*पाठकों के लेख; उमेश बाली*
युद्ध

युद्ध कोई भी हो आज की दुनियां में ,जब तकनीक बहुत आगे बढ़ चुकी है और दुनिया सिमट चुकी हो , तो इसकी विभीषिका से कोई भी नहीं बच सकता । अगर वर्तमान यूक्रेन रूस लंबा खिंचता है तो अवश्य ही मानवता के लिए खतरा बन जाएगा चाहे परमाणु शक्ति का प्रयोग हो या ना हो । यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्थाएं और रूस , युक्रेन की अर्थ व्यवस्था की कोई बहुत अच्छी हालत इस समय भी नहीं । अमेरिका , इंगलैंड आदि देशों के लोग महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रहे है जैसे हमारे देश में।
बहुत जल्दी उन लोगो को इसके परिणाम नज़र आयेंगे जब गैस और तेल के दाम नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे और मुझे डर है कि भारत में पेट्रोल 150 रुपए और सिलेंडर 1500 पर ना पहुंच जाए । मेहंगाई इस समय ही 6 प्रतिशत है और जनता त्रस्त है।लोगो की छोटी छोटी बचते समाप्ति की तरफ बढ़ रही है जो बढ़ती हुई आर्थिक वृद्धि को फिर ब्रेक लगा सकती है । हम भूखे और कुपोषित बचपन पर अभी ब्रेक नहीं लगा पाए है ।हम महामारी के बाद आंशिक रूप से संभले है और फिर गर्त ने गिर सकते है । बच्चो का शारीरिक विकास और मानसिक दोनों तबाह हो सकते है । परिवारों को एक बार फिर उजड़ते हुए देख सकते है ।
युद्ध चाहने वाले लोग इस बात को नहीं समझ रहे है । रूस और युक्रेन दोनों ही गरीबी की मार झेल चुके है , लेकिन अक्सर तानाशाह लोग , चाहे पुतिन हो या जिनपिंग इस बात की चिंता नहीं करते की उनकी आबादी या जनता का क्या होगा । मेरा लेख किसी राजनीतिक पक्ष या विपक्ष के लिए नहीं है केवल युद्ध की विभीषिका और गरीबी पर केन्द्रित है । भारत के बीस हजार युवाओं का भविष्य और दस से 50 लाख रुपए तक धन हर युवा परिवार का दाव पर लग चुका है । अगर युद्ध लंबा चलता है तो बीस हजार युवा और इनके परिवार आर्थिक तौर पर तबाह हो सकते है जिन्हें शिक्षा लोन ले कर बच्चो को पढ़ने भेजा होगा । वास्तव में हालात और स्थितियां उतनी आसान नहीं होती जितना सामान्य लोग समझ लेते है । देश को दस से पचास करोड़ का झटका युवाओं को सुरक्षित निकालने पर लग गया है जो देश के लिए छोटी रकम हो सकती है लेकिन नुकसान तो है ही जो कहीं बेहतर जगह पर निवेश हो सकता था। हमने कुपोषित और भूख से मरते बच्चे की एक भयावह तस्वीर देखी थी कि कैसे एक गीध बच्चे के मरने का इंतजार कर रहा था , मेरी कामना है दुनिया को मेरे भारत को ऐसी तस्वीरें ना देखनी पड़े इस लिए युद्ध का समर्थन नहीं अपितु विरोध होना चाहिए और कूटनीतिक और राजनीतिक स्तर पर ऐसे प्रयास होने चहिए । उ बाली ।
