तो दोस्तो के कहने से ब्लॉग लिखना शुरू किया। पहला ब्लॉग इंग्लिश मे धर्मपुर के ज्ञानी ढाबे पर लिखा तो आप पाठकों ने खूब पंसद किया। फिर मैने ” यादों के झरोखे” श्रृंखला मे अपने राजनैतिक जीवन के उतार-चढ़ाव की कहानी सांझा की। मैने जनता पार्टी और भाजपा के अपने स्मरण भी अपने ब्लॉग के हिस्सा बनाए। राजनेताओं और अफ़सरों के रिशतो पर लिखी गई मेरी श्रृंखला आपने और अफ़सरों ने दिलचस्पी के साथ पढ़ी और सार्थक प्रतिक्रियाएं प्रेषित की। मैने विधायकों को मिलने वाली पैशन जैसे अलोकप्रिय विषय पर अपने विचार रखे और उसकी पृष्ठभूमि को आप पाठकों के साथ सांझा किया। दस वर्ष से कुछ अपवाद दिनो को छोड़कर मै नियमित ब्लॉग लिख रहा हूँ। यह आपके सहयोग और प्रोत्साहन से ही संभव हो पा रहा है। कुछ पाठको का यह लिखना कि हमे आपके ब्लॉग का इतंजार रहता है मुझे ब्लॉग लिखने लिए प्रेरित करता रहा । मै आपसे मिलने वाले प्रोत्साहन को अपने पिता जी से मिले प्रोत्साहन के बराबर मानता हूँ। इस प्रोत्साहन, स्नेह और आदर के लिए मै हमेशा अपने पाठक परिवार का कृतज्ञ रहूंगा।
#आज_इतना_ही !

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