आज किसान आंदोलन को एक साल पूरा हो गया ।तीन कानून वापिस लेने के बाद भी आंदोलन जारी है ।1946 से लेकर आज तक जितने भी किसान आंदोलन हुए है इसमें कोई शक नहीं उनमें राजनीतिक बिसात भी बिछी ओर किसानो की बेहतरी के लिए कुछ कदम भी उठे । जैसे भूदान आंदोलन भी जमीदारों के द्वारा किसानों के शोषण के खिलाफ था इसके बाद सरकारों की नींद भी टूटी और वास्तविक किसानों को उनके अधिकार कानून के द्वारा दिए गए ।लेकिन भारत में किसानों को सबसे अधिक मार मौसम की भी पड़ती है और किसानों की फसल के रख रखाव के साधन विकसित नहीं हो पाए । ,कृषि आधारित अर्थ व्यवस्था और कृषि पर ही 60 प्रतिशत जनता की निर्भरता ने इसे और जटिल बना दिया ।किसानों को महंगे वीज , महंगे उर्वरक ,महंगा पानी , महंगे डीजल ,महंगी बिजली ने बहुत मुश्किल में डाल रखा है ,क्योंकि लागत से कम भाव मिलना लगातार किसानों की कमर तोड़ रहा है । शांता रिपोर्ट के अनुसार एमएसपी पर केवल 6 प्रतिशत फसल खरीदी जाती है बाकी की फसल का माकूल भाव नहीं मिलता ।वैकल्पिक आय के साधन ना होने से छोटे किसान कर्ज
के दलदल में फंस कर आत्महत्या कि ओर बढ़ते है । आज तक कागज़ो पर कृषि पर बहुत अध्ययन के बावजूद धरातल पर किसान मुश्किल में है इसमें कोई दो राय नहीं है । अधिकांश जनता गरीब होने के कारण अधिक मंहगा अनाज भी नहीं खरीद सकती । सरकार को दोनों तरफ समन्वय बिठाना होगा ।किसानों की मज़बूरी और समस्यायों को बहुत गहनता से समझना होगा
अगर विकसित देश जहां कृषि पर आधारित जनसंख्या बहुत कम है वहां भी किसानों को बहुत कुछ नकद और सब्सिडी के रूप में किसानों को दिया जाता है ।जब कि हमारे देश के अर्थशास्त्री भी दो भागो में विभाजित है इस समस्या पर । इसमें कोई शक नहीं कि किसानों को बिजली और डीजल कम दर पर उपलब्ध करवाना चाहिए , अच्छा बीज भी सुलभ होना चाहिए ,उर्वरक भी सस्ते होने चाहिए । नई कृषि तकनीक उपलब्ध करवाने में भी सरकार को सार्थक पहल करनी चाहिए ।कृषि और कुशलता पर निवेश अधिक होना चाहिए ।वैकल्पिक कृषि आधारित आय के साधन बढ़ाने होंगे । फसल खरीद का भुगतान 14 दिन के भीतर हो जाना चाहिए । दूसरी तरफ एमएसपी पर भी सरकार को देर सवेर फैसला लेना ही होगा । इसके इलावा किसानों को बाजार को भी समझना होगा और उन्हें अपनी फसलों से अधिक आय प्राप्त करने के लिए उन फसलों की और ध्यान देना होग जिनकी मांग बाज़ार में अधिक हो ।निजी क्षेत्र को प्रोसेसिंग प्लांट फसल उत्पादित क्षेत्रों को निकट लगाने चाहिए जिससे इन में किसानों के परिवारों को भी कार्य मिल सके और उनकी आय में बढ़ोतरी हो । सरकार को गतिशील होना ही चाहिए और जनता को भी किसानों पर इल्ज़ाम लगाने से पहले वस्तुस्थिति समझनी चाहिए ।यह भी एक सत्य है कि हर आंदोलन में राजनीति अपनी जगह तलाश करती है और किसानों को सीधा इनके हाथों में नहीं खेलना चाहिए ।