*TRICITY TIMES AFTERNOON NEWS BULLETIN ट्राई सिटी टाइम्स दोपहर समाचार बुलेटिन*
TRICITY TIMES AFTERNOON NEWS BULLETIN
ट्राई सिटी टाइम्स दोपहर समाचार बुलेटिन
28 फरवरी 2022
1. ऊना की अवैध पटाखा फैक्ट्री में भीषण धमाके में घायल PGI चंडीगढ़ में जेरे ईलाज दो और महिलाओ शकीला, नबीला निवासी बरेली उत्तर प्रदेश की हुई मौत !
2. श्रीनगर के अनंतनाग में एक लश्कर आतंकी गिरफतार
3. रोमानिया के पुलिस कर्मचारियों द्वारा भारतीय पलायनवादी छात्रों के साथ यूक्रेन रूमानियत सीमा पर दुर्व्यवहार की शिकायतें मिलने पर भारत सरकार के तेवर भी हुए सख्त, करेगी रोमानियाई सरकार से बातचीत
4. भारत और अमेरीका के मध्य प्रीडेटर श्रेणी के अति उन्नत ड्रोन सौदे पर दोबारा शुरू हुई बातचीत !
विस्तृत समाचारों में :
गैस सिलेंडर के दाम से लेकर बैंकिंग नियमों तक, मार्च में होने वाले हैं ये बड़े बदलाव!
जैसा कि हर महीने की पहली तारीख को कई तरह के ऐसे बदलाव देखने को मिलते हैं जो आपकी जेब के साथ रोजमर्रा की जिंदगी पर असर डालते हैं। इसके तहत एलपीजी सिलेंडर के दाम से लेकर बैंकिंग सेवाओं तक में बदलाव होते हैं। इस बार भी गैस सिलेंडी की कीमत में बदलाव की संभावना जताई जा रही है।
हर महीने की पहली तारीख को कई तरह के ऐसे बदलाव देखने को मिलते हैं जो आपकी जेब के साथ रोजमर्रा की जिंदगी पर असर डालते हैं। इसके तहत एलपीजी सिलेंडर के दाम से लेकर बैंकिंग सेवाओं तक में बदलाव होते हैं। इस बार भी गैस सिलेंडी की कीमत में बदलाव की संभावना जताई जा रही है। इसके अलावा मार्च 2022 में कुछ और खास बदलाव होने वाले जो सीधे आपको प्रभावित करेंगे।
एलपीजी सिलेंडर के दाम
गौरतलब है कि हर महीने की पहली तारीख को एलपीजी सिलेंडर की कीमत तय होती है। चूंकि, गैस के दाम सीधे आम आदमी की रसोई से जुड़े हैं तो लोगों की नजर इस पर सबसे ज्यादा रहती है। हाल के कई महीनों से रसोई गैस की कीमतों में बदलाव नहीं हुआ है ऐसे में एक मार्च 2022 को इसकी कीमत में बदलाव की संभावना जताई जा रही है। देखना दिलचस्प होगा कि एक मार्च को सिलेंडर की कीमतों में इजाफा होता है या इसके दाम स्थिर रहते हैं।
इंडिया पोस्ट बसूलेगा चार्ज
आईपीपीबी यानि इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक ने अपने डिजिटल सेविंग्स अकाउंट के लिए क्लोजर चार्जेज लेना शुरू कर दिया है। अगर आपका इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक में बचत खाता है तो आपको इस चार्ज का भुगतान करना होगा। यह चार्ज है 150 रुपये होगा और इस पर जीएसटी अलग से देना होगा। आपको बता दें कि बैक की ओर से ये नया नियम 5 मार्च 2022 से लागू कर दिया जाएगा।
डिजिटल पेमेंट में दिखेगा बदलाव
आरबीआई ने डिजिटल पेमेंट में बड़े बदलाव की तैयारी कर ली है। प्रॉप्राइटरी क्यूआर कोड का इस्तेमाल करने वाले एक या अधिक इंटरऑपरेबल क्यूआर कोड की ओर स्थानांतरित होंगे। स्थानांतरण की यह प्रक्रिया 31 मार्च, 2022 तक पूरी होनी जरूरी है। इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने कहा कि कोई भी पीएसओ किसी भुगतान लेनदेन के लिए कोई नया प्रॉप्राइटरी कोड शुरू नहीं करेगा।
