*माननीयों का आयकर सरकारी खजाने से देने पर हिमाचल हाईकोर्ट में याचिका दायर*
Anil Sood
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी खजाने से मंत्रियों और विधायकों के आयकर भुगतान को असांविधानिक घोषित करने के लिए दायर याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाबतलब किया है। विदित रहे कि इस विषय पर पिछले कई दिनों से प्रतीक्षित की जनता के बीच बहस चल रही है जहां पर सरकारी कर्मचारियों को न्यू पेंशन स्कीम में डाला गया है वहीं पर विधायकों और मंत्रियों के आयकर को सरकारी जाने से देने पर विवाद पैदा हो गया है ।
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने यशपाल राणा और अन्य की ओर से दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया। याचिकाकर्ताओं के अनुसार विधानसभा सदस्यों को भत्ते और पेंशन अधिनियम 1971 के तहत दी गई छूट असांविधानिक है। इसके तहत विधानसभा सदस्यों और मंत्रियों को उनकी ओर से अर्जित आय पर विभिन्न भत्तों और लाभों के साथ आयकर का भुगतान करने की छूट है। मंत्रियों के वेतन और भत्ते हिमाचल प्रदेश अधिनियम 2000 के कुछ प्रावधान भी असांविधानिक हैं, जिसके आधार पर मंत्रियों को उनकी ओर से अर्जित आमदनी पर आयकर का भुगतान करने की छूट दी गई है।
याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार इन अधिनियमों में प्रावधानों को शामिल करने की तिथि से विधायकों और मंत्रियों के आयकर का भुगतान कर रही है। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से प्रार्थना की है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा सदस्यों के भत्ते और पेंशन अधिनियम 1971 की धारा 6एए को असांविधानिक ठहराते हुए रदद् किया जाना उचित है।। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश अधिनियम 2000 की धारा 12 के तहत एक मंत्री को देय वेतन और भत्ते और उसे स्वीकार्य सुसज्जित घर और अन्य लाभों पर आयकर की अदायगी राज्य सरकार कर रही है। याचिकाकर्ताओं ने इसे भी असांविधानिक घोषित करने की मांग की है।