*पाठकों के लेख फेसबुक, अनभिज्ञ :नेताओं की पेंशन पर प्रश्न*
कल के भगवंत मान की उस फैसले पर काफी चर्चा हो रही है कि नेताओं को केवल एक बार की ही पेंशन मिलेगी।
उस पर किसी ने कमेंट किया है कि नेताओं को जितनी पेंशन मिलती है उतना खर्च वह अपने चाय नाश्ते पर ही लोगों को करवा देते हैं ।
और वह दिन भर भाग दौड़ करते हैं जनता की समस्याएं सुनते हैं जीत जाए तो भी लोगों ने चैन से नहीं जीने देती हार जाए तो भी चैन से नहीं जीने देते ,जब चाहे फोन लगा देते हैं जब चाहे घर का दरवाजा खड़का देते हैं ,उनका कोई निजी जीवन नहीं होता ।
वे दिन रात मेहनत करते हैं रात रात भर सफर करते हैं सुबह जन समस्याएं सुनते हैं उनका समाधान करवाते हैं वह अफसरों के बदतमीजी ना चाहते हुए भी सहते हैं। वह अपने से बड़े नेताओं के आगे पीछे घूमते हैं तथा लोगों की समस्याओं का समाधान करने में दिन रात लगे रहते हैं फिर अगर उन्हें थोड़ी बहुत पेंशन मिल जाती है तो लोगों के पेट में दर्द क्यों होती है ।
क्या उनके परिवार नहीं है क्या उन्हें 30, 35 साल की सरकारी नौकरी करने का मौका मिलता है कि उन्हें 30,या35 साल तक रेगुलर तनखा मिलती रहेगी, उनका डीए बढ़ता रहेगा ,उन्हें पे रिवीजन होती रहेगी? ऐसा कुछ भी नहीं है केवल 5 साल दिन-रात सेवा करने में अगर उन्हें पेंशन मिलती है तो इसे बढ़ा चढ़ाकर क्यों बताया जाता है ।
सरकारी लोग काम करे ना करें उन्हें तो तनखा मिलती रहती है ।
परंतु यहां पर अगर एमएलए के पेट में दर्द हो रही हो तो भी उसे उठ कर भागना पड़ता है उसे जनता सोने नहीं देती आराम नहीं करने देती। इतनी मेहनत करने के बाद भी अगर उसे पेंशन मिलती है उसकी फैमिली को पेंशन मिलती है तो इतनी तकलीफ क्यों होती है लोगों को?
क्या उसके बच्चे स्कूल कॉलेज नहीं पढ़ते हैं ?क्या उसके घर में राशन पानी नहीं आता है? क्या उसे बिजली पानी का बिल अता नहीं करना पड़ता है ?
उसके भी वही खर्चे होते हैं जो आम लोगों के होते हैं। उसके उसके घर से आम लोगों के खर्चे से 4 गुना ज्यादा हो जाते हैं ।क्योंकि उसे अपनी जनता का भी ख्याल रखना होता है आप लोग दो 4 या 6 परिवार के सदस्यों का भरण पोषण करने के लिए इतना तड़फते हो उसे तो 40000 या 50000 या लाखों लोगों कि समस्याओं का समाधान करवाना पड़ता है ।अगर किसी को नेताओं की पेंशन से तकलीफ है वह एक बार नेता बनकर देख ले पता चल जाएगा ।
क्योंकि नेता अगर सत्ता में नहीं होता है तो उसके घर में लोगों का आना जाना लगा रहता है ।वह अपनी जनता से विमुख नहीं हो सकता है वह यह नहीं कह सकता है कि अब मेरी जेब खाली है मैं आपकी सेवा नहीं कर सकता हूं ।यह सब बड़ी-बड़ी यक्ष प्रश्न है इसका जवाब जनता को सोचना चाहिए????????????????????