*Modi ji:मोदी जी हम तो आपके दीवाने हैं जो आप कहो हम वही माने हैं.😀* नगर निगम
Modi ji:मोदी जी हम तो आपके दीवाने हैं जो आप कहो हम वही माने हैं.,😀
मोदी जी ने सत्ता संभाली और कई योजनाएं शुरू की जिसमे बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ तथा स्वच्छ भारत मिशन अहम योजनाएं थी। इनमें से स्वच्छ भारत को सबसे अधिक महत्व दिया गया क्योंकि देश के दूरदराज के गांव में महिलाओं को शौचालय की बहुत दिक्कत हुआ करती थी। मोदी जी ने इसके लिए बहुत बड़ा बजट रखा और इस मिशन को आगे बढ़ाया ताकि भारत एक स्वच्छ छवि वाला देश बन सके।
हमारे नगर निगम पालमपुर ने भी इस मिशन को बड़े जोर शोर है बड़े ही होंसले से शिद्दत से और द्रुत गति से आगे बढ़ाया। जहां पर शौचालय की आवश्यकता थी वहां पर शौचालय बनाए गए क्योंकि लोगों को सुविधा देनी थी ।
परंतु बजट इतना अधिक आ गया कि मोदी जी के अभियान को आगे बढ़ाने के लिए अगले 10- 20 सालों की भी सोचनी पड़ी और जहां पर पहले से शौचालय मौजूद थे उन्ही पुराने शौचालय के साथ नए शौचालय भी बना दिए गए ।हालांकि इन्हें कोई इस्तेमाल करेगा या नहीं यह विषय नहीं था, विषय यह था कि पैसा खर्च कितनी जल्दी किया जा सके कर लिया जाए। और इस अभियान को कितनी जल्दी आगे बढ़ाया जा सके बढ़ाया जाए चाहे इसकी उपयोगिता हो या ना हो।
अभी कुछ दिन पहले ही एक खबर लगी थी कि पुलिस क्वार्टर्स के साथ पुराने शौचालय के ऊपर ही नए शौचालय बना दिए गए हालांकि पुराने शौचालयों को भी शायद ही किसी ने भी इस्तेमाल किया हो। या शायद कभी-कभार ही उसे इस्तेमाल किया जाता रहा होगा,परन्तु नए शौचालय उसकी छत पर बना दिए गए।निगम के प्रबुद्ध जानकर व तकनीकी और प्रशासनिक रूप से विकसित व निपुण लोगों ने यह सोचा होगा कि ग्राउंड फ्लोर पर लोग शौचालय करने के लिए जाना पसंद नहीं कर रहे होंगे इसलिए फर्स्ट फ्लोर पर बना कर देखते हैंशायद इसलिए उन्होंने फर्स्ट फ्लोर पर शौचालय बना दिए गए परंतु यह प्रयोग भी आसफल रहा और इस प्रयोग में 12 लाख डूब गए क्योंकि फर्स्ट फ्लोर पर भी शौचालय के चारों और इतनी खास जमी हुई थी कि ऐसा लगता नहीं था कि वहां पर कभी कोई शौचालय इस्तेमाल करने गया हो।
वहां पर तो शायद ठेकेदार ने जब से ताला लगाया तब से वह ताला आज तक शायद खुला भी नहीं।
यही हाल अभी हाल ही में खलेट में सीनियर सेकेंडरी स्कूल खलेट के पास देखा गया जिसकी बाउंड्री के बाहर एक शौचालय बना दिया गया है। हालांकि वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल के अपने शौचालय हैं अंदर एक सरकारी डिस्पेंसरी है उसके अपने शौचालय हैं ।चारों ओर हरे भरे चाय के बागान है उन बागानों के मालिकों के बंगले हैं।सोचा शायद उनके लिए नहीं पर उनके चाय बागान के मजदूरों के लिए शायद ये बनाए गए होंगे ।परंतु उन मजदूरों के लिए पहले से ही उनके क्वार्टर्स के साथ शौचालय बनाए गए हैं आस-पास कोई ऐसी बस्ती नजर नहीं आई जो इनका इस्तेमाल करेंगे।
हां 1 या 2 किलोमीटर दूर से लोग यहां पर आए तो बात अलग है। साथ में जो कॉलोनी है वह बहुत ही आधुनिक और अमीर लोगों की कॉलोनी है जिसके एक-एक घर में शायद 2-2 शौचालय बने होंगे . इस शौचालय के चारों ओर इतनी झाड़ियां उगी हुई है कि शायद ही कोई यहां पर कभी गया होगा ,और दोपहर के समय में अगर चाय बागानों के मजदूरों को कभी कोई आवश्यकता आन पड़े तो वे चाय बागान को ही सींचित करते हैं यह एक पुरानी परंपरा है। फिर यह शौचालय यहां पर किस लिए बनाए गए हैं? यह हम जैसे आम लोगों की समझ में नहीं आएगा क्योंकि जिन्होंने इसका निर्माण किया है वह बहुत बड़े-बड़े इंजीनियर हैं प्लानर्स है एडमिनिस्ट्रेटर है ,बहुत बड़े-बड़े नेता हैं उनकी सोच आम आदमियों की सोच से अलग हो सकती है उच्च कोटी की हो सकती है हमारी समझ से बाहर हो सकती है। हो सकता है आने वाले 10- 20 सालों की प्लानिंग की गई हो या 10 -20 साल बाद काम आ जाएं अगर तब तक बच गए तो।
यह सभी शौचालय प्रीफैबरीकेटेड स्ट्रक्चर्स के बने है और एक छोटे से झटके से ही इसको तोड़फोड़ की जा सकती है ।
लोगों से बात करने पर पता चला कि जब से यह शौचालय बने हैं यहां पर कोई नहीं आया है और ताले तक नहीं खुला जबकि ग्रामीणों को ऐसी सुविधा मिलती हो तो वह खुश होना चाहिए लेकिन इन ग्रामीणों का कहना था कि इन शौचालय की ना तो साफ सफाई हो पाएगी और ना ही इन्हें सही ढंग से रखरखाव किया जा सकेगा यह सरकार के पैसे की सरासर फिजूल खर्ची है । एक महिला ने तो कहा कि इन शौचालय में जाने से तो बेहतर है कि हम आसपास की खुली जगह का इस्तेमाल करें। क्योंकि यह बदबू और गंदगी से भरे रहेंगे
यह बात तो छोड़िए हैरानी की बात तो यह है की गौशाला में भी शौचालय बनाए गए हैं जहाँ बन्दा न बन्दे की जात । 2-3 गौ सेवक वहां पर रहते हैं जिनके लिए पहले ही गौ सदन के भीतर शौचालय बनाए गए हैं।
हैरानी की बात कि एनिमल हसबेंडरी के दफ्तर के अंदर संस्थान के अंदर, शौचालय बनाए गए हैं जबकि इस संस्थान में हर ऑफिस के साथ अपना एक शौचालय है और गेट से अंदर परमिशन लेकर कौन शौचालय के लिए जाएगा?
