पाठकों के लेख एवं विचार
*कुमुद की कलम से* *एक बेटी की बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति*

Renu Sharma tct

क्या ज़िंदगी थी मेरी, अब क्या हो गई
हस्ती मेरी ना जाने कहाँ खो गई,
अब चुप रहती हूँ, किसी से कुछ ना कहती हूँ,
क्योंकि घर पराये मे मैं अब रहती हूँ,
हमेशा लड़की पर ही क्यों यह अत्याचार है,
अपनी घर छोड कर जाने को वो ही क्यों लाचार है,
कभी दिल भी करे तब भी घर नहीं जा पाती हैं,
यूँही अंदर ही अंदर घुट घुट कर रह जाती है,
अपनी सालगिरह तो क्या माँ बाप की सालगिरह भी ना साथ मना पाती हैं, जिसने जन्म दिया उसको ही पीछे छोड़ आती हैं,
काश कोई ऐसा भी कानून बनाए शादी के बाद बेटी ही क्यों सब दर्द सहे कुछ लडके वालों के हिस्से मे भी आए,
K. Sharma 🖋