*चुनावी_रणनीतिकार_प्रशांत_किशोर_की_बिहार_मे_व्यवस्था_परिवर्तन_के_लिए_जन_सुराज_यात्रा*


28 जनवरी 2024– (#चुनावी_रणनीतिकार_प्रशांत_किशोर_की_बिहार_मे_व्यवस्था_परिवर्तन_के_लिए_जन_सुराज_यात्रा)–
बिहार की भीषण सर्दी मे सियासी पारा चढ़ा हुआ है। वर्तमान मे यदि हम बिहार की राजनीति का विश्लेषण करते है तो हमे तीन ध्रुव ध्यान मे आते है भाजपा, लालू और नीतीश। इसमे भी एक बड़ी दिलचस्प बात है कि नीतीश बहुत चतुराई से लालू और भाजपा का इस्तेमाल कर लम्बे समय से मुख्यमंत्री बन सत्ता का आनंद उठा रहे है। नीतीश और लालू दोनो भले सत्तारूढ़ रहे हो लेकिन बिहार की मूल समस्याओं का निपटान नहीं हो सका। आज भी बिहार के लोग मजदूरी करते देश के हर प्रदेश मे मिलते है। खैर अब जाने-माने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर जो बिहार के मूल निवासी है ने बिहार मे नई राजनिति का अलख जगाने का निर्णय लिया है। उनका दावा है कि वह बिहार मे व्यवस्था परिवर्तन करने का इरादा रखते है। हालांकि बिहार की राजनीति जातीय राजनीति है और प्रशांत किशोर ब्राह्मण होने के चलते वहां के जातीय समीकरण मे फिट नहीं होते है, लेकिन उन्होने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए आगे बढ़ने का निर्णय लिया है। वह सारे बिहार को अपने कदमों से नाप रहे है। डेढ़ वर्ष चलने वाली इस पदयात्रा से वह बिहार के अधिकांश गांवो मे सम्पर्क करना चाहते है। वह पढ़े लिखे है और वह आंकडो को समझते है। वह यू एन मे अपनी सेवाएं दे चुके है। उनका दावा है कि उन्होने भारत मे विभिन्न दलों के लिए 11 चुनावों मे पेशेवर रणनीतिकार के तौर पर सेवाएं दी और दस मे जीत हासिल की। अपनी सुराज पद यात्रा के दौरान वह तर्क संगत बातें कर रहे है। उन्हे लोग भी सुनने आ रहे है और बडी संख्या मे हर जाति से संबंधित युवा उनके अभियान के साथ जुड़ रहे है।
शांता कुमार जी की पालमपुर से शिमला यात्रा से प्राप्त अनुभव के आधार पर मै कह सकता हूँ कि यदि आप ऐसी यात्रा मे लोगो के साथ कनेक्ट कर पाते है तो उसके सकारात्मक परिणाम आ सकते है। ऐसे अभियान और राजनीतिक परिवर्तन के लिए संसाधनो की भी बड़ी जरूरत होती है। उसके लिए प्रशांत की क्राउड फंडिंग करने की योजना है। जनसवांद मे वह कहते है कि बिहार की आबादी 13 करोड़ है और दो करोड़ लोगों से 100 रूपए ले कर 200 करोड़ रूपए जमा करने का प्रत्यन करेंगे। राजनीति का छात्र होने के नाते मै लगातार मीडिया के माध्यम से पी के की सुराज अभियान पदयात्रा पर नजर रख रहा हूँ। अब राजनैतिक विश्लेषक उनके अभियान को गंभीरता से लेने लगे है। वह इस अभियान को सफल बनाने के लिए जिन्दगी के दस वर्ष देने की बात कर रहे है। उनके इस अभियान के राजनैतिक परिणाम क्या होंगे इसकी भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगी, लेकिन अकेला व्यक्ति जितनी मेहनत कर रहा है और लोगो को उनके अधिकारों को लेकर शिक्षित और जागृत कर रहा है वह निश्चित तौर पर प्रसंशनीय है।

#आज_इतना_ही।