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*बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बी एस एफ ) का स्थापना दिवस 01 दिसंबर को*

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बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बी एस एफ ) स्थापना दिवस 01 दिसंबर को

जब हम नींद में सो रहे होते हैं उस समय सीमा पर हमारे रक्षक जाग रहे होते हैं उन्हीं रक्षकों में से एक है *बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स* जिसे हिंदी में सीमा सुरक्षा बल और संक्षेप में बी एस एफ।

कहते हैं बीएसएफ का गठन 01 दिसंबर 1965 में हुआ था जिसके प्रथम महानिदेशक के. एफ . रुस्तम जी (आई पी एस) थे और वर्तमान में डायरेक्टर जनरल पंकज कुमार सिंह ( आई पी एस) है ।सीमा सुरक्षा बल देश का प्रमुख बल होने के साथ-साथ विश्व का सबसे बड़ा सीमा रक्षक फोर्स भी है जिसे भारत-बांग्लादेश के बीच 4096. 7 किलोमीटर और भारत – पाकिस्तान के बीच 3323 किलोमीटर सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई है जो दुर्गम रेगिस्तान , गहरी नदियों , घने जंगलों ,घाटियों और ऊंची- ऊंची बर्फीली चोटियां जो हिमाच्छादित प्रदेशों तक फैली हुई है। बी एस एफ देश की सीमाओं निरंतर निगरानी रखने के साथ अंतरराष्ट्रीय अपराध को रोकने की जवाबदारी भी है। सीमा सुरक्षा बल का सिद्धांत है * जीवन पर्यंत कर्तव्य* ओर इस सिद्धांत पर बल शत प्रतिशत खरा उतरा है बीएसएफ देश का एकमात्र ऐसा सशस्त्र बल है जिसके पास अपना हवाई विंग, समुद्री विंग और तोपखाना विंग है , इसके ऑपरेशन के लिए संचार और सूचना इंजीनियरिंग तकनीक से लेकर चिकित्सा और हथियार से संबंधित सभी सहायता शामिल है । (एन डी आर एफ) नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स भी शामिल है जो अत्याधुनिक तकनीक साधनों से सुसज्जित है। किसी भी प्रकार की आपदा के निवारण के लिए हमेशा तैयार रहती है । बल में महिलाएं भी बहादुरी से सरहदों कि रक्षा में अपनी अहम भूमिका निभा रही हैं। बल में नेशनल ट्रेनिंग सेंटर फॉर डॉग्स ( dogs) ओर केमेल ( ऊट ) के प्रशिक्षण केन्द्र भी है। बी एस एफ बल हमेशा दुश्मनों से मुकाबला करने के लिए आधुनिक हथियारों , उपकरणों से लैस हमेशा रात दिन 24 घंटे तेयार रहता है। पाकिस्तान द्वारा हथियारों, ड्रग्स , आतंकवादियों को भारतीय सीमा में प्रवेश कराने की नापाक साजिशों पर कड़ी निगरानी से अंकुश लगाने के लिए बीएसएफ ने एक स्पेशल कमांडो बिंग भी तेयार किया गया है जो असाधारण परिस्थितियों से निपटने के लिए पूरी तरह से सक्षम है। बी एस एफ को *फस्ट लाइन ऑफ़ दी डिफेंस* के नाम से भी जाना जाता है। बल का गठन सेना की तरह आर्म्ड फोर्स ऑफ द यूनियन से हुआ था जो से सेना की दूसरी श्रेणी में गृह मंत्रालय के अधिकार में आता है , अभी बल को सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स ( सी ए पी एफ ) की पहचान दी गई है। बी एस एफ में प्रशिक्षण ओर कार्यशैली , सजा तक के सभी नियम सेना की तरह ही लागू रहते हैं ताकि सरहदों में पहरा देते हुए सीमा पार से होने वाले सभी अपराधों को रोक सकें ओर युद्ध के समय दुश्मनों का डट मुंहतोड़ जवाब दे सके। इसके इलावा माओवाद ,नक्सलवाद और आतंकवाद से मुकाबला करने में भी यह बल पूरी तरह से सक्षम हैं । 