त्रिपुरा में छाया भगवा का जलवा
(#त्रिपुरा_निकायों_के_चुनावों_मे_भाजपा_की_जीत_किसी_चमत्कार_से_कम_नहीं) —
महेंद्र नाथ सोफत पुर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार
पिछले कल त्रिपुरा मे निकायों के चुनावों के परिणाम आए है। इन चुनावों मे भाजपा ने ऐतिहासिक जीत हसिल की है, हालांकि चुनावों मे हार – जीत आम बात है लेकिन कुल 334 सीटों मे से 329 सीटें जीत लेना किसी चमत्कार से कम नहीं है। एक यह भी बड़ी बात है कि भाजपा ने सभी 334 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे और 112 सीटों पर निर्विरोध भाजपा उम्मीदवार जीत कर आए है। इसी प्रकार अगरतला नगर निगम की कुल 51 सीटों पर भाजपा अपना परचम फहराने मे सफल रही है। स्मरण रहे यह चुनाव कृषक बिल वापिसी के बाद सबसे पहले होने वाले चुनाव थे। तृणमूल कांग्रेस के भी यह पश्चिम बंगाल के बाहर पहले चुनाव थे और ममता दीदी को सारे त्रिपुरा चुनावों मे केवल एक ही सीट पर सन्तोष करना होगा। जबकि तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल से बाहर अपने पांव पसारने के इरादे जगजाहिर कर चुकी है। ऐसे मे यह परिणाम तृणमूल कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व मे वामपंथ मोर्चा को केवल तीन सीटें मिल सकी है। अपनी आदत के अनुसार यह हारने वाली पार्टियाँ चुनावों की पारदर्शिता पर उंगली उठा रही है, क्योंकि उनके लिए इतनी बड़ी हार पचा पाना सरल नहीं है। जब भी भाजपा जीत हासिल करती है तो देश का विरोध पक्ष ई.वी.एम पर एतराज जताता है और हेराफेरी के आरोप लगाता है। जब उसी ई. वी .एम प्रक्रिया से भाजपा हार जाती है तो ई. वी. एम इन पार्टियों को सही लगती है। हालांकि इन हारी हुई पार्टियों को उंगली उठाने का पुरा लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन इन्हे अपने आरोपों को साबित भी करना होगा। खैर त्रिपुरा मे भाजपा को मिली यह ऐतिहासिक जीत भाजपा के कार्यकर्ताओं मे जोश भरने का काम करेंगी। यह एक तरफा चुनाव परिणाम चौंकाने वाले तो है ही साथ मे किसी चमत्कार से कम भी नहीं है।
