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*#Palampur बगावत:* *नगर निगम पालमपुर के वार्ड नंबर 11 के बाशिंदों ने नगर निगम से बाहर होने की लगाई गुहार*

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Palampur बगावत *नगर निगम पालमपुर के वार्ड नंबर 11 के बाशिंदों ने नगर निगम से बाहर होने की लगाई गुहार*

Tct chief editor

पालमपुर आज जहां नगर निगम पालमपुर को नए  मेयर और डिप्टी मेयर मिले वहीं पर पालमपुर नगर निगम के 11 नंबर वार्ड के वोटर्स ने नगर निगम से बाहर होने के लिए उपायुक्त कांगड़ा को एक ज्ञापन सोपा।

आज नगर निगम पालमपुर में मेयर और डिप्टी मेयर का शपथ ग्रहण समारोह था वहां पर एडीसी द्वारा शब्द दिलवाई गई जिसके तत्पश्चात वार्ड नंबर 11 के मतदाताओं ने आकर नगर निगम के विरुद्ध रोष प्रकट करते हुए खुद को पंचायत में मिलाने तथा  नगर निगम से बाहर करने की अपील की जो की एक अच्छा संदेश नहीं है।

क्योंकि लोग नगर निगम  के दायरे में आने के बावजूद उसकी कार्य प्रणाली से सहमत नहीं है ।यह हाल केवल वार्ड नंबर 11 का ही नहीं है बल्कि इस तरह की विरोध के स्वर कई वार्ड में देखे जाते हैं ।हालांकि अभी नगर निगम ने पूरी तरह से टैक्स लेना शुरू नहीं किया है फिर भी लोग बिना टैक्स के भी नगर निगम के कार्य प्रणाली से खुश नहीं है ।वार्ड नंबर 11 के बाशिंदों द्वारा डीसी महोदय को लिखा गया  प्रार्थना पत्र इस तरह से हैं:-

सेवा में जिलाधीश महोदय जिला कांगड़ा हिमाचल प्रदेश

विषय : वार्ड नंबर 11 राजपुर (रेलवे लाइन से नीचे) के एक हिस्से को नगर निगम पालमपुर में से निकाल कर साथ लगती पंचायत में जोड़ने हेतु प्रार्थना पत्र।

मान्यवर जी, हम समस्त वार्ड नंबर 11 राजपुर वासी इस संयुक्त प्रार्थना पत्र के माध्यम से आपके समक्ष बड़ी उम्मीद में अपनी निम्नलिखित बेहद जरूरी मांगें लेकर उपस्थित हुए हैं।

1) जनाब के ध्यानार्थ यह बात लाई जाती है कि राजपुर वार्ड से गुजरने वाली रेलवे लाइन से नीचे के क्षेत्र के समस्त वासी आज भी बिना सड़क मार्ग तथा   वाहन वाले रास्ते के बगैर अपना गुजारा जैसे तैसे चलाने पर विवश हैं।

2) राजपुर वार्ड के इन दो हिस्सों टीका मलहेतर तथा टीका गोरट (रेलवे साइन से नीचे) के बाशिंदे आज भी मकान आदि बनाने के लिए भवन सामग्री या अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के भारी / हल्के सामान को अपने सिर पर उठा कर लगभग एक किलोमीटर पहुंचाने पर विवश हैं! क्योंकि रेल्वे विभाग अपनी रेल पटरी के “नुकसान का अंदेशा” का हवाला देकर चार पहिया तो छोड़िए दोपहिया वाहनों को भी पटरी के पार ले जाने नहीं देता है।

3) बहुत बार पूर्व में भी रेलवे अधिकारियों तथा इन दो क्षेत्रों मतहेतर तथा गोरट के वासियों के मध्य रास्ते को लेकर बहसवाज़ी हो चुकी है। किंतु रेलवे विभाग अपने अड़ियल तथा दादागिरी पूर्ण रवैये पर अटल तथा कायम है.।

दो बार तो रेलवे अधिकारियों ने रास्ते पर पड़ने वाले रेलवे क्रासिंग के दोनों ओर गहरी खुदाई कर के दोपहिया वाहनों की आवाजाही पूरी तरह बंद तक करवा दी थी, जिसे हम समस्त गांववासियों ने बार बार मिन्नतें कर के बामुश्किल चालू कराया था।