1971 में जव बल की स्थापना के मुश्किल से पांच साल ही हुए थे उसी समय देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी ने बीएसएफ को बांग्लादेश को आजाद कराने के अभियान की जिम्मेदारी सौंपी थी। आर्मी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सीमा सुरक्षा बल के जवानों एवं अधिकारियों ने अदम्य साहस और शौर्य का परिचय दिया था ।युद्ध में बीएसएफ के 125 जवानों ने अपने जीवन का बलिदान दिया था 392 घायल हुए थे और 135 लापता हुए थे। युद्ध में हिमाचल के भी कई जबाज वीर सपूतों ने भी दूशमनो से बहादुरी से मुकाबला करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी । जिनमें * गांव रजेड (पालमपुर) के सहायक कमांडेंट करतार चन्द कटोच ( 54 बी एस एफ बटालियन) , गांव घनेरो (अम्व) जिला ऊना के नायक सत प्रकाश (21 बी एस एफ बटालियन ) , गांव बीड बैजनाथ के राम प्रकाश (31 बी एस एफ बटालियन ) , अनेक जांबाजों ने शूरवीरता से मुकाबला करते हुए कुर्बानियां दी थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी जी ने लडाई में सेना के साथ शौर्य और वीरता के साथ सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ देने लिए बी एस एफ के महानिदेशक को पत्र लिखकर बल की भूरी -भूरी प्रशंसा की थी।मेजर जनरल डी के पाटिल ने भी अपनी किताब *लाइटनिंग कैंपेन * में बीएसएफ के युद्ध में दिए गए शौर्य वीरता के योगदान को बहुत ही सराहा है इसी युद्ध में बीएसएफ ( पंजाब) के जावाज सहायक कमांडेंट आर के वाधवा को मरणोपरांत * महावीर चक्र * से नवाजा गया था ।जैसलमेर के लोंगेवाला पोस्ट में बी एस एफ के जवाज़ भैंरों सिंह राठौर उस समय 14 बी एस एफ बटालियन में थे उन्होंने भारतीय सेना के मेजर कुलदीप सिंह की कम्पनी के साथ पकिस्तानी दुश्मनों से डटकर मुक़ाबला करते हुए दुश्मनों के टैंकों को ध्वस्त करते हुए अनगिनत दुश्मन सैनिकों को मार गिराया था । बीएसएफ के भैरो सिंह राठौर के अदम्य साहस को देखते हुए उन्हें सेना मेडल से नवाजा गया था, उनकी इस वीरता और पराक्रम की कहानी को 1997 में रिलीज हुई बॉर्डर फिल्म में सुनील सेठी ने किरदार के रूप में फिल्मी पर्दे पर भी उतारा गया था। यह दुनिया की पहली ऐसी ऐतिहासिक जंग थी जो 13 दिन तक लड़ी गई थी युद्ध मैं बीएसएफ ने सेना के साथ मिलकर पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था । 16 दिसंबर 1971 के दिन पाकिस्तान ने अपने 92000 सैनिकों के साथ हिंदुस्तान के आगे सिलेंडर कर दिया था इस ऐतिहासिक जीत को हम विजय दिवस के रूप में मनाते हैं।
सन् 2003 कश्मीर में बीएसएफ ने आतंकवादियों के खिलाफ अभियान चलाया था जो 11 घंटे के लगातार अभियान के बाद आतंकी एक घर से लगातार फायरिंग कर रहे थे इसलिए उस स्थान को मोटर्स से उड़ा दिया था उसमें कई आतंकीयो को मार गिराया था उन्हीं आतंकियों में गाजी बाबा नामक खूंखार आतंकी भी मारा गया था जो कई आतंकी गतिविधियों का मास्टरमाइंड था । एयर इंडिया आईसी 814 के अपहरण ,कश्मीर घाटी में विदेशियों के अपहरण से लेकर जम्मू कश्मीर विधानसभा और फिर भारतीय संसद पर हमले में आतंकियों का सरगना था। जब पंजाब में अशांति चरम सीमा पर थी तो बीएसएफ के जवानों को ऑपरेशन ब्लू स्टार और ऑपरेशन ब्लैक थंडर में अहम जिम्मेदारी