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पालमपुर हॉस्पिटल को “पुरस्कार के बाद सज़ा: प्रदेश के नंबर-1 अस्पताल की सेवाओं को सरकार ने दिया झटका”

35 लाख के इनाम के कुछ ही हफ्तों बाद पालमपुर सिविल अस्पताल से 5 विशेषज्ञ डॉक्टरों का तबादला, स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ ही तोड़ने की तैयारी

 

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“पुरस्कार के बाद सज़ा: प्रदेश के नंबर-1 अस्पताल की सेवाओं को सरकार ने दिया झटका”

Bksood chief editor TCT

35 लाख के इनाम के कुछ ही हफ्तों बाद पालमपुर सिविल अस्पताल से 5 विशेषज्ञ डॉक्टरों का तबादला, स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ ही तोड़ने की तैयारी

हिमाचल प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य संस्थान के तौर पर हाल ही में सम्मानित हुए सिविल अस्पताल पालमपुर को प्रदेश सरकार ने 35 लाख रुपये का पुरस्कार तो दे दिया, लेकिन अब उसी अस्पताल की बुनियाद पर चोट होती दिख रही है। ताज्जुब की बात यह है कि जहां एक ओर अस्पताल को बेहतर सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया, वहीं दूसरी ओर उसी अस्पताल से एक साथ पांच विशेषज्ञ डॉक्टरों का तबादला कर दिया गया है। इससे स्वास्थ्य सेवाओं के बुरी तरह प्रभावित होने की आशंका गहराने लगी है।

हालांकि इन डॉक्टरों को अभी तक औपचारिक रूप से रिलीव नहीं किया गया है, लेकिन जैसे ही यह प्रक्रिया पूरी होती है, अस्पताल की प्रमुख सेवाओं की स्थिति बिगड़ना तय माना जा रहा है। तबादले किए गए डॉक्टरों में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. ज्योति धीमान, चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. मेघा, हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. सिद्धार्थ कोरला, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. युक्ति महाजन, और एनेस्थीसिया विभाग की डॉ. अक्ष शामिल हैं।

यह सभी विशेषज्ञ अब टांडा मेडिकल कॉलेज में सीनियर रेजीडेंट के रूप में सेवाएं देंगे। लेकिन जब तक उनके स्थान पर नए विशेषज्ञ नहीं आते, तब तक पालमपुर सिविल अस्पताल की पहले से ही दबाव में चल रही स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा सकती है।

अस्पताल में प्रतिदिन औसतन 700 मरीज ओपीडी में उपचार के लिए पहुंचते हैं, जिनमें बड़ी संख्या में आसपास के विधानसभा क्षेत्रों से आने वाले मरीज भी होते हैं। अभी एक-एक विशेषज्ञ डॉक्टर दिन भर में 100 से 120 तक मरीजों को देख रहे हैं। ऐसे में अगर ये डॉक्टर वास्तव में रिलीव हो गए, तो मरीजों को या तो लंबा इंतजार करना पड़ेगा या निजी अस्पतालों की ओर रुख करना होगा, जिससे समय, पैसा और मानसिक परेशानी तीनों बढ़ेंगे।

अस्पताल की नव स्थापित स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) भी डॉक्टर ज्योति धीमान के स्थानांतरण से सीधी तरह प्रभावित होगी। यह यूनिट बिना शिशु रोग विशेषज्ञ के केवल औपचारिकता बनकर रह जाएगी।

स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार शायद यह देखना चाहती है कि बिना डॉक्टरों के भी “नंबर-1” अस्पताल कितने दिन टिका रह सकता है। कहीं यह पुरस्कार देने के बाद अस्पताल की परीक्षा तो नहीं ली जा रही? सवाल यह भी उठ रहा है कि जब अस्पताल में पहले से डॉक्टरों की भारी कमी थी, तो फिर एक साथ इतने विशेषज्ञों का तबादला करने की जल्दी क्यों दिखाई गई? लोगों ने गुस्से भरे अंदाज में कहा कि यह सभी तबादा तुरंत प्रभावी रूप से रद्द किए जाने चाहिए कुछ भाजपा नेताओं ने तो आंदोलन की चेतावनी भी दी है जिनमें भाजपा नेत्री नवी ठाकुर तथा प्रवीण शर्मा पूर्व विधायक शामिल है

फिलहाल पूरे पालमपुर क्षेत्र में चिंता और नाराज़गी का माहौल है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार इस फैसले पर पुनर्विचार करे और तब तक इन डॉक्टरों को रिलीव न किया जाए, जब तक उनके स्थान पर वैकल्पिक व्यवस्था न हो जाए। वरना यह “इनाम” अस्पताल के लिए दुर्भाग्य में बदल सकता है।

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