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*सारा मसला यहां ऊँचे मुक़ाम का है! :लेखिका तृप्ता भाटिया*

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*सारा मसला यहां ऊँचे मुक़ाम का है! :लेखिका तृप्ता भाटिया*

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  • सारा मसला यहां ऊँचे मुक़ाम का है
    वर्ना कौन यहां किसी भी काम का है
    ये सलाम ये इज़्ज़त ये फ़िक्र हमारी
    अभी सबको पता है बंदा काम का है
    हैं सिक्कों की खनक से रोशन महफ़िलें
    वर्ना रिश्ता ख़ून‌ का भी बस नाम का है
    है चमकते आफताब की दुनिया दीवानी
    ग़रीबी का किस्सा तो ढलती शाम सा‌ है
    इक सच कड़वा ये भी सीखा ज़माने से
    मेरी तरह मर्ज़ ऐ हैसियत तमाम का है

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