पाठकों के लेख

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tricity times
जितना भूल सकते हों उतना ही याद रखिये
यादाश्त का कमज़ोर होना कहीं अच्छा भी हो सकता है
लोग एहसानों को ही नहीं इंसानों को भी भूल जाते हैं!
मौन मुस्कुराहट की चादर में अपने व्यक्तित्व को कफ़न डाल कर कही दूर छोड़ दीजिए क्योंकि अगर आपका व्यक्तित्व रिश्तों को बचाये रखने के लिए आत्मसम्मान तक को परे छोड़ सकता है तो फिर आप सदैव दुःख में रहेंगे। आप कुछ भी कर लें , कितनी भी कोशिश कर लें जो आपसे किनारा करना चाह रहे वह आपके प्रयास को अनदेखा कर देंगे। बेहतर है सब देखिये समझिये और मुस्कुरा कर इग्नोर कीजिये किसी के पीछे बेजरूरत भागने से अच्छा है ठहर जाना, रुक जाना खामोश हो जाना।
आप हमेशा खुद से ज्यादा अपनों, से ज्यादा दुसरों को तवज़्ज़ो दें, उनकी परेशानियों को अपना समझें, खुद की स्थिति बेहतर न होते हुए भी उनके लिए सब बेहतर करने की कोशिश करें, उनके लिये झूठ बोले गालियां खाए मगर हासिल कुछ न होगा। आपको अफसोस नहीं होगा न ही प्रवृति बदल जाएगी। आप आज भी वही होंगे जो कल थे लेकिन एक टीस सदैव उठती रहेगी कि आखिर कमी कहाँ हो गयी, कहाँ चूक गए या हम सच में ही बेवकूफ थे। खैर मज़े की बात तो यह है कि लोग भूल भी बहुत जाते है सिर्फ एहसानों को नही इंसानों को भी।
