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*टीवी चैनलों पर युद्ध व्यंग :-Hemant sharma*

टीवी चैनलों पर युद्ध
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Bksood chief editor tct

मैनें कनफ्लिक्ट एरिया से एनकाउंटर आदि की रिपोर्टिंग जरूर की है। युद्ध कभी कवर नहीं किया। सो कह नहीं सकता, वहां कैसी हालत होती है। लेकिन अपने देश के कई टीवी चैनलों को देखता हूं तो लगता है यहां भी जबरदस्त वार रूम बने हुए हैं। यूक्रेन में निश्चित तौर पर हालत खराब होगी लेकिन इन चैनलों में भी कुछ कम नहीं है। वैसे चीख-पुकार करते एंकर देखने की आदत तो हमें बहुत पहले हो चुकी थी। वो भी बिना युद्ध के। अब तो युद्ध छिड़ा हुआ है। अब देख रहा हूं दो-तीन दिन से विशेषज्ञ भी गज़ब का चिल्लाने लगे हैं। खास बात यह है कि बहुत से एंकरों की जानकारी उस तरह की नहीं होती जैसी होनी चाहिए। उन्हें लगता है कि चीख कर बोलने से शायद कमियां कवर हो जाती है। बोल भी ऐसे रहे हैं मानो यूक्रेन इनकी बुआ का घर हो जहां ये स्कूल टाइम में छुट्टियां मनाने जाते रहते थे। खैर बीपी के मरीजों और कमजोर दिल वालों को आजकल खबरिया चैनल देखने से परहेज करना चाहिए।

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