


8 नवम्बर 2023- (#लोकतंत्र_मे_समाप्त_हो_रही_लोकलाज)–
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल पर गिरफ़्तारी की तलवार लटक रही है। प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हे आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले मे तलब किया है। वह सम्मन को राजनीति से प्रेरित बता कर जांच से भाग रहे है। कभी केजरीवाल अन्ना आन्दोलन के मुख्य कारदार थे। वह राजनीति मे नैतिकता,लोकपाल और लोकतंत्र मे लोकलाज की बड़ी-बड़ी बातें किया करते थे। केजरीवाल ने राजनीति मे इतने रंग बदले है कि गिरगिट को भी पछाड़कर रख दिया है। उनके मंत्री जेल मे बंद हुए तो उन्होने कई महीने तक उनसे इस्तीफा लेना उचित नहीं समझा। भ्रष्टाचार से आरोपित मंत्रियो की तुलना शहीद भगत सिंह से करते रहे। उन्हे कट्टर ईमानदार बताते रहे। अब तो हद हो गई जब दिल्ली मे सम्पन्न आम आदमी पार्टी विधायक दल की बैठक मे सर्वसम्मत राय व्यक्त की गई है कि यदि अरविंद जेल जाते है तो भी वह मुख्यमंत्री बने रहेंगे और जेल से ही सरकार का संचालन करेंगे। दिल्ली की मंत्री आतिशी ने कहा कि जरूरी हुआ तो हम केजरीवाल की गिरफ्तारी के उपरांत उनके जेल से ही आधिकारिक कार्य करने की अनुमति मांगने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।
स्मरण रहे विधायकों की इस बैठक मे अरविंद स्वयं मौजूद थे। वैसे अब राजनीति मे लोकलाज बीते कल की बात हो गई है। वह भी समय था जब आडवानी जी पर हवाला के आरोप लगे तो उन्होने अपनी लोकसभा की सीट से त्यागपत्र दे दिया था और तब तक चुनाव न लड़ने की शपथ ले ली थी जब तक उन्हे उन आरोपों से क्लीन चिट नहीं मिलेंगी। हिमाचल के एक मंत्री से शांता जी ने इस आरोप के चलते इस्तीफा ले लिया था कि मंत्री ने नशे मे थानेदार को धमकाया था। बिना लोकलाज के लोकतंत्र ऐसा ही होता है जैसे बिना आत्मा के इंसान। केजरीवाल जेल जाते है या नहीं यह भविष्य के गर्भ मे है, लेकिन उनके विधायकों का सर्वसम्मत हो कर यह कहना कि वह जेल से भी सरकार का संचालन करें लोकतंत्र मे लोकलाज के सिध्दांत को तार – तार करने वाला है।
#आज_इतना_ही।