*पालमपुर शहर के कुछ शौचालय जहां से गुजरती हुई महिलाओं के सिर शर्म से झुक जाते हैं*
पालमपुर में मिस्टर निगम द्वारा बनाए जा रहे हैं शौचालयों की चर्चा ना केवल हिमाचल में बल्कि शायद पूरे उत्तरी भारत में भी हो रही है ।12 लाख से ऊपर के शौचालय बनाए जा रहे हैं परंतु शर्म की बात है की जो पुराने शौचालय बाबा आदम के जमाने के बने थे उन पर यह मिस्टर निगम लाख, दो लाख खर्च कि उन्हें ऐसा नहीं बना पाए की महिलाओं के बेटियों के माताओं के सिर शर्म से ना झुके ।
आप देखिए सड़क के के बिल्कुल मुहाने पर बने यह शौचालय किस ओर संकेत कर रहे हैं जब यहां पर पुरुष लोग शौचालय करते हुए बाहर निकलते हैं तो महिला के सिर शर्म से अवश्य झुकते हैं ।यह एकमात्र ऐसा शौचालय नहीं है,,,,, मस्जिद गली में भी ऐसा ही शौचालय है जिसके बारे में मैं पहले भी कई बार लिख चुका हूं परंतु शर्म की बात तो यह है कि कोई भी इस ओर ध्यान नहीं देता,,,जबकि नगर निगम में महिला पार्षदों की सांसदों की कमी नहीं परंतु जब महिलाएं ही महिलाओं के लिए उनकी इज्जत के लिए कुछ नहीं करेंगी तो किस से क्या उम्मीद करें? अगर महिलाओं में महिलाओं की अस्मिता की थोड़ी लिहाज होती तो वे ऐसा कभी ना होने देती। और यह कोई ऐसा कार्य नहीं है जिसके लिए बहुत धन की आवश्यकता है या किसी रॉकेट साइंस टेक्नोलॉजी की जरूरत है ।जरूरत है तो केवल मात्र थोड़ी सी महिला समाज के प्रति इज्जत दर्शाने की, उनके प्रति यह भावना जताने की ,कि उनके सिर शर्म से ना झुके ।
यह जो शौचालय चित्र में दिखाई दे रही है तो फिर भी थोड़े ठीक हैं परंतु मस्जिद गली में तो एकदम से बेशर्मी की हद होती है परंतु कुछ भी कहो किसी के कानों पर कोई जूं नही रेंगेंगी।
अगर कहीं विदेश में या किसी अन्य राज्य में या शायद हिमाचल के ही किसी अन्य शहर में ऐसा हो रहा होता तो शायद सभी महिलाएं हड़ताल पर आ जाती धरना प्रदर्शन करती कि यहां पर यह बदतमीजी वाले शौचालय क्यों बनाए गए हैं? या तो इन्हें उखाड़ कर बाहर फेंको या इन्हें प्राइवेसी की सीमा में बांधा जाए ताकि बहनों बेटियों और माताओं को शर्मिंदा ना होना पड़े।
परंतु यह मेरा पालमपुर है हम में सहनशक्ति बहुत है ।शुक्र है महात्मा गांधी यहां पैदा नहीं हुए वरना वह कहते मुझे वॉइस राय बनाओ भाड़ में जाए आजादी। मैं क्यों जेल जाऊं मैं क्यों डंडे खाऊं मैं क्यों भूखा रहूं।
नीचे दिए गए चित्र में मस्जिद गली के में बने दशकों पुराने शौचालय दिख रहे हैं जहां पर से अगर कोई महिला गुजरे तो उसे शर्म महसूस होती है पहले भी कई बार समाचार पत्र में इस बारे में लेख छप चुके हैं परंतु यहां पर किसी को कोई असर नहीं होता महिलाओं की इज्जत अस्मिता शर्मो हया कोई कीमत नहीं इसशहर में।
*पालमपुर नगर निगम के लिए यह गर्व की बात है या शर्म
*.https://tricitytimes.com/2022/07/09/bk-1051/
बुरा हाल है
सोच का
और
सौच का भी