पाठकों के लेख एवं विचार

history of LOHRI

बी के सूद चीफ एडिटर

Bksood chief editor

फिर आ गई भंगड़े की बारी; लोहड़ी मनाने की करो तैयारी; आग के पास सब आओ; सुंदर- मुंदरिये जोर से गाओ;

history of LOHRI

बात उस वक्त की है जब देश में मुगलों का राज था दूर पंजाब में एक गाँव था पट्टी और वहाँ एक हिन्दू परिवार रहता था हिन्दू की दो बेटियाँ थीं सुन्दरी और मुन्दरी दोनो खूबसूरत थीं और गाँव के तहसीलदार नवाब खाँ की उन दोनों पर बुरी नजर थी और एक दिन नवाब खाँ ने ऐलान कर दिया कि मकर संक्रान्ति के दिन मैं हिन्दू की दोनों बेटियों को उठा ले जाउँगा और शादी कर लूँगा और यह सुन हिन्दू का परिवार रोने लगा तो गाँव वालों ने गाँव के दबंग दुल्ला सरदार (सिक्ख) को गुहार लगाई क्योंकि नवाब खाँ दुल्ला सरदार से डरता था तो पुरी बात सुनने के बाद दुल्ला सरदार ने हिन्दू से कहा कि तुम अपनी बेटियों के लिये तुरंत योग्य वर ढूंढो तो तेरी बेटियों की शादी मैं करवा दूँगा तब गाँव वालों ने फटाफट दो वर ढूंढे और दुल्ला ने मकरसंक्रान्ति के एक दिन पहले ही गाँव के चौराहे पर सरेआम अग्नि जलाकर उन लड़कियों का विवाह करवा दिया तब से पंजाब के हिन्दू हर मकरसंक्रान्ति के एक दिन पहले चौराहों पर आग जलाकर सिक्खों का धन्यवाद करते हैं और गीत गाकर दुल्ला सरदार को याद करते हैं

सुन्दर मुन्दरिये ओ तेरा कौन सहारा ओ दुल्ला पट्टी वाला ओ दुल्ले ने धी ब्याही ओ झोली शक्कर पाई ओ।।।।।।

संकलन अनिल व्यास

Anil vyas

 

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