पाठकों के लेख एवं विचार

पाठकों के लेख: *#संक्रांति_व_पूर्णिमा हेमांशु मिश्रा*

इंसान कितना भी बड़ा बन जाए कितने भी ऊंचे ओहदे पर चला जाए परंतु उसकी जो बेसिक प्रतिभा होती है वह ना तो छुपती है ना रूकती है ।इसी कड़ी में हिमांशु मिश्रा भी  हैं जो जज तो बन  गए परन्तु अपने  अपनी लेखन की प्रतिभा को रोक नहीं पाते हैं  और जब भी कोई प्रसांगिक  विषय मिलता है तुरंत अपनी कलम उठा कर लिखना शुरू कर देते हैं।जैसे आज ही पूर्णिमा का चांद निकला उसकी खूबसूरती को तुरंत  खूबसूरत लफ़्ज़ों में पिरो दिया।

tct
tct

#संक्रांति_व_पूर्णिमा
हेमांशु मिश्रा
पूनम के चांद में संक्रांति का प्रभाव है
गौतम बुद्ध के निर्वाण में मानवता का भाव है
नीड़ों को लौटते पक्षियों में गजब का सम्भाव है
तपते मौसम में जलते वन, शुद्ध हवा का अभाव है

चमकते चांद की सफलता है, पूर्णिमा
ज्येष्ठ की संक्रांति की परिकल्पना है , अरुणिमा
पश्चिम की और दूर कहीं गोधूलि की है, लालिमा
संक्रांति में पूनम अपने अंदर ओढ़े है, रश्मियाँ
चांदनी से चमकते धौलाधार की गजब है, भंगिमा

खुगोल भूगोल हमेशा प्रभावित करता है
कभी ज्योतिष तो
कभी विज्ञान को स्थापित करता है

आंगन में अल्पना
विचारों की कल्पना चंद पक्तियों में लिपटी हैं
शाम ढलते ही मन्त्रणा चांद सूरज तक सिमटी है

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button