लेकिन साहब यह हमारे सोचने का विषय नहीं है ना ही हमारी समझ में आ सकता है ।गौसदन में शौचालय बनाया गया है वह किस लिए बनाया गया है यह आम आदमी की समझ में नहीं आएगा। क्योंकि जो बड़े-बड़े इंजीनियर और एडमिनिस्ट्रेटर है उन्होंने कुछ सोच समझ कर ही उसे वहां बनाया होगा। क्योंकि मोदी जी का पैसा है उसे खर्च करना ही है और अगर हमने पैसा खर्च कर दिया तो हमे शाबाशी मिलनी ही है ।यदि हम इस पैसे का इस्तेमाल न करके इसे केंद्रीय सरकार को वापस भेज देते तो शायद वह हमें निक्कमा साबित कर देते कि आपको पैसा भेजा था आप खर्च नहीं कर पाए।
परंतु व्यर्थ के खर्चे से पैसे को बचाना ज्यादा बेहतर होता है। यहां यह समझना जरूरी है कि यह पैसा किसी खानदान का पैसा नहीं है किसी एक परिवार या वंशवाद का पैसा नहीं है यह देश के कारदाताओं का पैसा है और इसका सही इस्तेमाल करना उन लोगों की जिम्मेवारी है जिनके टैक्स से इन बड़े-बड़े अधिकारियों और नेताओं और कर्मचारियों की सैलरी जाती है।
सूद साहब! जब से निगम का गठन हुआ तब से ही ये किसी न किसी कारण सुर्खियों में ही रहा एक सबसे बड़ी बात ये कि हम गांववासियों को न चाहते हुए भी निगम में शामिल कर दिया गया उस वक्त की सरकार की मंशा क्या रही होगी ये तो मुझे नहीं पता परंतु हो सकता था वो इसके सहारे पालमपुर विधान सभा सीट जीतने की उम्मीद जगाए बैठे थे जो केवल एक दिवास्वपन ही साबित हुआ , उसके बाद आलम ये रहा कि नगर निगम कमिश्नर की कार्यशैली पर सवाल उठते रहे और एक के बाद एक आता जाता रहा अब कहीं जाकर जो इस समय यहां पर हैं ये अपने कार्य को बहुत कुशलता से अंजाम दे रहे हैं और शायद एक सबसे बड़ी कूड़े के लगे और दवे ढेरों का निष्पादन शुरू हुआ है और लगता है कम से कम इस विकट समस्या से निजात मिल जायेगी , लेकिन इसके बगैर भी ढेरों समस्याएं खड़ी हैं जिनमें एक तो ये है कि चुनाव जीतने के बाद पार्षद ने अपने कई क्षेत्रों की ऐसी अनदेखी की कि पता नहीं चुनाव के समय उस इलाके के लोगों ने कोन सा गुनाह कर दिया और अब मैं आपकी बात पर आ गया वो दिया और वहां दिया जहां दूर दूर तक भी इसकी जरूरत नहीं थी केवल और केवल पैसे की वरवादी और अपनो को खुश करना और कई जगह तो केवल आया हुआ पैसा फैंकने बाली बात थी आपने जो भी सर्वे करके दिखाया दर्शाया उसकी सच्चाई में रत्ती भर भी शक की गुंजाइश नहीं इस प्रकार से पैसे की वरवादी करने के पीछे छिपी मंशा क्या रही होगी , इस पर भी सवालिया निशान तो लगता है , मेरे गांव में भी जिस चीज की जरूरत थी उसका तो कहीं कोई नामो निशान नहीं और जिसकी जरूरत ही नहीं थी जैसा कि आपने लिखा है एक शौचालय बना कर उसको कई महीनों से लगभग साल से ऊपर हो गया ताला लगा कर रखा है और अगर ये ताला खुलेगा भी तो वहां जायेगा कोन ? इस शौचालय की सख्त जरूरत माउंट कार्मेल स्कूल के पास थी और मैने आपके ट्राइसिटी के माध्यम से इसके विषय में अवगत भी कराया था , यहां मैं एक बात और भी लिखना जरूरी समझता हूं कि हमारे विधायक श्री आशीष बुटेल जी ने एक आश्वाशन इलाका वाशियो को दिया था कि जब हम सत्ता में आंएगे तो खलेट पंचायत को हम फिर से पंचायत का दर्जा दिलवायेंगे अब इसमें ये कहां तक सफल होंगे ये इंतजार की बात है
Dr lekh raj khalet palampur