दी गई थी जिसका उन्होंने बहुत ही बहादुरी से अंजाम दिया था। कारगिल युद्ध 1999 में मई के दूसरे सप्ताह से शुरू हुआ था । कारगिल के नजदीक बीएसएफ की 1022 आर्टिलरी रेजिमेंट पहले से तैनात थी उस समय पाकिस्तान के कई प्रभावशाली इलाकों को ध्वस्त कर रेजिमेंट ने अहम रोल अदा किया था ओर अपने दायित्वों का वीरतापूर्वक निर्वाह करते हुए राष्ट्र के मस्तक को गर्व से ऊंचा किया था , दुश्मन से बहादुरी से मुकाबला करते हुए बल के कई जावाजो ने अपनी शहादते दी थी । जब मामला अत्याधिक गंभीर हो गया था तो आर्मी के साथ भी मोर्चा संभाला था। 26 जनवरी 2001 को गुजरात में आए भूकंप में बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स के जवान सवसे पहले वहां मदद देने के लिए पहुंचे थे। गुजरात दंगों में बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स ने शांति और भाईचारा कायम करने में अपनी अहम भूमिका निभाई थी। केंद्र सरकार ने आतंकी गतिविधियों को देखते हुए ओर सरहद पार से होने वाले सभी प्रकार के अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए हाल में बीएसएफ अधिकार क्षेत्र के दायरे को बढ़ाया गया है।बी एस एफ के अनगिनत अधिकारियों ओर जवानों को सेना, पुलिस, सिविल अवार्डों से नवाजा जा चुका है ।
, राजस्थान में तपते मरुस्थल ,जम्मू-कश्मीर की घने जंगलों , ऊंची- ऊंची बर्फीली चोटियों पर तैनात जवान रात भर शुन्य रेखा पर जाकर सरहदों की चौकसी करते हैं जहां दुश्मनों के साथ – साथ जंगली जानवरों , जहरीले जीवों , खतरनाक मोसम से भी सामना करना पड़ता है । आंकड़ों के मुताबिक सरहदों पर बलो के 77 प्रतिशत जवान केवल 4 घंटे ही सो पाते हैं। सीमा पर परिवार ना रख पाने के कारण वे सिर्फ में 2 महीने की छुट्टी अपने परिवार के साथ बिता पाते हैं बाकी 10 महीने उन्हें लगातार ऐसी ही लगातार कठोर परिस्थितियों में रहना पड़ता है। उनके इन हालातों को देखते हुए किसी भी प्रकार से मानवीय नहीं कहा जा सकता है लेकिन बल के सदस्यो की ट्रेनिंग ही ऐसी होती है जो हर प्रकार की कठिनाईयों , समस्याओं को आसानी से खुशी -खुशी आसानी से झेल लेते है । देश में आईं टी बी पी , एस एस बी, सी आर पी एफ ,सी आई एस एफ इत्यादि भी बल है जो भी MHA के अन्तर्गत आते हैं सभी देश की आंतरिक सुरक्षा एवं सरहदों की रक्षा में अपनी अहम भूमिका निभा रहे अजादी के बाद जितने भी युद्ध हुए हैं ओर देश की आन्तरिक सुरक्षा में सबसे ज्यादा इन्हीं बलों ने शहादते दी है ,लेकिन सुविधाओं के नाम पर सभी के साथ दोहरीकरण किया जाता है उसी कारण बलो के सदस्य मानसिक दबाव में जरूर रहते हैं। जिसके मुख्य कारण जेसे लगातार सीमाओं पर कार्य और जिम्मेदारियों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है , 2004 के बाद पुरानी पेंशन का बन्द होना , सुविधाओं ओर मनोरंजन की कमी , परिवार की देखभाल पर घरेलू परेशानियां , अवकाश लेने में मुश्किलों जेसे कारणों से , जवानों में हाइपरटेंशन ( मानसिक तनाव ) से लेकर आत्महत्याएं , आपसी झगड़े , दिल का दौरा जेसी घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है जो केवल दुर्भाग्यपूर्ण ही नहीं बल्कि सरकार ओर बलो के बड़े अधिकारियों की कार्यशैली पर भी एक बहुत बडा प्रश्नचिन्ह है ।आज जरूरत है कि बलो के मुखियो का चयन लम्बे समय से बलो में सेवा दे रहे अधिकारियों से ही होना चाहिए जो बलो के सदस्यों को आ रही समस्याओं को पूर्ण रूप से समझ सके ओर निवारण कर पाए ।
