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*विवादित_होने_के_साथ_ही_हीरो_हो_जाना* *लेखक: महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश*

12 जून 2022– (#विवादित_होने_के_साथ_ही_हीरो_हो_जाना)–

बाजार का नियम है कि “जो दिखता है वह बिकता है”। लोगों की नजर मे आने के कई तरीके है। उनमे से एक तरीका विवाद खड़ा कर देना और विवादित हो जाना भी है। फिल्म जगत की यह बहुत सामान्य रणनीति है जो फिल्म विवादित हो जाती है या विवादित कर दी जाती है वह बाजार मे धूम मचा देती है। कई बार देखा गया है हीरो बनने का रास्ता भी विवाद से होकर जाता है। ताजा उदाहरण पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी के बाद भाजपा से निष्कासित हुई नेता नूपुर शर्मा का है। वह लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स की स्नातक है। दिल्ली विश्वविद्यालय से उन्होने कानून की पढ़ाई की है। वह दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की विधार्थी परिषद की ओर से अध्यक्षा रह चुकी है। वह दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ चुकी है। भाजपा से निष्कासित होने से पूर्व वह भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता थी। इतनी योग्यताओं के बावजूद उन्हे देशभर मे बहुत कम लोग जानते थे लेकिन उनके द्वारा जाने- अनजाने या बहस मे उत्तेजित करने के बाद की गई पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी ने उन्हे दुनियाभर मे चर्चित कर दिया है। शुरुआत मे उन्हे जबरदस्त विरोध झेलना पड़ा और वह कट्टर पंथी मुस्लिमों और इस्लामिक देशों के निशाने पर आ गई थी। यहां तक कि भाजपा ने भी उन्हे निष्कासित कर दिया। कुछ कट्टर इस्लाम प्रेमी प्रवक्ताओं ने तो उनकी मुंडी या जुबान काटकर लाने वाले के लिए लाखों- करोड़ों का ईनाम देने की घोषणा कर दी थी। स्थिति इतनी भंयकर हो चली थी कि सरकार को नूपुर शर्मा को सुरक्षा देनी पड़ी है।

समय के साथ नूपुर को समर्थन भी मिलने लगा। कुछ लोग ऐसे भी सामने आए जो भाजपा से उनके निष्कासन पर भी प्रश्न खड़ा करने लगे। आज अगर सोशल नेटवर्किंग पर नूपुर का विरोध हो रहा है तो उनका समर्थन करने वाले भी कम नहीं है। सोशल नेटवर्किंग पर ऐसे लोग भी है जो तर्क देकर कह रहे है कि नूपुर ने गलत नहीं कहा। एक बार तो नूपुर पूरी तरह दबाव मे नजर आ रही थी और उसी दबाव के चलते उन्होने अपना ब्यान वापस ले लिया था और माफी भी मांग ली थी लेकिन अब समर्थन मिलने के साथ ही वह बेबाकी के साथ अपना पक्ष और अपनी बात सोशल नेटवर्किंग पर रख रही है। भारत देश भावनाओं से चलने वाला देश है। मै इस बात का पक्षधर हूँ कि किसी भी धर्म के महापुरुष के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी किसी की भी ओर से होनी ठीक नहीं है लेकिन बात का बतंगड बनाना भी गलत है। नूपुर के समर्थकों और विरोधियों को संयम बना कर रखना चाहिए। खैर यह पक्का है कि विवादित फिल्म की तरह ही नूपुर भी राजनिति मे सफल होगी।

#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।

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