एटीएम में कैश भरने का नियम
बैंकों के एटीएम में कैश भरने के लिए नियम मार्च में बदलने जा रहे हैं। गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को एटीएम में कैश भरने के लिए केवल लॉकेबल कैसेट के इस्तेमाल को लागू करने की अंतिम तिथि को बढ़ाकर मार्च 2022 कर दिया था। वर्तमान में, अधिकांश एटीएम (ऑटोमैटेड टेलर मशीन) में नकद धन को ओपन कैश टॉप-अप या स्पॉट पर ही मशीन में कैश डालने के जरिये भरा जाता है। एटीएम में नकद डालने के मौजूदा सिस्टम को खत्म करने के लिए आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिया है कि एटीएम में कैश रिपलेनिशमेंट के समय केवल लॉकेबल कैसेट का ही इस्तेमाल सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
* Russia-Ukraine War : अब महंगाई का हमला सामने है
बाजार का हाल अनिश्चितता और भय में खराब हो जाता है। भारत में शेयर बाजार ठंडे होने के कारण सरकार की चिताएं बढ़ गई हैं। जीवन बीमा निगम के शेयर बाजार में बेचे जाने हैं। ठंडे बाजार में कीमतें सही कैसे मिलेंगी, यह सवाल सरकार के समक्ष है, पर यूक्रेन संकट की बात सिर्फ शेयर बाजार की नहीं है। आलोक पुराणिक इस कदर ग्लोबलाइज्ड है दुनिया कि यूक्रेन और मास्को की मार का असर मुंबई में दिखता है। शेयर बाजार में ठंडक और कच्चे तेल के बाजारों में विकट गर्मी आ जाती है। जिस दिन यूक्रेन पर रूसी हमले की खबर आई, उस दिन तो दुनियाभर के स्टाक बाजार बैठ गए। 25 फरवरी, 2022 को खत्म हुए हफ्ते में रूस के शेयर बाजार में करीब तैंतीस फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। भारत में मुंबई शेयर बाजार का सूचकांक सेंसेक्स एक हफ्ते में करीब साढ़े तीन प्रतिशत की गिरावट पर बंद हुआ। फ्रांस का शेयर बाजार एक हफ्ते में करीब 3 प्रतिशत लुढ़क गया और जर्मनी का शेयर बाजार एक हफ्ते में चार फीसदी लुढ़क गया। बाजार का हाल अनिश्चितता और भय में खराब हो जाता है। भारत में शेयर बाजार ठंडे होने के कारण सरकार की चिताएं बढ़ गई हैं। जीवन बीमा निगम के शेयर बाजार में बेचे जाने हैं। ठंडे बाजार में कीमतें सही कैसे मिलेंगी, यह सवाल सरकार के समक्ष है, पर यूक्रेन संकट की बात सिर्फ शेयर बाजार की नहीं है।
* कच्चे तेल के भाव सात सालों के बाद कच्चे तेल के भाव सौ डालर प्रति बैरल के ऊपर चले गए। रूस दुनिया का बहुत ही महत्वपूर्ण कच्चे तेल और गैस का आपूर्तिकर्ता देश है। युद्ध के कारण अगर रुस से आपूर्ति बाधित हुई, तो इसके गंभीर आर्थिक और राजनीतिक परिणाम होंगे। यूरोप में कच्चे तेल और गैस की आपूर्ति का बड़ा स्त्रोत रुस है। जर्मनी जैसे देश नए माहौल में बहुत अलग तरीके से घिरे हुए हैं। जर्मनी अपनी सुरक्षा के लिए अमेरिका पर आश्रित है। गैस की आपूर्ति के लिए रूस पर आश्रित है और कई तरह के साजो सामान के लिए चीन पर आश्रित है। गैस की सप्लाई अगर रूस बंद कर दे, कई देशों में राजनीतिक संकट पैदा हो जाएगा। यानी कच्चा तेल और गैस ये दोनों रूस के लिए एक तरह से हथियार हैं। यह दिख भी रहा है। तमाम तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं रूस पर, यह रूस से कच्चे तेल और गैस की आपूर्ति पर प्रतिबंध नगण्य