पैरामिलिट्री सदस्यों को ट्रेनिंग से लेकर , सेवा दौरान ओर सजा में कोर्टमार्शल तक के सभी नियम सेना की तरह लागू रहते हैं लेकिन जब उनकी मूलभूत सुविधाओं की बात आती है तो उन्हें सेंट्रल सिविल सर्विस नियम लागू होने कारण नजरअंदाज रखा जाता है जो बलो के सदस्यों के साथ बहुत बड़ा अन्याय ही है। पैरामिलिट्री सदस्यों की मूलभूत जायज सुविधाओं के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की जाती है। हाल में पैरामिलिट्री के सेवारत सदस्यों ओर उनके परिवारों को *आयुष्मान योजना* से तो जोड़ा गया है लेकिन सेवानिवृत्त पैरामिलिट्री सदस्यों को इस योजना में शामिल नहीं किया गया है जो एक आचार्यजनक ही है । सेवानिवृत्त सदस्यों के लिए (सी जी एच एस ) सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम लागू हैं लेकिन यह सुविधा अभी तक बड़े-बड़े शहरों तक ही सीमित है , जिला स्तर पर अभी तक सीजीएचएस डिस्पेंसरी का गठन नहीं हो पाया है । हिमाचल में सिर्फ शिमला में ही एकमात्र सी जी एच एस डिस्पेंसरी है जो प्रदेश के केंद्र स्थान पर न होने कारण ज्यादातर पैरामिलिट्री के सदस्य अपनी स्वास्थ्य सुविधा से भी वंचित है । सेवानिवृत्त सदस्यों के दुःख दर्द समस्याओं के निवारण हेतु पैरामिलिट्री कल्याण संगठन की नोटिफिकेशन तो हिमाचल सरकार ने चार साल पहले कर दी थी लेकिन धरातल पर कोई भी कार्रवाई न आज तक नहीं हो पाई है । सेवा दौरान पैरामिलिट्री के सदस्य कोई भी संगठन नहीं बना सकते न ही ऐसे किसी संगठनों के प्रोग्रामों में भाग ले सकते हैं । पैरामिलिट्री सदस्यों में अनुशासन ओर देश प्रेम उनके रोम रोम में भरा रहता है । अपना पूरा जीवन देश को समर्पित करने वाले सेवानिवृत्त सदस्यों को संगठन बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा है और लंबे समय से अपनी स्वास्थ्य सुविधा तक की मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं । अपनी जायज मांगों को मनवाने के लिए न्यायालय तक की शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है । जो एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। वर्तमान सरकार ने कुछ समय पहले पैरामिलिट्री को सेना में दिए जाने *बैटल कैजुअल्टी सर्टिफिकेट की तर्ज पर ऑपरेशनल कैजुअल्टी सर्टिफिकेट जारी किया गया है जिससे पैरामिलिट्री के गुमनाम शहीद के परिजनों को सुविधाएं मिलनी शुरू हुई है। जो सरकार का बहुत ही सराहनीय क़दम है।
देश की आन बान शान और शांति बनाए रखने में रात-दिन 24 घंटे अपनी जान तक की परवाह नहीं करने पैरामिलिट्री सदस्यों की दी जा रही कठिन सेवाओं ओर उनके मनोबल को ध्यान में रखते हुए केंद्र एवं प्रदेश सरकारों को गंभीरता से मंथन करके उन्हें जायज सुविधाएं जिसके सही हकदार हैं जल्दी लागू करके
अपना कुशल दायित्व निभाने में अव देरी नहीं करनी चाहिए।

मनवीर चन्द कटोच
(प्रदेश एवं राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता)
पैरामिलिट्री संगठन
गांव भवारना जिला कांगड़ा
मोबाइल 8679710047
ईमेल manbirkatoch@gmail.com

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