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Butail family Palampur *पालमपुर को बुटेल फैमिली की बहुत देन है*

बुटेल फैमिली की शराफत का कोई सानी नहीं! और पालमपुर में कोई इन जैसा दानी नहीं!!

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Butail family Palampur :-

*पालमपुर को बुटेल फैमिली की बहुत देन है*

Tct chief editor

#bksood
है तो कड़वा पर है सच ,कि पालमपुर को बुटेल फैमिली की बहुत देन है। आज से कुछ वर्ष पहले पालमपुर एक छोटा सा शहर हुआ करता था इसके पास बहुत सा ग्रीन एरिया था और वह ग्रीन एरिया धीरे-धीरे भवनों द्वारा आच्छादित कर दिया गया । पालमपुर में जमीनों की कीमतें आसमान छूने लगी, जैसे-जैसे आबादी बढ़ती गई भवन निर्माण बढ़ता गया लोगों की सोच और संकुचित होती गई। आज आलम यह है कि लोग एक-एक इंच जमीन के लिए लड़ते हैं झगड़ते हैं गाली गलौज करते हैं फौजदारी करते हैं कोर्ट कचहरी करते हैं परंतु 1 इंच जमीन अपने हिस्से की नहीं छोड़ सकते, चाहे वह उनका पड़ोसी हो या नजदीकी रिश्तेदार ही क्यों न हो।
कहते हैं जिसके पास जितना अधिक हो वह उतना ही कंजूस होता है ,फिर वह जमीन हो ,धन हो या संपत्ति।
पालमपुर में बुटेल फैमिली के अलावा और भी बहुत से लोगों के पास काफी जमीने है परंतु वे लोग अपनी जमीन का 1 इंच हिस्सा भी सार्वजनिक धर्मार्थ या लोकहित के लिए नहीं छोड़ते ।
पालमपुर की बुटेल फैमिली ही एक ऐसी फैमिली है जिनके पास जमीन काफी है, और संसार के,,, या यूं कहिए कलयुग के नियम के हिसाब से उन्हें सबसे ज्यादा कंजूस होना चाहिए था ,परंतु सूद होने के बावजूद भी यह फैमिली इतनी दिलेर है कि आज पालमपुर में बहुत सी ऐसी जगह हैं जो इन्होंने सार्वजनिक हित के लिए दान की है । फिर चाहे वह स्कूल हो, मंदिर हो, कॉलेज हो ,सड़क हो ,ट्रांसफार्मर हो ,सबस्टेशन बनना हो, हैंडपंप लगना हो ,पाइप लाइन बिछनी हो ,बिजली हो, बिजली की तारे जानी हो,पानी के कनेक्शन देने हो ,या सीवरेज जो अभी बननी है ,टेलीफोन की तारें या खंबे लगने हो ,उस लोकहित कार्य के लिए कहीं पर भी जरूरत पड़े तो यह फैमिली कभी पीछे नहीं हटती ।
पालमपुर का डीएवी स्कूल हो या फिर केएलपी कॉलेज हो या राम मंदिर हो या कोई ट्रांसफार्मर लगना हो हैंड पम्प लगना हो, इस फैमिली ने दिल खोलकर लोगों के सुख के लिए ,लोगों के हित के लिए जमीने छोड़ी है ,जमीन दान की है।
कोई भी छोटी मोटी सड़क निकलनी हो या पाइप लाइन जानी हो ,लोगों के पीने की पाइप निकलनी हो ,कुहल बननी हो, या फिर कोई मन्दिर या डिस्पेंसरी हो यह फैमिली लोगों के हित के लिए जमीन छोड़ते ही हैं ।
जनहित के लिए सरकार के बाद शायद सबसे अधिक जमीन इसी फैमिली ने छोड़ी है ।
पालमपुर में आप, किसी से भी, जिनके पास अधिक जमीने हैं 1 इंच की भी उम्मीद नहीं कर सकते हैं ।आजकल आलम यह हो गया है कि लोग अपनी जमीनों के नीचे से आधी इंच की पानी के पीने की पाइप नहीं निकलने दे रहे ।जमीन के ऊपर से हवा में टेलीफोन की तारें या फाइबर या वाईफाई की केबल नहीं निकलने दे रहे ।
लोग अपनी जमीन के आगे सड़क पर भी लोगों के वाहन खड़े नहीं होने दे रहे ।सड़कों पर नालियां नहीं निकलने दे रहे ,तो फिर ट्रांसफार्मर स्कूल या कॉलेज की तो बात क्या कहें! जबकि यदि किसी की जमीन से के नीचे से 12.5mm की पाइप निकल भी जाए तो उससे जमीन पर किसी प्रकार का कोई भी फर्क नहीं पड़ेगा ,किसी का कोई कब्जा नहीं होगा ,परंतु इसके लिए शायद दिल की ,दिलेरी की,आवश्यकता है ।
कुछ लोग तो यहां पर इतने परेशान हैं कि उन्हें पीने का पानी तक, बहुत दूर से लाना पड़ रहा है क्योंकि दूसरी जमीन वाले उन्हें अपनी जमीन के नीचे से आधे इंच की पाइप भी नहीं निकलने देते। और ऐसा नहीं है कि जो लोग पानी की पाइप या केबल का कनेक्शन नहीं निकलने दे रहे उनके पास जमीन की कमी है वह भी कई कई बीघा जमीन के मालिक हैं, उल्टा उन्होंने आसपास की जमीनों को कब्जा जमाया हुआ है,, या सरकारी जमीन पर कब्जा किया हुआ है जबकि उनके पास भी संसाधनों या जमीन की कमी नहीं है ।
ताजातरीन उदाहरण है कि जिओ फाइबर वालों ने एक मोहल्ले में जिओ के कनेक्शन देने के लिए जी तोड़ मेहनत और मिन्नतें कर ली कि, फाइबर लाइन जाने दीजिए इससे आपको कोई नुकसान नहीं होने वाला आपके पड़ोसी हैं खुश हो जाएंगे परंतु पड़ोसियों ने अपने घर के आस-पास से तार नहीं निकली थी और अंततः उस घर में वाईफाई का कनेक्शन नहीं हो पाया । क्या यह सोच ठीक है ?क्या इस तरह की सोच सामाजिक सौहार्द बढ़ाने के लिए सही है ?और अगर यही सोच सही है तो सरकार को कुछ ऐसे नियम बनाने चाहिए कि जो जीवन के लिए आवश्यक चीजें हैं जैसे बिजली पानी टेलीफोन या अन्य सुविधाएं जिसके बिना जीवन नहीं चल सकता उसे कोई भी मालिकाना हक रोक नहीं सकेगा ऐसा नियम और कानून होना चाहिए ।
अगर जमाना अधिक तरक्की कर गया और हवा तथा सूरज की रोशनी को भी उसने अपने कंट्रोल में कर लिया 😅तो शायद उस जमाने में यह होगा कि लोग हवा को कंट्रोल कर के अपने पड़ोसी के घर में हवा भी नहीं जाने देंगे, सूरज की रोशनी भी नहीं आने देंगे ,है तो यह एक परिकल्पना परंतु विज्ञान ने अगर ऐसा कोई चमत्कार कर दिया तो शायद लोग हवा पानी व सूरज की रोशनी के लिए भी तरस जाएंगे ।
कहते हैं कि सूद कंजूस होते हैं परंतु पालमपुर में एक सूद ही हैं जो सबसे अधिक दान करते हैं और जिन्होंने सबसे अधिक भूमि और धन दान मे दी है। जिसका ताजातरीन उदाहरण है कि अभी हाल ही में हमारी सोसाइटी को चौपाटी में हैंडपंप तथा बिजली के ट्रांसफॉमर्स तथा IPH के बोरवेल के लिए प्राइम कमर्शियल जमीन लोगों के हित के लिए दान दी है। जिसकी कीमत आज के डेट में लाखों रुपए है जहां पर 3 -4 दुकाने निकल सकती थी… जो लोग अपनी जमीनों से आधे इंच की पाइप नहीं निकलने देते वहीं पर इनके बगीचों से 3-3 मीटर की कूहलें हैं और वह भी किलोमीटर के हिसाब से तथा आईपीएच की बड़ी-बड़ी पाइप लाइंस इनके बगीचों से होकर निकल रही है, जिससे किसानों तथा आम आदमियों को पानी की सप्लाई हो रही है।
सोचो अगर इन्होंने भी वह आधी इंच वाली मानसिकता रखी होती तो आज पालमपुर में पानी कहां से निकलता बिजली कहाँ से आती।
आलोचना करना आसान है ,परंतु वास्तविकता आलोचना करने वालों को भी पता होती है ।
जितनी जमीने इन्होंने दान में दी है उनसे आज इस फैमिली को करोड़ों की आमदनी हो सकती थी।
बुटेल फैमिली की शराफत का कोई सानी नहीं!
और पालमपुर में कोई इन जैसा दानी नहीं!!
अभी हाल ही में शांता कुमार जी ने विवेकानंद मेडिकल इंस्टिट्यूट होल्टा के 15 साल पूरे होने पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि जब पालमपुर के लिए VMI बनना शुरू हुआ था तो1994 में, कुंज बिहारी बुटेल जी स्वयं उनके पास आकर ₹51000 का चेक देकर गए थे हालांकि दोनों ही परिवार एक दूसरे के राजनीतिक तौर पर धुर विरोधी हैं।

