पालमपुर शहर निराला ,जिसका रब ही रखवाला

Bksood chief editor

वैसे ऐसी तस्वीरें सोशल मीडिया पर नहीं डालनी चाहिए क्योंकि यह तस्वीर शेयर करने लायक नहीं होती है, जब कोई ना सुने तो शायद मजबूरी में ऐसा करना पड़ता है ।
एक बार नहीं दो बार नहीं शायद दस बार लिखा गया कहा गया होगा हाथ जोड़े गए प्रार्थना की गई की शहर के बीचो बीच Embassy sweets के सामने यह कैसा टॉयलेट है जो पहले नगर परिषद को शर्मसार करता रहा, और अब नगर निगम को शर्मसार कर रहा है, यह टॉयलेट लगभग ओपन है व्यस्तता भरे रास्ते में है जिसे शहर के अधिकतर दुकानदार इस्तेमाल करते हैं।
और सबसे बड़ी त्रासदी यह है कि यह एक सब्जी की दुकान के पीछे जहां से शहीद विक्रम बत्रा जी के घर की ओर रास्ता जाता है यहां से महिलाएं गुजरती हैं और साथ में ओपन टॉयलेट हैं।😥
आप सोचिए जब कोई वहां पर रिलैक्स /फ्रेश होने जाता होगा तो वहां से गुजर रही महिलाओं बेटियों और बहनों पर क्या गुजरती होगी 🤔😥क्योंकि इस टॉयलेट में कोई दरवाजा नहीं है कोई प्रिवेसी नहीं है,😢 सब कुछ ओपन में 😢महिलाएं अपना सिर झुका कर खुद को पूछती होंगी हम कहां रह रहे है या गलत रास्ते पर आ गयी।
परंतु फिर वह सोचती होंगी कि रास्ता तो सही है परंतु सिस्टम गलत है ,सोच गलत है ,और महिलाओं की इज्जत की किसी को परवाह नहीं ।
विडंबना देखिए कि इस रास्ते से शहर की कितनी ही महिलाएं हर रोज सिर झुका कर निकलती है
उनके सम्मान के बारे में सोचने को कोई तैयार नहीं ।
और यह हाल तब है जब शासन और सरकार महिलाओं के सम्मान बड़े-बड़े स्लोगन बोलती है उनकी तरक्की उनकी उन्नति के बारे में बडी बड़ी बातें होती हैं।
अगर यहां पर एक ढंग का वॉशरूम बना दिया जाए और अगर निगम के पास इतने पैसे नहीं है कि वहां पर ढंग का वॉशरूम ना बन सके तो कम से कम इसी पुराने वॉशरूम में सही ढंग से दरवाजा तो लगा दिया जाए 😥
परंतु इसमें ना जाने नगर निगम का कितना खर्चा हो जाएगा और इसमें ना जाने कितनी बड़ी टेक्नोलॉजी लगेगी।
यहाँ पर न केवल महिलाएं ही शर्मसार होती हैं परंतु इसको इस्तेमाल करने वाले लोग भी जब महिलाओं को सिर झुका कर जाते देखते हैं तो वे खुद भी आंखें झुका लेते हैं।
इतना ही नहीं यहां पर बदबू और गंदगी का अंबार लगा रहता है ।साथ में सब्जी की दुकान सटी हुई है वहां पर कितनी सफाई और हाइजीन रहती होगी यह आप स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं ।और हमारा यह ओपन ऑफर है कि अगर नगर निगम के पास इतने पैसे नहीं है तो नगर निगम या तो मुझे या हमारी संस्था को अधिकृत करे कि हम उसे कम से कम इस्तेमाल (गोपनीयता से) करने लायक बना दें। सारा खर्चा हम स्वयं कर लेंगे।
यह मामला मैंने पहले भी कई बार उठाया परंतु कुछ नहीं होता यह शहर का अकेला ऐसा वॉशरूम नहीं है बल्कि सैनिक रेस्ट हाउस के पास भी ऐसा ही नजारा देखने को मिलता है।
पता नहीं क्यों हम इन छोटी-छोटी बातों की तरफ ध्यान नहीं देते जो कि सामाजिक तौर पर बहुत ध्यान रखनी चाहिए। यह मान लेते हैं कि किसी काउंसलर को इस बारे में पता नहीं लेकिन उनके संज्ञान में ऐसी बातें लाने के बावजूद भी कोई कार्यवाही नहीं होती जो कि दुख का विषय है ।कोई भी सभ्य समाज इस तरह के बदतमीजी भरे washroom को अनुमोदित नहीं करेगा।
यदि निगम के पास इस वित्तीय वर्ष में इसके नवीकरण या दरवाजा लगाने के लिए पैसे नहीं है तो मैं जिन संस्थाओं से जुड़ा हूं जैसे हिम जन कल्याण संस्था , Shani Seva Sadan
NGO parivartan , Mission against corruption , East Aima Resident Society Sood Sabha Aima Palampur आदि आदि , उन संस्थाओं की ओर से ओपन ऑफर है की आप हमें NOC दीजिए हम इन दोनों टॉयलेट्स को कम से कम इतना तो बना ही देंगे ताकि महिलाएं वहां से जाने में शर्माए न, कतराएं न, और सिर झुकाएं ना।