*इलैक्टोरल बांड योजना को रद्द**चंदा_है_बड़ा_धंधा*
*इलैक्टोरल बांड योजना को रद्द*
17 फरवरी 2024-(#चंदा_है_बड़ा_धंधा)–
जो चंदा केवल देने वाले और लेने वाले को पता है तो उसे चंदा कहना सही नहीं होगा क्योंकि इस प्रकार के लेन-देन मे पारदर्शिता नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने उपरोक्त कथन की पुष्टी इलैक्टोरल बांड योजना को रद्द करते हुए की है। कोर्ट ने आशंका जताई है कि राजनीतिक दलों को फंडिंग करने वालो की पहचान गुप्त रहने पर इसमे रिश्वतखोरी का मामला बन सकता है। खैर 2019 से लागू इलैक्टोरोल बांड के द्वारा लगभग सभी प्रमुख राजनैतिक दलों ने चुनावी चंदे की उगाही की है। स्मरण रहे जिस दल के पास जितनी सत्ता मे भागीदारी है उस हिसाब से चंदे की वसूली है। परिणाम स्वरूप इस योजना का सबसे अधिक लाभ सत्तारूढ भाजपा को मिला है। अब सुप्रीम कोर्ट ने योजना को रद्द कर दिया है और उन चंदा देने वालो और लेने वाले दलों के नाम उजागर करने के भी निर्देश दिए है जिन्होने इस योजना के अंतर्गत लेन-देन किया है। लोकतंत्र मे फंडिंग एक जरूरी बुराई है। बिना पैसे से न चुनाव लड़ा जा सकता है और न ही राजनीतिक गतिविधियों का संचालन हो सकता है। अब तो राजनीति संसाधन केंद्रित हो गई है। मेरी समझ मे इस निर्णय के बाद भी राजनैतिक दल चंदे की उगाही करेंगे केवल तरीका बदल जाएगा। यह योजना कार्पोरेट फंडिंग को प्रोत्साहित करने वाली थी, जबकि इससे पहले भाजपा के नेता चुनाव के लिए सरकारी फंडिंग की वकालत करते रहे है।
लाल कृष्ण आडवानी का मानना था कि चुनावों मे भारी-भरकम काले धन का उपयोग होता है, इसलिए सरकार को एक सरकारी पारदर्शी फंडिंग योजना का सृजन करना चाहिए और सभी दलों को लेवल फील्ड उपलब्ध करवाना चाहिए। इलैक्टोरल बांड योजना चूंकि गुमनाम रूप से किसी राजनीतिक दल को धन भेजने की अनुमति देता है तो इसका सर्वाधिक इस्तेमाल कार्पोरेट जगत ने किया है। विश्लेषकों का मानना है यह लोग इसके जरिए सरकार के नीति संबंधी फैसलों को प्रभावित कर सकते है। अब इस योजना के रद्द होने के बाद अवसर है देश मे पारदर्शी चुनावी चंदा योजना लागू करने का। यदि सभी संबंधित पक्षों से विचार-विमर्श कर कोई योजना लागू होती है तभी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के सकारात्मक परिणाम आने की उम्मीद है। मेरे समझ मे इस योजना का पारदर्शी विकल्प सरकारी फंडिंग हो सकता है। मेरे विचार मे स्टेट फंडिंग योजना का परिक्षण कर गभींरता से विचार होना चाहिए। इससे खर्च भी कम होगा, चंदे के नाम पर रिश्वतखोरी समाप्त होगी और सभी दलों को लेवल फील्ड उपलब्ध होगा।
#आज_इतना_ही।