पाठकों के लेख एवं विचार

*शिक्षक दिवस पर विशेष: शिक्षा का बदलता स्वरूप , बदलते शिक्षक , बदलते शिष्य, अध्यापक: निवेदिता परमार*

 

1 Tct

*शिक्षक दिवस पर विशेष: शिक्षा का बदलता स्वरूप , बदलते शिक्षक , बदलते शिष्य, अध्यापक: निवेदिता परमार*

Tct chief editor

शिक्षा का बदलता स्वरूप , बदलते शिक्षक , बदलते शिष्य, अध्यापक दिवस पर विशेष। निस्संदेह शिक्षा का विकास हुआ हैं,पहले गुरु के द्वार शिक्षा मिलती थी वक़्त बदला स्कूल में शिक्षा मिली जिसमें बोद्धिक विकास के सर्वागिक विकास होता रहा ।गुरु देवता तुल्य और शिष्य उपासक गुरु शिष्य परंपरा को हमेशा प्रतिष्ठित करते थे।पर आज सब कुछहैं वह रिश्ता नहीं हैं क्या कारण हैं शिष्य और गुरु का रिश्ता ख़त्म हो रहा हैं।कुछ लोगों का विचार हैं कि माँ बाप इस के लिए दोषी हैं लेकिन मेरे विचार में कुछ हद तक माँ बाप ज़िम्मेदार होगे ।क्या शिक्षक ने ख़ुद को झाँक कर देखा हैं ।वे अपने कर्तव्य से कैसे विमुख हुए कभी उन के द्वारा जानने की कोशिश की नई कोपले समाज से क्या चाहती हैं,उन के चंचल मन में क्या उमंगें हैं? शिष्य कच्चे घड़े की मिट्टी हैं अध्यापक वर्ग ही आकार दे सकते हैं ।पहले माता पिता शिक्षा के मंदिरो में हस्तक्षेप नहीं करते थे लेकिन अब हालात बदले हैं शिक्षक बदलते हालत के अनुसार शिष्य को नहीं बदले सकता तो क्या फ़ायदा ,शिक्षा महज़ कमाई का साधन नहीं हैं।शिक्षा अब ज़रूरत का साधन हैं ,शिक्षा व्यवसाय नहीं हैं,बल्कि समाज के प्रति निष्ठा ,नैतिकता , समर्पण हैं ।यदि आप समर्पण की भावना से काम नहीं कर सकते तों अन्य व्यवसाय को अपनाए ।आज शिक्षक दिवस प्रण लेकि शिक्षा के मूल सिद्धान्त को फिर से जीवत करे ।शिक्षक ,शिष्य समाज का दर्पण हैं इस पर धूल जमने ना दे बेसुध पड़ी शिक्षा को फिर से चलो जीवित करते हैं शिष्यों की जीवन शेली को नैतिकता में बाधते हैं नये संस्कारी भारत कानिर्माण शिक्षा के द्वारा करने का प्रण लेते हैं भावी पीढ़ी को समर्पित ।🙏🙏


निवेदिता परमार सहआचार्य राजनीति विभाग शहीद कैप्टन विक्रम बतरा कॉलेज पालमपुर.

 

Related Articles

One Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button