*भाजपा_का_चुनाव_प्रबंधन_पुख्ता* *महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार*


11 फरवरी 2024- (#भाजपा_का_चुनाव_प्रबंधन_पुख्ता)–

हाल ही के राजनैतिक घटना क्रम के अवलोकन के बाद आप सरलता से इस निष्कर्ष पर पहुंचते है कि भाजपा ने आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए पुख्ता प्रबंध कर लिए है। इस प्रबंधन के लिए दो बातों का उसे लाभ हुआ है। एक वह सत्तारूढ़ है उसके पास देने के लिए बहुत कुछ है दुसरा विपक्ष बहुत कमजोर है उसके पास न संसाधन है और न ही आकर्षक नेतृत्व है। भाजपा के अधिकांश निर्णय इस सिध्दांत के साथ किए गए प्रतीत होते है कि जंग, प्यार और चुनाव मे सब जायज है। इसी सन्दर्भ मे अध्ययन करने से समझ आता है कि जितनी कमजोर कडियां थी, उनकी मरम्मत कर ली गई है। कुछ नेताओं को विपक्ष से छीन लिया गया है। उनमे प्रमुख नाम है नीतीश कुमार और जयंत चौधरी, कुछ को विपक्ष मे जाने से रोक दिया गया है। उनमे प्रमुख नाम है मायावती और चंद्रबाबू नायडू।
कुछ ऐसी पार्टियाँ जो अपने क्षेत्र मे शक्तिशाली हो रही थी उन्हे तोड़ दिया गया है। उनमे प्रमुख नाम है शिवसेना और राकांपा। अगर अध्ययन अधिक गहराई से किया जाए तो समझ आता है कि सर्वोच्च सम्मान भी राजनैतिक लक्ष्य की पूर्ति का औजार बन सकता है। कर्पूरी ठाकुर, चरण सिंह और आडवाणी को पुरस्कृत कर राजनैतिक लक्ष्य को भेदने का प्रयास है। नरसिम्हाराव को सम्मानित कर कांग्रेस को असहज करने की कोशिश करते हुए यह सन्देश दिया गया है कि कांग्रेस सरकार मे सर्वोच्च सम्मान केवल गांधी परिवार के लिए सुरक्षित थे। अभी लोकसभा चुनाव के परिणाम दूर है और भविष्य के गर्भ मे है, लेकिन भाजपा रणनीतिकारो ने एक बार फिर अपने प्रबंधन कौशल के साथ इंडिया गठबंधन की हवा निकाल दी है।
#आज_इतना_ही।
ये हर पार्टी के नेता , नेताओं और कार्यकर्ताओं का परम कर्तव्य है कि वो अपने घर यानी कि अपनी पार्टी को सुरक्षित भी रखें और अपना आधार यानी कि अपना वोट बैंक बढ़ाएं क्योंकि जीत तभी पक्की है तभी सुनिश्चित है और भाजपा नेतृत्व ने तो अपना वोट बैंक सुरक्षित भी रखा और बढ़ाया भी इसी पार्टी की कभी लोकसभा में मात्र दो ही सीटें थीं और इस पार्टी ने अपनी नीतियों के बल पर उस पार्टी को राज करने से वंचित किया जिसने एक छत्र लगभग 55 सालों तक राज किया 350 और 400 से ऊपर सीटें जीतने वाली पार्टी आज जीत की बात तो दूर अपना वजूद तलाशने में लगी है ऐसा क्यों हुआ ये सर्व विदित है हमें भी दुख होता है क्योंकि मैं कांग्रेस समर्थक रहा हूं , मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने में भी कांग्रेस फेल रही , ये बात बिलकुल सही है कि भाजपा ने कमजोर कड़ियों को सुधारा है हां एक बात से में सहमत नहीं हूं कि कई नेताओं को विपक्ष से छीना है मैं समझता हूं कि कुछ नेता कुर्सी के चुंबकीय खिचाव से नहीं बच पाए और हो सकता है उन्होंने ही आश्रय मांगा हो , चंद्र बाबू और मायावती को भाजपा ने नहीं रोका ये सीटों की मांग से ही बाहर हो गए , वैसे भी इन नेताओं में ठहराब नाम की बात कहीं दिखती नहीं, हां एक बात और है कि विधान सभा और लोकसभा के चुनावों में बहुत फर्क होता है , कांग्रेस शाशित राज्य लोकसभा के लिए अपनी जीत में झटका खा सकते हैं