*पाठकों के लेख :सुनील प्रेम की प्रस्तुति*
भगत सिंह के नाम पर राजनीति करकें
नेता बन गए वो
पर भगत सिंह को
वो सम्मान नहीं दे पाए
भगत सिंह के फोटो लगे
कपड़े पहनने लगें लोग
भगत सिंह की तरह
मूछ तो ऱखने लगें
पर भगत सिंह जैसी
विचारधारा पर नहीं चल पाएं
वो लोग ।
भगत सिंह की फ़ोटो
पर फूल तो चढ़ाए
पर भगत सिंह जैसे तर्कशील
औऱ नास्तिक नहीं बन पाए लोग
खुद को देशभक्त कहलाने लगें
पर भगत सिंह जैसा
सपनों के भारत की
नींव तक नहीं रख पाए
वो लोग ।
एक भाग
जिसमें पैसे की कोई कमी नहीं
औऱ एक भाग ऐसा
जिसको चन्द सिक्के तक नहीं
एक को
फ्रूट औऱ तरह तरह
के व्यंजन होतें हुए भी
भूख नहीं
औऱ एक भीड़ वो
जिसको भूख पर
भोजन नहीं
ये भारत भगत सिंह का
नहीं
मूर्खों की भीड़ का भारत है
जिसकी सम्वेदना औऱ
करुणा मर चुकी है
जो विद्रोह नहीं कर सकतें
क्योंकि उनके हाथों में
चूड़ियां बन्धी है
वो क्रान्ति नहीं कर सकतें
क्योंकि वो सरकार
औऱ धर्म के
आगे गुलाम हो चूके है
” भारत का प्रत्येक मनुष्य
जो गलत व्यवस्था को
बदलने के लिए
मुठ्ठीभर भी सँघर्ष की
कोशिश नहीं करता है
वो इस ज़िन्दगी में
आकर पृथ्वी पर
भार ही हैं ”
जो बोल नहीं सकतें
वो लिख कर आवाज़ उठाओ
जो चल नहीं सकतें
वो बोल कर
लिखकर आवाज़ उठाओ
जो ये दोनों भी नहीं सकतें
वो अपने अन्दर के विचारों
पर गलत व्यवस्था पर
आवाज़ उठाओ
पाखण्डवाद
अंधविश्वास
का नाश हो
विज्ञान का वास हो
धर्म का अन्त हो
मानवता की सुरुआत हो
__ सुनील प्रेम