जिससे न केवल दोपहिया वाहन चालकों को अपितु पैदल चलने बालों को ही बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ा था। एक बार तो भारी बरसात के दिनों में एक छोटा सा बच्चा स्कूलजाते समय रेलवे द्वारा खोदी गई खाई में गिर गया था।

बरसात के मौसम में उक्त कीचड़ भरी कच्ची पगडंडियों पर चलना तक मुहाल हो जाता है।

4) महोदय, गैस सिलेंडर की गाड़ी के आने का दिन निर्धारित है तथा लोग एक किलोमीटर खाली सिलेंडर अपने सिर पर उठा कर या मजदूर द्वारा सड़क तथा पहुंचाते हैं और यह काम 65-70 वर्ष के बुजुर्गों के लिए अत्यंत कठिन कार्य होता है। बहुत बार तो सिलेंडर पहुंचाते पहुंचाते गैस की गाड़ी जा चुकी होती है और शाम को खाली मिलेंडर उठा कर मायूस दोबारा घर जाना पड़ता है।

5) सरकार द्वारा प्रत्येक प्रदेश बासी को 108 एम्बुलेंस की सुविधा प्रदान की गई है, किन्तु शायद हम अभागे लोगों की किस्मत में यह भी नहीं लिखी है। अगर रात के समय कितने भी बीमार हों, वृद्ध या गर्भवती को आनन फानन में अस्पताल पहुंचाने की नौबत आ जाए तो बहुत ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि मरीज़ को गाड़ी की सुविधा ना होने के कारण बामुश्किल पीठ पर उठा कर या खाट चार लोगों के कंधोपर लाद कर मुख्य सड़क तक लाना पड़ता है. क्योंकि चार पहिया वाहन यहां पहुंचता ही नहीं है।

दिन के समय जवान पुरुष उपलब्ध ना होने पर महिलाओं को अपनी पीठ या अन्य तरीके से मुख्य मार्ग तक पहुंचाना पड़ता है। कई मौकों पर तो रात को बीमार आदमी  बीमारी की स्थिति में रोगी घर पर ही अपने प्राण त्याग देता है क्योंकि उन उठाने वाला ही कोई मौजूद नहीं होता है।

6) हम लोग आज भी बार बार बाधित होने वाली पानी तथा low voltage बिजली सप्लाई की मार झेलने पर विवश हैं, ऐसा कोई दिन नहीं जाता जिस रोज तीन या चार बार अघोषित रूप से बिजली ना जाती हो ।

क्योंकि जब से यह जबरन नगर निगम में जोड़ देने का फैसला हम पर थोपा गया है। तभी में हम रेल्वे लाइन के नीचे के वासियों का जीवन परेशानियों से भर गया है.। अब पंचायत हमारी सुधि लेने के लिए मौजूद नहीं है और नगर निगम के जनप्रतिनिधियों तथा अधिकारियों को हममे मानों कोई सरोकार ही नहीं है। जीवन की मूलभूत सुविधाएं जैसे सड़क, रास्ते आदि बिल्कुल ना के बराबर और अगर कोई छोटा मा भी कागजी काम कराना पड़ जाए तो पालमपुर नगर निगम कार्यालय के बार बार चक्कर लगाने पड़ते हैं!

7) उक्त वर्णित दोनों क्षेत्रों के अधिकांश लोग ग्रामीण परिवेश से आते हैं जो रोजाना दिहाड़ी मजदूरी, प्राइवेट नौकरी आदि से बामुश्किल परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं और यह पूरा इलाका ग्रामीण आर्थिकी बाला है ! या तो अपनी रोजी रोटी के लिए दिहाड़ी लगा लें या नगर निगम कार्यालय के चक्कर काटते रहें।

8)सड़क मार्ग ना होने के कारण इस क्षेत्र में कूड़ा करकट उठाने वाली गाड़ी भी हमारे निवास क्षेत्रों में नहीं आ सकती है।

