*सुन_चंपा_सुन_तारा_कौन_जीता_कौन_हारा*
15 मई 2023- (#सुन_चंपा_सुन_तारा_कौन_जीता_कौन_हारा)-
कल से आगे- कल मैने अपने ब्लॉग पर कर्नाटक के चुनाव की हार जीत पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि कर्नाटक के परिणाम भाजपा को मतदाताओं द्वारा दी गई चेतावनी है। मेरी समझ मे हिमाचल और कर्नाटक की हार से भाजपा को नुकसान तो हुआ है लेकिन ऐसा नुकसान नहीं हुआ जिसकी भरपाई न हो सके। अभी 2023 के अन्त मे चार राज्यों के चुनाव होने जा रहे है। उनमे से तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ मे कांग्रेस और भाजपा मे सीधी टक्कर होगी। भाजपा वहां हिमाचल और कर्नाटक मे हुई क्षति की पूर्ति कर सकती है, लेकिन भाजपा को आत्म चिंतन और आत्म निरीक्षण कर अपने मे सुधार करना होगा। बाहर से आए दागी नेताओं को पार्टी मे स्वीकार करना और अपने भ्रष्टाचार मे आरोपित नेताओं को अधिमान देना बंद करना होगा। ए पार्टी विद डिफेंरन्स की छवि को फिर से बहाल करने की जरूरत है। आधुनिक भाजपा को भाजपा के सिद्धांतों और कार्यशैली को अपनाना होगा। अधिकांश भाजपा पदाधिकारियों को मजबूत सरकारी सुरक्षा घेरा मिला हुआ है। यह घेरा नेताओं को दम्भी बनाता है और उन्हे कार्यकर्ताओं और जनता से दूर करता है।
मेरे विचार मे सुरक्षा केवल उनको मिलनी चाहिए जिन्हे वास्तव मे खतरा है या जिन्हे प्रोटोकॉल के अर्न्तगत मिलनी जरूरी है। उधर कांग्रेस को कर्नाटक के परिणाम और जीत से भारी लाभ हुआ है। सबसे बड़ा लाभ कांग्रेस ने विरोध पक्ष की राजनिति मे अपने को पुनर्स्थापित कर लिया है। इस परिणाम के बाद कांग्रेस रहित विपक्षी एकता की बात करने वालो के मुंह बंद हो जाएगें। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस इस जीत का श्रेय राहुल की पदयात्रा को दे रही है। हालांकि असल मे हिमाचल और कर्नाटक मे कांग्रेस को मिली जीत भाजपा के प्रति बनी नकारात्मक हवा और मतदाताओं का हर बार परिवर्तन के लिए रूची का परिणाम है। खैर कर्नाटक चुनाव से कांग्रेस को संजीवनी और भाजपा को चेतावनी मिली है।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।