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One Comment

  1. इसमें कोई दो राय नहीं कि पालमपुर के विकास में बुटेल परिवार का बहुत योगदान रहा और ये सिलसिला स्वर्गीय श्री कन्हैया लाल बुटेल जी , स्वर्गीय श्री बंसी लाल बूटेल जी , स्वर्गीय श्री कुंज बिहारी बुटेल जी के समय से चल कर श्री बृजबिहारी लाल बुटेल जी ,वर्तमान विधायक श्री आशीष जी जो अपने मधुर स्वभाव और मिलनसारी से भी लोगों में बहुत प्रिय हैं और इसी मधुरता और मिलनसारी की मिसाल में श्री गोकुल जी भी पीछे न रहकर आई टी एडवाइजर के तौर पर केवल पालमपुर के ही नहीं समूचे प्रदेश के विकास में अपना योगदान कर रहे हैं और इस विकास में केवल इन पुरषों का ही नहीं इस परिवार की महिलाओं का भी बहुत योगदान रहा है , शांता जी के योगदान को भी कमतर नहीं आंका जा सकता लेकिन फर्क ये है कि उन्होंने सब कुछ सरकारी तौर पर किया , विधायक या मंत्री कोई भी हो वो सरकारी धन से अपने क्षेत्र का विकास तो करवाता ही है मगर बुटेल परिवार ने अपना बहुत कुछ लगाकर भी पालमपुर के विकास में कमी नहीं आने दी, dr lekh Raj

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