*चुनाव_आयुक्त_की_नियुक्ती_प्रक्रिया_पर_सुप्रीम_कोर्ट_ने_लिया_संज्ञान*
26 नवम्बर 2022- (#चुनाव_आयुक्त_की_नियुक्ती_प्रक्रिया_पर_सुप्रीम_कोर्ट_ने_लिया_संज्ञान)–
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और किसी भी लोकतंत्र की आत्मा होती है निष्पक्ष चुनाव। निष्पक्ष चुनाव तब सम्भव होंगे यदि इन चुनावों को करवाने वाला चुनाव आयोग निष्पक्ष होगा। मेरे विचार मे चुनाव आयोग तब निष्पक्ष होगा यदि उसकी नियुक्ति निष्पक्ष तरीके से की जाएगी। चुनाव आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई चल रही है। असल मे भारत मे मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य आयुक्तों की नियुक्ति पूरी तरह सरकार के हाथ मे है। हालांकि टी एन शेषन जैसे चुनाव आयुक्त ने सत्तारूढ़ पार्टियों के खिलाफ भी कार्रवाई की है। शेषन के बाद भी कभी- कभार ऐसी कार्रवाई की खबरें आती रही है, लेकिन माना यही जाता है कि हर सरकार अपने मनपसंद के नौकरशाह को ही इस पद पर नियुक्त करना चाहती है भले वह लाख निष्पक्ष दिखे लेकिन वह सत्तारूढ़ दल की हित-रक्षा करता रहे।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान ही केंद्र ने अरूण गोयल की बतौर चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कर दी और यह नियुक्ति की भी गई बिजली की तेजी की तरह। इस तेजी पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल खड़े किए है और गोयल की नियुक्ति की फाइल तलब की है। खैर मिडिया रिपोर्ट के अनुसार अदालत गोयल की नियुक्ति को रद्द तो नहीं करना चाहती लेकिन इनकी नियुक्ति मे दिखाई गई तत्परता और नियुक्ति बिजली जैसी तेजी के कारण दाल मे कुछ काला जरूर मान रही है। अदालत नियुक्ति मंडल मे सुधार करना चाहती है और अदालत का मानना है कि आयुक्तगन कम से कम अपना छह वर्ष का कार्यकाल पूरा करें। स्मरण रहे अभी तक सिर्फ टी एन शेषन ने सबसे लम्बा 5 वर्ष तक काम किया था तो उनके काम के परिणाम भी अच्छे आए थे, जबकि अधिकतर मुख्य चुनाव आयुक्त कुछ ही माह मे सेवानिवृत्त हो जाते है। अब अदालत की राय है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति सिर्फ सरकार द्वारा ही नहीं की जानी चाहिए। विरोधी दल के नेता और सर्वोच्च न्यायाधीश को भी नियुक्ति मंडल मे शामिल किया जाना चाहिए। अदालत चाहती है कि भारत के चुनाव आयुक्त निष्पक्ष हो और वैसे दिखे भी।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।