*राधा स्वामी सोलन,लाखों_की_भीड़_और_अच्छे_वचनों_का_श्रवण :’लेखक महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार*



08 मई 2023- (#लाखों_की_भीड़_और_अच्छे_वचनों_का_स्रवण)-
सोलन मेरा घर “राधा स्वामी सत्संग भवन” के निकट है। यहां वर्ष मे एक बार बड़े सत्संग का आयोजन होता है और राधास्वामी सत्संग के प्रमुख यहां सत्संग करने के लिए पधारते है। दूर- दूर से लोग बाबा जी के दर्शन करने और उनके सत्संग को सुनने पहुंचते है। एक आंकलन के अनुसार रविवार को लगभग डेढ़ लाख से दो लाख लोगो ने सत्संग सुना है। सत्संग मे बाबा जी ने अच्छे कर्म करने पर जोर दिया और बताया कि इंसान के भीतर ही प्रकाश है जिसे प्रज्जवलित करने से बेड़ा पार होगा। गुरू केवल सहायता कर सकता है कर्म तो इंसान के अपने है। मालिक का नाम ही मुक्ती प्राप्त करने का एक रास्ता है। वह नाम जपने, सेवा करने और चलायमान मन को कंट्रोल करने का सन्देश देते है। संगत को उन्होने आगाह किया कि “जैसी करनी वैसी भरनी”। इसलिए अच्छे फल के लिए अच्छे कर्म जरूरी है। मेरी समझ मे बाबा जी द्वारा बताई गई बाते गुरुवाणी सहित सभी अच्छे धर्म ग्रंथो से जुटाई गई है, लेकिन बाबा जी का उन बातों को बताने और समझाने का ढंग अद्भुत है। साधारण भाषा का प्रयोग करते हुए सटीक उदाहरणो के साथ बात आमजन को सरलता से समझ आती है।
मै पिछले लगभग 18 वर्ष से यहां रह रहा हूँ। मेरे देखते- देखते एक छोटे से सत्संग भवन से यहां एक विशाल केन्द्र बन गया है और इसको बनाने मे बड़ी भूमिका राधास्वामी के अनुयाईयों की है जिन्होने सेवा भाव से यहां वर्षों निशुल्क सेवा की है। खैर सत्संग के इस वार्षिक सम्मेलन मे प्रबंधन की कला का अवलोकन करने का भी अवसर मिला। लाखों की भीड़ ,हज़ारों वाहन, हज़ारों मोबाइल और बिगड़ता हुआ मौसम लेकिन कहीं भी व्यवस्था मे कोई कमी नहीं कोई चूक नहीं। लाखों के ठहरने, नहाने-धोने और खाने की व्यवस्था इंसान कर रहे थे लेकिन मशीन की तरह हो रही थी। सेवादार अपनी सेवा करते हुए जो शालीन व्यवहार रखे हुए थे वह अनुकरणीय था। मेरी जानकारी के अनुसार राधा स्वामी सम्प्रदाय आध्यात्मिक शिक्षा के अतिरिक्त अपने अनुयायियों को मास- मदिरा छोड़ने के लिए भी प्रेरित करता है। नामदान उसी को दिया जाता है जो शराब न पीते हो और मास न खाते हो। मैने इस दावे की परख करने के लिए रबोन के शराब के ठेके का रूख किया। शनिवार रात नौ बजे के करीब लगभग आधा घंटा तक मै शराब की दुकान के बाहर खड़ा रहा। लाखों की भीड़ लेकिन शराब का कोई ग्राहक नहीं। एक ग्राहक आया भी तो वह स्थानीय निवासी था। सत्संग का यह प्रभाव भी अद्भुत और प्रसंशनीय है। खैर मेरे पड़ोस मे दो दिन का अध्यात्मिक सम्मेलन निश्चित तौर पर विश्वास और भक्ति का संगम था। बाबा जी अध्यात्मिक गुरू के साथ प्रबंधन गुरू के खिताब के भी पात्र है।

#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।