हैं। यूरोप की जरूरत है वह। इस तरह से तमाम यूरोपीय देशों के सामने रूस एक ऐसे दुश्मन के तौर पर खड़ा है, जो उनकी जरूरत है। कच्चे तेल और गैस के भाव अगर बढ़ते हैं, तो उन देशों के लिए बहुत समस्या है, जो अभी कोरोना की मार से उबर ही रहे हैं। फ्रांस का बयान आया है कि लंबे युद्ध के लिए तैयार रहे दुनिया यानी किसी न किसी शक्ल में यूक्रेन युद्ध खिंचने वाला है। यह युद्ध जितना लंबा खिंचेगा अनिश्चितता और खौफ की छाया उतनी ही लंबी होगी, कच्चे तेल के बाजार से लेकर शेयर बाजार तक इस छाया के असर महसूस किए जाएंगे।
* एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान स्टेट बैंक आफ इंडिया द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार कच्चे तेल के भावों में तेजी से भारतीय अर्थव्यवस्था को करीब एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है वित्त वर्ष 2022-23 में। एक लाख करोड़ रुपये की रकम कितनी होती है इसका अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि जब भी प्रति माह समग्र माल और सेवाकर की वसूली एक लाख करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच जाती है, तो इसे बहुत ही महत्वपूर्ण बताया जाता है। एक महीने के जीएसटी संग्रह की रकम कच्चे तेल की महंगाई के हवाले हो सकती है, अगर कच्चे तेल के भावों में लगातार तेजी दर्ज की जाती रही तो। यह बहुत डरावनी तस्वीर है। कच्चे तेल की पक्की महंगाई
जनवरी 2022 में खुदरा महंगाई दर छह प्रतिशत का आंकड़ा पार करके 6.01 प्रतिशत पर जा चुकी है। दिसंबर 2021 में यह 5.59 प्रतिशत पर थी। यानी यूक्रेन संकट पहले भी महंगाई का हाल चिंताजनक था। अब यूक्रेन की मारध़ाड़ ने चिंताओं और गहरी कर दी हैं। रिजर्व बैंक ने खुदरा महंगाई का लाल निशान छह प्रतिशत पर निर्धारित किया है। इसके ऊपर खुदरा महंगाई का जाना बहुत ही खतरनाक है, पर कच्चे तेल के भाव अगर लगातार ऊपर जाएं, तो बढ़ती हुई महंगाई को रोकना किसी के बस की बात नहीं है। दो महीनों में ही कच्चे तेल के भाव पच्चीस प्रतिशत करीब बढ़ चुके हैं। हालात अभी नार्मल होने के नाम नहीं ले रहे हैं। रूस के तेवरों से लगता नहीं है कि वह किसी उदारता के मूड में है। रूस को इस पूरे प्रकरण में बहुत किस्म के आर्थिक नुकसान हैं, पर रूस इस समय तमाम आर्थिक नुकसान उठाकर भी अपने राजनीतिक हित पूरे करना चाहता है। दरअसल लोकतांत्रिक देशों में तो नेता डरते है कि कहीं जनता में असंतोष ना फैल जाए, पर रूस मूलत तानाशाही वाला देश है। पुतिन को किसी की कोई चिंता नहीं है। उसके ये तेवर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ही घातक साबित हो रहे हैं। खासकर उन देशों के लिए तो बहुत ही घातक साबित हो रहे हैं, जो कच्चे तेल के आयात पर निर्भर हैं। भारत ऐसे ही देशों में शामिल है, जहां कच्चे तेल के आयात पर बहुत निर्भरता है। मध्य पूर्व के झगड़ों ने भारत की अर्थव्यवस्था को पहले भी बुरी तरह से तबाह किया है। 1991 में इराक युद्ध में कच्चे तेल के भाव बहुत ऊपर चले गए थे। तब विदेशी मुद्रा कोष की हालत खस्ता थी। भारत को सोना गिरवी रखकर कुछ विदेशी मुद्रा का इंतजाम करना पड़ा था। अब संकट विदेशी मुद्रा का नहीं है। संकट यह है कि महंगे तेल को उपजने वाली महंगाई को रोकना बहुत ही मुश्किल काम है।