9) नगर निगम के गठन के समय भी हमने अपनी ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों में भी इस क्षेत्र को नगर निगम से बाहर रखने का बार बार आग्रह किया था परन्तु पता नहीं कैसे उन्होंने इस क्षेत्र को सम्मिलित करने बाबत NOC जारी कर दी।

10) जब भी रास्तों को पक्का करने या लॉक टाइल आदि बिछाए जाने की बात आती है तो यह कह कर पल्ला झाड़ लिया जाता है कि हम रेल्वे की हदबस्त में उक्त कार्य नहीं कर सकते किन्तु जब इस क्षेत्र को वर्गीकृत किया जाता है तो इसे नगर निगम में शामिल माना जाता है।

11) उल्लेखनीय है कि वर्ष 2021 में इस नगर निगम के गठन के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जी ने यह घोषणा भी की थी कि जो इलाका वासी इस नगर निगम के क्षेत्र में नहीं रहना चाहते हैं उन्हें इसके क्षेत्र से बाहर रखा जाएगा । लेकिन आश्चर्यजनक तरीके से हमारे इन्कार के बावजूद भी हमें इस निगम क्षेत्र में जोड़कर जबरन साधारण ग्रामीण से शहरी बना दिया गया। हमने बार बार हवाला दिया था कि लगभग 150 की जनसंख्या वाले हमारे क्षेत्र में 80% भूमि पर कृषि होती है।

12) महोदय, पालमपुर नगर निगम बनने से पहले या उसके बाद भी किसी भी अधिकारी या दूसरे निगम के माननीय जन प्रतिनिधियों ने इस क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों का निरीक्षण करना आवश्यक नहीं समझा !

अतः आपने करबद्ध प्रार्थना है कि एक बार आप स्वयं हमारे निवास क्षेत्रों में पधार कर हमारी दुर्दशा को देखें तथा हमारी हालत का अंदाजा लगाने की कृपा करें

हमारी मांग को पूरा करें जो निम्नलिखित है।

इन दोनों टीका क्षेत्रों मलहेतर तथा गोरट को मिला कर एक अलग पंचायत का गठन कराया जाए या साथ लगती पंचायत बदेहड़ के साथ मिला दिया जाए ताकि हम सभी वासियों (लगभग 60 परिवार) का अमन चैन वापस प्राप्त हो सके।

Nk sharma tct reporter

आपकी बड़ी कृपा होगी।

धन्यवाद सहित

प्राथी

समस्त हस्ताक्षर कर्ता निवासी टीका मनहेतर तथा टीका गोरट

(क्षेत्र निवासी सभी बालिग बोटरों के हस्ताक्षर किए पने पत्र के साथ फोन नंबर सहित मंलग्र किए गए हैं)

पत्र की प्रतिलिपि आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रस्तुत है।

1) मचिव, महामहिम राज्यपाल महोदय, राज्यपाल महोदय हिमाचल प्रदेश !

2) सचिव, माननीय मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार !

3) मुख्य सचिव हिमाचल प्रदेश सरकार शिमला (हि० प्र०)

4) विधायक एंव मुख्य संसदीय सचिव, शिक्षा एंव शहरी विकास हिमाचल प्रदेश सरकार

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One Comment

  1. इनकी गुहार बिलकुल ही जायज है , इस विषय पर मैं भी दो बार बड़े विस्तार से लिख चुका हूं , और समस्या की सारी जड़ रेलवे विभाग है , न ही यहां ये अपनी सेवाएं ढंग से दे पाता है और उल्टा इस विभाग की वजह से ही लोग परेशान हैं , मैंने ये भी जिक्र किया था कि प्रधानमंत्री सड़क योजना के द्वारा वो गांव भी सड़क से जुड़ गए जहां के लिए लोगों ने कभी सोचा ही नहीं था और रेलवे विभाग ने जुड़े हुए गांव भी अपनी अंग्रेजियत बाली सोच से सड़क सुविधा से वंचित कर दिए , इनकी समस्या का हल रेलवे विभाग से उचित माध्यम से बात चीत के बाद ही हल हो सकता है जिसके लिए हमारे पास मेंबर लोकसभा और राज्यसभा हैं.
    Dr.Lekh Raj khalet

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