*सुन_चंपा_सुन_तारा_कौन_जीता_कौन_हारा*
16 मई 2023- (#सुन_चंपा_सुन_तारा_कौन_जीता_कौन_हारा)-
कल से आगे – लोकतंत्र मे मतदाता सबसे शक्तिशाली और महत्वपूर्ण होता है। उसके द्वारा दिया गया जनादेश सबको कबूल करना होता है। मेरे विचार मे जीतने वाले को परिणाम के बाद विनम्र होना चाहिए और हारने वाले को सयंम रखना चाहिए। खैर कर्नाटक मे कांग्रेस को बड़ा जनादेश मिला है और एक आंकलन के अनुसार मुस्लिम समुदाय के समर्थन से ही काग्रेस की बड़ी जीत संभव हुई है। जब भी गैर भाजपा हारती है तो गैर भाजपा पार्टियाँ अपनी हार और भाजपा की जीत के लिए ईवीएम प्रणाली पर दोषारोपण करती है। जीतने के बाद उनको इस प्रणाली मे कोई दोष नजर नहीं आता। एक कांग्रेस के समर्थक से जब मैने यह बात की तो उनका तर्क था कि भाजपा राज्यों के चुनावों मे ईवीएम हैक न करके लोकसभा के चुनाव मे हैक करती है। मैने उनका ध्यान 2014 के लोकसभा चुनाव की ओर आकर्षित करते हुए पूछा कि जब भाजपा ने 2014 का चुनाव जीता था उस समय तो कांग्रेस सत्तारूढ़ थी तो क्या भाजपा ने विरोध पक्ष मे भी ईवीएम हैक कर ली थी। इसका उनके पास कोई उत्तर नही था। असल मे राजनेताओं मे हार को स्वीकार करने की शालीनता समाप्त हो गई है। जब जनसंघ के विचारक और अध्यक्ष दीनदयाल उपाध्याय जी चुनाव हार गए तो पत्रकार ने उनकी हार का कारण जानना चाहा तो उन्होने सटीक उत्तर दिया कि निश्चित तौर पर मेरा प्रतिद्वंदी मुझसे बेहतर होगा इसलिए मतदाताओं ने उसे चुना है। आज ऐसे जबाव की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
खैर चुनाव मे हार-जीत चलती रहती है और जब सत्ता परिवर्तन होता है तो वह लोकतंत्र की ताकत का प्रतीक होता है। कर्नाटक मे कांग्रेस जीती उनके नेता बधाई के पात्र है लेकिन उनकी जिम्मेदारी बढ़ गई है। उन्हे मतदाताओं के साथ किए हुए वायदे पूरे करने होगें और उन्हे सोशल नेटवर्किंग पर आ रही इन खबरों का संज्ञान लेना होगा कि कांग्रेस के चुनाव विजय जुलूसो मे कुछ देश विरोधी ताकतों ने पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाए और पाकिस्तान के झंडे फहराकर जीत का जश्न मनाया। इससे पहले पंजाब मे भी आम आदमी पार्टी की जीत के बाद खालिस्तान समर्थकों के हौंसले बुलन्द होने की खबरें सोशल नेटवर्किंग पर आई थी उसके बाद कुछ सबूत भी सामने आए थे। उम्मीद करनी चाहिए कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ऐसे पाक समर्थकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।