संसाधनों का संकट कच्चे तेल से उपजने वाली महंगाई से निपटने के लिए सरकार आसानी से राहत दे सकती है पर राहत देने के लिए खजाने का भरा होना जरूरी है। खाली खजाने से खाली आश्वासन दिए जा सकते हैं। कोरोना के दंश से उबरकर पूरी दुनिया और भारतीय अर्थव्यवस्था खड़े होने की कोशिश में है। तमाम तरह के राहत पैकेज सरकार दे रही है। उसके लिए संसाधन चाहिए फिर कच्चे तेल की महंगाई से निपटने के लिए भी संसाधन चाहिए। वह कहां से आएंंगे, यह बड़ा सवाल है। कोरोना से निपटने के बाद दुनिया भर के देशों की सरकारें समझ रही थीं अब संकट से उबर गये हैं। पर अब चीन से नहीं, संकट यूक्रेन से आया है। जिसके असर लंबे समय तक महसूस किए जाएंगे
* यूक्रेन में हुई ऑक्सीजन की बड़ी किल्लत
यूक्रेन की स्वास्थ्य व्यवस्था हो रही बिल्कुल ठप
मात्र कुछ ऑक्सीजन यूक्रेन के पास हॉस्पिटलों में मासूम बच्चे भी हो सकते हैं ऑक्सीजन की किल्लत के शिकार
WHO ने बनाई पूरी तरह से नजर
* रूस की नाटो देशों को बड़ी धमकी..!!
पुतिन ने स्पेशल फोर्स को तैयार रहने का दिया आदेश, न्यूक्लियर डिटेरेंस फोर्स को अलर्ट कर दिया गया है – रूस, नाटो देशों के आक्रामक बयानों के मद्देनजर दिया आदेश, परमाणु हमले के खिलाफ इस्तेमाल होती है डिटेरेंस फोर्स
* रूस से युद्ध में अकेले पड़े यूक्रेन को दुनियाभर से मदद..!!
यूरोप के कई देश दे रहे हथियार और तकनीक, जर्मनी देगा यूक्रेन को 1000 एंटी टैंक मिसाइल, अमेरिका-फ्रांस से यूक्रेन को करोड़ों डॉलर की मदद, ऑस्ट्रेलिया भी भेजेगा यूक्रेन को हथियार।
* यूक्रेन में फंसे सभी नागरिकों को नि:शुल्क वापस लाएगी भारत सरकार: केंद्रीय मंत्री
दमोह। यूक्रेन में एमपी के कई छात्र फंसे हुए हैं. भारतीय छात्रों को वापस लाने के लिए केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि सभी छात्रों को निशुल्क सुरक्षित वापस लाया जाएगा. प्रहलाद पटेल अल्प प्रवास पर दमोह पहुंचे. उन्होंने यूक्रेन में फंसे छात्रों के संबंध में पूछे गए सवाल पर यह जवाब दिया.
* बच्चों को सुरक्षित वापस लाया जाएगा
प्रहलाद पटेल ने कहा कि रोमानिया के बेस कैंप से उन्हें भारत लाने की तैयारी की जा रही है. 219 लोगों को लेकर पहला विमान मुंबई आ चुका है. जब तक सभी छात्र वापस नहीं आ जाते, तब कि यह सतत प्रयास चलेगा. इसके लिए एडवाइजरी भी जारी की गई है. सभी भारतीयों से फ्लैग लगाने की बात की है. उन्होंने कहा कि इस आपत्ति के समय में अभिभावकों से यही प्रार्थना है कि वह चिंतित न हों. भारत सरकार पूरी जिम्मेदारी के साथ उनके बच्चों को वापस लेकर आने में सफल होगी.
* दमोह से एमबीबीएस की पढ़ाई करने गए दो छात्र यूक्रेन में फंसे हैं. इनमें हटा के हरदुआ उमराव निवासी आशीष पटेल ने एक दिन पहले ही वीडियो वायरल करके यूक्रेन में फंसे होने की बात कही थी. दूसरा छात्र दमोह के सिविल वार्ड निवासी जहीर खान का बेटा जमाल खान हैं. वह दो साल से यूक्रेन में रह रहा है. परिजनों ने बताया कि वह बेटे की भारत वापसी को लेकर बहुत चिंतित हैं.
